रायबरेली के ऊंचाहार नगर पंचायत में स्वच्छ भारत मिशन के तहत निर्मित कूड़ा निस्तारण केंद्र कई वर्षों से निष्क्रिय पड़ा है। पूरे ननकू मजरे पट्टी रहस कैथवल गांव में लाखों रुपये की लागत से बना यह केंद्र संचालित नहीं हो रहा है। इसके बजाय, कर्मचारी खुले मैदान में कूड़ा डंप कर उसमें आग लगा रहे हैं, जिससे क्षेत्र में गंभीर प्रदूषण फैल रहा है। ग्रामीणों ने बताया कि इस केंद्र को कचरा प्रबंधन और जैविक खाद बनाने के उद्देश्य से स्थापित किया गया था। इसके लिए लाखों रुपये की मशीनें भी खरीदी गई थीं, लेकिन वे आज तक चालू नहीं हो सकी हैं। विभागीय अनदेखी के कारण ये मशीनें केंद्र के भीतर ही जंग खा रही हैं। आश्चर्यजनक रूप से, इस बंद पड़े केंद्र के लिए कर्मचारियों की तैनाती की गई है और उन्हें नियमित रूप से सरकारी खजाने से वेतन भी दिया जा रहा है। इसके बावजूद, कूड़ा निस्तारण की वैज्ञानिक विधि अपनाने के बजाय उसे खुले में जलाना पसंद किया जा रहा है। कूड़े के ढेर से निकलने वाला जहरीला धुआं आसपास के गांवों और आवासीय क्षेत्रों के लिए गंभीर समस्या बन गया है। स्थानीय निवासियों के अनुसार, इस धुएं के कारण सांस लेने में कठिनाई और आंखों में जलन जैसी स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं बढ़ रही हैं। स्थानीय निवासी रामकिशोर ने कहा, “जब सरकार ने केंद्र और मशीनों पर लाखों रुपये खर्च किए हैं, तो कूड़ा बाहर क्यों जलाया जा रहा है? यह न केवल जनता के पैसे की बर्बादी है, बल्कि हमारे स्वास्थ्य के साथ भी खिलवाड़ है।” नगर पंचायत की यह कार्यप्रणाली स्वच्छ सर्वेक्षण के दावों पर प्रश्नचिह्न लगाती है। अब देखना यह होगा कि उच्चाधिकारी इस मामले का संज्ञान लेकर एमआरएफ सेंटर को कब तक चालू करवाते हैं।
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