रामपुर के सांसद मोहिबुल्लाह नदवी ने संसद में वक्फ संपत्तियों से जुड़ा मुद्दा उठाया है। उन्होंने सरकार की नीयत और नीति पर सवाल उठाते हुए कहा कि अन्याय के खिलाफ आजादी जैसी लड़ाई दोबारा लड़नी पड़ सकती है। सांसद मोहिबुल्लाह नदवी ने सदन में स्पीकर के सामने यह अहम मुद्दा उठाया। उन्होंने कहा कि वक्फ अमेंडमेंट बिल को लेकर बनी जेपीसी कमेटी के समय ही उनकी पार्टी ने सरकार की नीयत और नीति पर संदेह जताया था। उन्होंने बताया कि सरकार ने उम्मीद पोर्टल पर वक्फ संपत्तियों के पंजीकरण के लिए छह महीने का समय दिया था। हालांकि, अभी तक केवल 30% वक्फ जायदादों, जिनमें मस्जिदें, कब्रिस्तान और मदरसे शामिल हैं, उनका ही पंजीकरण हो पाया है। सांसद के अनुसार, सर्वर डाउन होने के कारण पंजीकरण की अंतिम तिथि भी समाप्त हो गई है, जिससे 70% वक्फ जायदादों का रजिस्ट्रेशन नहीं हो पाया है। उन्होंने आरोप लगाया कि ऐसा लगता है जैसे संविधान के अनुच्छेद 25 और 26 को समाप्त कर दिया गया है। नदवी ने कहा कि मुसलमानों की जिंदगी अपने ही वतन में मुश्किल कर दी गई है। उन्होंने याद दिलाया कि उनके पुरखों ने आजादी की लड़ाई लड़ी थी। उन्होंने मौलाना अरशद मदनी के हवाले से कहा कि जुल्म और नाइंसाफी के खिलाफ शायद दोबारा लड़ना पड़ेगा। उन्होंने सवाल किया कि मुस्लिमों को कब तक दबाया जाता रहेगा और जुल्म की भी एक हद होती है। यह जानकारी सांसद के मीडिया प्रभारी एडवोकेट महबूब अली पाशा ने दी।
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