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राम जानकी मंदिर परिसर को लेकर याचिका खारिज:200 वर्ष पुराने मंदिर के मामले में कोर्ट से हस्तक्षेप की मांग कर याचिका हुई थी

प्रयागराज के नगर पंचायत शंकरगढ़ स्थित सदर बाज़ार में दो सौ वर्ष पुराने राम-जानकी मंदिर परिसर पर अवैध निर्माण के आरोपों को लेकर दाखिल जनहित याचिका पर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने खारिज कर दी । कोर्ट ने कहा कि निजी भूमि के विवाद में राज्य को निर्देश नहीं दिए जा सकते । इस आधार पर जनहित याचिका को खारिज कर दिया। नगर पंचायत के रिकॉर्ड में भूमि राजा महेंद्र प्रताप सिंह की निजी स्वामित्व वाली है। जनहित याचिका में आरोप था कि मंदिर की जगह पर व्यावसायिक निर्माण कराया जा रहा है। चीफ जस्टिस अरुण भंसाली एवं जस्टिस क्षितिज शैलेन्द्र की खंडपीठ ने यह कहते हुए याचिका खारिज कर दिया कि भूमि निजी/गैर-सरकारी है और ऐसे मामलों में जनहित याचिका दायर नहीं की जा सकती। न्यायालय ने याचिकाकर्ता को कानूनन उचित फोरम पर जाने की स्वतंत्रता दी। हाई कोर्ट ने यह आदेश घनश्याम प्रसाद केसरवानी की तरफ़ से दाख़िल जनहित याचिका पर पारित किया है। कोर्ट ने याचिका ख़ारिज करते हुए कहा कि याचिका दाख़िल कर निजी संपत्ति है अथवा ग़ैर सरकारी सम्पत्ति पर हस्तक्षेप की कोर्ट से माँग करना सही नहीं है। ज्ञात हो कि नगर पंचायत के आधिकारिक अभिलेख बताते हैं कि यह सम्पूर्ण भूमि राजा महेंद्र प्रताप सिंह के नाम दर्ज है। नगर पंचायत द्वारा जारी प्रमाणपत्र में यह भी दर्ज है कि मंदिर का मार्ग और उससे संबंधित पूरा भूभाग राजा महेंद्र प्रताप सिंह की निजी संपत्ति है। स्वयं राजा महेंद्र प्रताप सिंह ने पुष्टि की है कि श्रद्धालुओं की सुविधा हेतु 4 फीट के रास्ते को बढ़ाकर 10 फीट किया जा रहा है और सारा निर्माण उन्हीं की अनुमति से हो रहा है।


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