राम मंदिर में ध्वजारोहण समारोह के साथ पहले चरण के प्रस्तावित मंदिर निर्माण की पूर्णता की घोषणा के बाद अब दर्शन व्यवस्था के विस्तार की तैयारी तेज हो गई है। शेषावतार और परकोटे के सभी छह मंदिरों में जून 2025 में देवी-देवताओं की प्राण-प्रतिष्ठा पूर्ण हो चुकी है। इसके चलते रामलला और राम दरबार के साथ इन सभी मंदिरों में भी आम श्रद्धालुओं के नियमित दर्शन शुरू कराने पर श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट स्तर पर मंथन चल रहा है। दर्शन व्यवस्था सुचारू रूप से संचालित करने के लिए बड़ी संख्या में नियमित पुजारियों की आवश्यकता को देखते हुए राम मंदिर में 70 नए पुजारियों की भर्ती के प्रस्ताव को ट्रस्ट ने मंजूरी दे दी है। यह निर्णय 13 दिसंबर को मणिराम छावनी पीठाधीश्वर महंत नृत्यगोपाल दास की अध्यक्षता में हुई श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट की कार्यकारिणी बैठक में लिया गया। मुख्य पुजारी आचार्य सत्येंद्र नाथ शास्त्री के निधन के बाद मंदिर में उनके सहायक चार वरिष्ठ पुजारी पहले से सेवाएं दे रहे हैं। इससे पहले ट्रस्ट ने पुजारी प्रशिक्षण योजना के तहत 24 पुजारियों को प्रशिक्षित कर तैनात किया था, लेकिन नियुक्ति पत्र जारी नहीं किए गए। वेतन और अन्य सुविधाओं को लेकर विवाद बढ़ने पर प्रशिक्षित पुजारियों को प्रशिक्षण प्रमाण पत्र और निर्धारित मानदेय देकर मुक्त कर दिया गया, जिससे पुजारी वर्ग में निराशा देखी गई। कुछ माह बाद उन्हीं प्रशिक्षित पुजारियों में से 10 को सशर्त नियुक्ति पत्र जारी किए गए। इसके बाद छह और प्रशिक्षुओं को भी नियुक्त किया गया, जबकि चार को पूरी तरह बाहर कर दिया गया। वर्तमान में राम मंदिर परिसर में कुल 20 पुजारी कार्यरत हैं। रामलला व राम दरबार में 10-10 पुजारीइन 20 पुजारियों को रामलला और राम दरबार के अलावा शेषावतार, परकोटे के छह मंदिरों, यज्ञमंडप, सप्त मंडपम और कुबेर टीला स्थित कुबेरेश्वर महादेव मंदिर की पूजा-अर्चना की जिम्मेदारी दी गई है। ड्यूटी सुबह-शाम की पालियों में रोस्टर के अनुसार तय होती है। एक दिन रामलला में सेवा देने वाली टीम अगले दिन राम दरबार में ड्यूटी निभाती है। अमावस्या-पूर्णिमा से बदलेगी ड्यूटीपहले ड्यूटी परिवर्तन अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार होता था, लेकिन अब यह व्यवस्था हिंदी पंचांग के अनुसार अमावस्या और पूर्णिमा से लागू की गई है। तत्काल 50 पुजारियों की जरूरततीन शिफ्ट और दोनों पालियों में नियमित पूजा के लिए कम से कम 42 पुजारियों की आवश्यकता बताई जा रही है। ऐसे में तत्काल करीब 50 पुजारियों की जरूरत है, ताकि सभी मंदिरों में निर्बाध पूजा-अर्चना और श्रद्धालुओं के दर्शन सुनिश्चित किए जा सकें।
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