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रावली तटबंध पर 40 करोड़ से बनेगा आधुनिक एसीबीएम तटबंध:जनवरी से काम शुरू, अगली बरसात से पहले होगा पूरा

बिजनौर जिले के गंगा बैराज से रावली तक बने अप्लेक्स बांध को गंगा की तेज धारा से होने वाले कटान से बचाने के लिए स्थायी सुरक्षा दी जाएगी। सिंचाई विभाग ने एसीबीएम (आर्टिकुलेटिंग कंक्रीट ब्लॉक मैट्रेस) तकनीक से तटबंध निर्माण की तैयारी पूरी कर ली है। शासन से मंजूरी मिल चुकी है और निर्माण कार्य जनवरी के पहले सप्ताह में शुरू किया जाएगा। नई तकनीक से 1060 मीटर लंबाई का तटबंध बनाया जाएगा, जो गंगा की तेज धारा का ज्यादा असर झेलने में सक्षम होगा। यह तकनीक प्रदेश में नई है, लेकिन जहां भी लागू हुई है, वहां इसे नदी के कटान को रोकने में प्रभावी माना गया है। सितंबर की उफान वाली घटना ने बढ़ाई चिंता सिंचाई विभाग के अनुसार, सितंबर में गंगा का उफान रावली तटबंध की संरचना को हिला गया था। तेज बहाव से मिट्टी कट गई और कई जगह दरारें पड़ गईं। आसपास के गांव—रावली, मिर्जापुर, खादर—में बाढ़ का खतरा मंडराने लगा। प्रशासन ने गांवों को अलर्ट किया और कुछ लोगों को सुरक्षित स्थानों पर स्थानांतरित भी किया। स्थानीय लोग और प्रशासन की चौकसी गंगा की धारा हर बरसात में गांवों की ओर खिसकती रहती है। स्थानीय लोग डर और चिंता के बीच महीनों पहरा देते हैं। इस बार भी लोग पूरी रात तटबंध पर नजर बनाए रहे। सिंचाई विभाग, एनएचएआई और ग्रामीणों ने मिलकर तटबंध को अस्थायी तौर पर बचाया। भारी मशीनों से मिट्टी डाली गई, स्लोप संभाला गया और गंगा की धार को मोड़ने की कोशिश की गई।
एसीबीएम तकनीक से स्थायी सुरक्षा सिंचाई विभाग के अधिशासी अभियंता ब्रजेश मौर्य के अनुसार— यह तकनीक लंबे समय तक तटबंध की सुरक्षा सुनिश्चित करेगी और आसपास के गांवों को बार-बार बाढ़ के खतरे से बचाएगी।


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