काशी तमिल संगमम् 4.0 के तहत किसानों के प्रतिनिधिमंडल अयोध्या पहुंचा। श्री राम जन्मभूमि में किसान रामलला का दर्शन किया। किसान जैसे ही दर्शन स्थल पर पहुंचे उनके कदम थम गए और आंखें नम हो उठीं। रामलला की दिव्य प्रतिमा देखते ही कई किसानों के भीतर संचित आस्था का सागर फूट पड़ा। किसानों ने कहा “यह सिर्फ दर्शन नहीं, बल्कि सदियों की प्रतीक्षा और संघर्ष का फल है…आज जीवन सफल हुआ।” मंदिर के अंदर भक्ति के माहौल ने किसानों वहीं खड़े रहे, मानो प्रभु के सामने अपने मन की सारी थकान और पीड़ा उतार देना चाहते हों। उन्होंने कहा कि यह पल उनकी आध्यात्मिक यात्रा का सबसे महत्वपूर्ण पड़ाव है। हनुमानगढ़ी में किया दर्शन रामलला का दर्शन करने के बाद प्रतिनिधिमंडल हनुमानगढ़ी पहुंचा। बजरंगबली के जयकारों और भक्तिभाव से भरे माहौल ने किसानों में नई ऊर्जा भर दी। कई किसानों ने कहा कि हनुमानजी के दरबार में खड़े होकर उन्हें ऐसा महसूस हुआ जैसे जीवन की कठिनाइयों से लड़ने की शक्ति मिल गई हो। वे बोले कि अयोध्या आए बिना शायद हम यह अनुभव कभी नहीं कर पाते। सरयू में किसानों ने किया स्नान इसके बाद किसानों का प्रतिनिधिमंडल पवित्र सरयू तट पहुंचा। सरयू की ठंडी हवा, शांत प्रवाह और तट पर गूंजती आरती की ध्वनि ने उन्हें गहरी आध्यात्मिक शांति प्रदान की। कई किसान नदी किनारे देर तक बैठे रहे और बोले कि सरयू की लहरों को देखते ही मन पूरी तरह शांत हो गया। एक किसान ने कहा कि “ऐसा लगा जैसे सारी थकान और चिंताएँ सरयू जी अपने साथ बहा ले गईं। प्रतिनिधिमंडल ने कहा कि काशी तमिल संगमम् ने उन्हें केवल दर्शनों का अवसर नहीं दिया, बल्कि उत्तर और दक्षिण भारत की सांस्कृतिक एकता को बेहद करीब से महसूस करने का अनुभव कराया। किसानों ने कहा कि यह यात्रा उनके जीवन की सबसे यादगार और पवित्र यात्राओं में से एक बन गई है। रामलला का प्रथम दर्शन उनके लिए आस्था, भावनाओं और दिव्यता का ऐसा संगम रहा जिसे वे जीवनभर नहीं भूल पाएंगे।
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