रायबरेली में पेंशनरों ने आठवें केंद्रीय वेतन आयोग से बाहर रखे जाने के विरोध में प्रदर्शन किया। उन्होंने शहर के मुख्य चौराहों से रैली निकाली और कलेक्ट्रेट पहुंचकर नगर मजिस्ट्रेट को ज्ञापन सौंपा। इस प्रदर्शन में लगभग 400 पेंशनरों ने भाग लिया। पेंशनरों में यह आक्रोश वित्त मंत्रालय द्वारा 3 नवंबर 2025 को जारी संकल्प पत्र के कारण है। इस संकल्प पत्र में आठवें वेतन आयोग के गठन में पेंशनरों को शामिल नहीं किया गया है। जबकि पांचवें, छठे और सातवें वेतनमान में पेंशनरों के पेंशन पुनरीक्षण और अन्य लाभों के लिए स्थान सुरक्षित रखा गया था। पेंशनरों का कहना है कि यह पहली बार है जब वर्तमान केंद्र सरकार ने आठवें वेतनमान से पेंशनरों को अलग किया है। इस मुद्दे पर पूरे देश में पहला आंदोलन प्रधानमंत्री और वित्त मंत्री का ध्यान आकर्षित करने के लिए मोमबत्ती जलाकर किया गया था। पेंशनरों ने सरकार से बुजुर्गों का ध्यान रखने और उन्हें आठवें वेतन आयोग के लाभों से वंचित न करने की अपील की है। इसी क्रम में, आज रायबरेली में पेंशनरों ने पेंशनर भवन से पुलिस ऑफिस होते हुए डिग्री कॉलेज चौराहे तक रैली निकाली, जहां उन्होंने मोमबत्ती जलाई। इसके बाद शहीद चौक पर प्रदर्शन करते हुए वे कलेक्ट्रेट पहुंचे और नगर मजिस्ट्रेट को ज्ञापन प्रेषित किया। ज्ञापन देने वालों में पूर्व प्राचार्य फिरोज गांधी महाविद्यालय के प्रोफेसर आर.पी. सिंह, राम बहादुर वर्मा, प्रोफेसर ओम जी गुप्ता, प्रोफेसर भूपेंद्र देव सिंह, प्रोफेसर राजेंद्र बहादुर श्रीवास्तव, प्रोफेसर चंपा श्रीवास्तव शामिल थे। इनके अतिरिक्त, बी.एन. यादव (संरक्षक), दयाराम यादव, बी.एस. सक्सेना, इंद्रपाल सिंह, सियाराम वर्मा, आर.बी. वर्मा, आर.बी. यादव, सच्चिदानंद शुक्ला, राजेंद्र सिंह, दीपक कुमार श्रीवास्तव (जॉइंट कमिश्नर), हरिश्चंद्र श्रीवास्तव (रिटायर्ड उप जिलाधिकारी), राज नारायण निर्मल, भैया दिन किस कुमार तिवारी, रामासरे यादव और राजकुमार सिंह सहित लगभग 400 पेंशनरों ने अपनी भागीदारी सुनिश्चित की।
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