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रेवाड़ी कार लूट, गैंग खड़ा करना चाहता था पीएचडी स्कॉलर:0 लाख में खरीदे हथियार, पक्के दोस्तों को अहम जिम्मेदारी, पुलिस के रडॉर पर गुर्गे

रेवाड़ी कार लूट का मास्टर माइंड पीएचडी स्कॉलर देवांशु अपना गैंग खड़ा करना चाहता था। उसने 50 लाख रुपये हथियार और सामान खरीदने पर खर्च कर दिए। उसके पक्के दोस्त बन चुके शुभम और बंटी गैंग में शामिल हो चुके थे। अब पुलिस की निगाह देवांशु के संपर्क में रहे दूसरे गुर्गों पर है। जिन पर अब पुलिस की नजर है। अजमेर निवासी देवांशु जयपुर यूनिवर्सिटी का पीएचडी स्कॉलर है। जबकि आजमगढ़ का शुभम नेट-जेआरएफ पास है।
बंटी के जिम्मे था हथियार जुटाना
देवांशु पढ़ाई के साथ अपना गैंग खड़ा कर रहे थे। जिसके लिए हथियार जुटाने की जिम्मेदारी मेरठ के बंटी को सौंपी हुई थी। शुभम और बंटी को देवांश ने अपने गैंग में शामिल कर लिया था। वहीं राजस्थान और यूपी से कई युवा इनके संपर्क में थे। जिनकी अब पुलिस तलाश कर रही है। कुछ को तो पुलिस ने अपने रडॉर पर भी ले लिया है। जिनकी कभी भी गिरफ्तारी हो सकती है।
पिता की कहानी सुन बदली सोच
देवांशु के पिता सूरजभान राजस्थान पुलिस में सिपाही थे। 1995 में हुए पिता के एक्सीडेंट ने देवांशु की सोच बदल दी। पिता के एक्सीडेंट में साजिश दिखी। नशा तस्कर हिस्ट्रीशीटर विनोद फैडरिक को इसका जिम्मेदार माना और खत्म करने की ठान ली। जिसके लिए अब तक 50 लाख रुपये हथियार और सामान खरीद में खर्च कर चुका है। पिता ने हिस्ट्रीशीटर को दिलाई थी सजा
राजस्थान के ब्यावर का रहने वाले नशा तस्कर विनोद फेडरिक नसीराबाद का बदमाश है। वह अजमेर शहर थाना का हिस्ट्रीशीटर भी है। वर्ष 1993 में उसने दिन दहाड़े तलवार से काट कर एक युवक की हत्या कर दी थी। विनोद के खौफ के कारण पुलिस भी उस पर हाथ डालने से बचती थी। देवांशु के पिता कांस्टेबल सूरजभान ने विनोद को गिरफ्तार किया था, जिससे बाद ही विनोद को इस केस में 10 साल की सजा भी हुई थी।
पिता को मिला था बहादुरी का सम्मान
सूरजभान की इसी मामले में बहादुरी व ईमानदारी के कारण वर्ष 1995 में पुलिस विभाग ने प्रमोशन देकर सम्मानित किया गया था। वर्ष 1995 में ही सूरजभान एक सड़क हादसे में गंभीर रूप से घायल हो गए थे। स्वजन ने हिस्ट्रीशीटर विनोद पर हमला कराने का शक जताया था। उस समय देवांशु का जन्म भी नहीं हुआ था लेकिन जन्म होने के बाद जैसे-जैसे देवांशु बड़ा हुआ तो घर में पिता पर हमले का जिक्र होने लगा और यही बात उसके दिमाग में बैठ गई। जिसके बाद उसने बड़ा होकर विनोद से बदला लेने की ठानी। देवांशु अपने माता-पिता की इकलौती संतान है।
हथियारों का जखीरा बरामद डीएसपी सुरेंद्र श्योराण ने बताया कि रिमांड के दौरान पांच देशी पिस्टल, 250 कारतूस, आठ मैगजीन, 22 मैगजीन की स्प्रिंग, एक बैरल की स्प्रिंग, एक बैग, एक आईफोन, छह वाकी-टाकी सैट, पांच वाकी-टाकी चार्जर, पांच अडैप्टर, एक पैकेट दस्ताना, एक दूरबीन, दो पावर अडैप्टर, तीन कारतूस की खाली डब्बी व एक हथकड़ी बरामद की है। पहले देवांशु से दो पिस्टल, 89 जिंदा कारतूस, वेव ब्लाकर, जीपीएस डिटेक्टर व मोबाइल फोन सहित अन्य सामान बरामद किया था। देवांशु और शुभम जेल भेज दिए हैं और बंटी अभी रिमांड पर है।
16 दिसंबर को किया था गिरफ्तार
देवांशु और शुभम ने 15/16 की रात हाइवे के बनीपुर चौक पर कार लूटी थी। आरोपियों ने कार ड्राइवर संजय को गोली माकर सड़क पर फेंक दिया था। पुलिस ने दोनों को उसी दिन 16 दिसंबर को गिरफ्तार किया था। जिसके बाद से पुलिस आरोपियों से पूछताछ कर रही थी। 62R


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