रायबरेली में एक लेखपाल की कथित आत्महत्या के मामले में, प्रदेश भर के लेखपालों ने धरना प्रदर्शन किया है। उनकी मुख्य मांग है कि एफआईआर में मुख्य आरोपी के रूप में एक पी०सी०एस० अधिकारी का नाम शामिल किया जाए और मृतक के परिवार को आर्थिक सहायता व सरकारी नौकरी दी जाए। लेखपाल संघ का आरोप है कि दर्ज एफआईआर में मुख्य आरोपी श्री संजय कुमार सक्सेना, पी०सी०एस० का नाम शामिल नहीं किया गया है। रिपोर्ट में केवल एक राजस्व निरीक्षक को नामजद किया गया है। संघ इसे प्रशासन द्वारा मामले को कमजोर करने का प्रयास बता रहा है। मृतक के परिजन भी इस कार्रवाई से असंतुष्ट हैं। संघ के अनुसार, लेखपालों पर विभागीय कार्यों के अतिरिक्त अन्य विभागों से संबंधित कार्य भी जल्दबाजी में पूरा करने का दबाव लगातार बढ़ रहा है। अधिकारियों द्वारा संबंधित विभागों की समीक्षा न करके अंतिम समय में लेखपालों पर अव्यवहारिक दबाव डाला जाता है। इस दबाव के कारण, अधिकारियों द्वारा लेखपालों के साथ सार्वजनिक रूप से दुर्व्यवहार, वेतन रोकने, निलंबन, प्रतिकूल प्रविष्टि और एफआईआर जैसी उत्पीड़नात्मक कार्रवाई की जाती है। संघ का कहना है कि अधिकारी अब व्यावहारिक या तकनीकी समस्याओं को सुनने के बजाय केवल ‘डंडे के बल पर’ प्रथम रैंकिंग पाने की होड़ में लगे हैं। इस अत्यधिक दबाव और उत्पीड़न के चलते कई लेखपाल बीपी, शुगर, एंजाइटी, डिप्रेशन और हार्ट अटैक जैसी गंभीर बीमारियों का शिकार हो रहे हैं। लेखपाल संघ ने मांग की है कि एफआईआर में मुख्य आरोपी श्री संजय कुमार सक्सेना, पी०सी०एस० अधिकारी का नाम अज्ञात के स्थान पर स्पष्ट रूप से दर्ज किया जाए। इसके अतिरिक्त, मृतक की माता को 50 लाख रुपये की आर्थिक सहायता और परिवार के एक सदस्य को सरकारी नौकरी प्रदान की जाए। संघ ने एस०आई०आर० की अंतिम तिथि आगे बढ़ाने और कम समय में काम पूरा करने का दबाव समाप्त करने की भी अपील की है, क्योंकि यह कर्मचारियों के स्वास्थ्य और जीवन को प्रभावित कर रहा है। उन्होंने समस्त जिला अधिकारियों एवं उपजिलाधिकारियों से अधीनस्थ कर्मचारियों के साथ सद्व्यवहार, संवेदनशीलता और संवाद स्थापित करने तथा लेखपाल संघ पदाधिकारियों के साथ नियमित बैठकें करने के निर्देश जारी करने का अनुरोध किया है। इसके साथ ही, लेखपालों को सामान्य/उपनिर्वाचन तथा मतदाता सूची पुनरीक्षण के दौरान अपरिभाषित ड्यूटी (मौखिक/लिखित) हेतु प्रोत्साहन राशि के रूप में एक माह के वेतन के बराबर मानदेय भुगतान के लिए निर्वाचन कार्यालय के कर्मचारियों के साथ सूचीबद्ध करने की भी मांग की गई है।
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