यूपी बहराइच में 13 अक्टूबर 2024 को दुर्गा प्रतिमा विसर्जन के दौरान हुई हिंसा में मारे गए रामगोपाल मिश्रा के मामले में कोर्ट आज दोषियों को सजा सुनाई। मुख्य आरोपी सरफराज को फांसी की सजा और उसके पिता, दो भाइयों समेत 9 को उम्रकैद की सजा सुनाई। कड़ी सुरक्षा में सभी आरोपियों को कोर्ट लाया गया। मामले में कोर्ट ने 9 दिसंबर को कुल 13 अभियुक्तों में से 10 को दोषी करार दिया था। जांच के बाद पुलिस ने 11 जनवरी 2025 को सभी आरोपियों के खिलाफ अपर सत्र न्यायाधीश की अदालत में आरोप पत्र दाखिल किया। इसके बाद 18 फरवरी 2025 को आरोप विचरित किया गया। मामले से जुड़े 12 गवाहों ने न्यायालय में अपनी गवाही दी। इसके बाद 21 नवंबर 2025 को न्यायाधीश ने अपना निर्णय सुरक्षित कर लिया। बीते 9 दिसंबर 2025 को अब्दुल हमीद, उनके बेटे फहीम, सरफराज, तालिब के साथ इलाके के रहने वाले सैफ, जावेद, जिशान, ननकऊ, शोएब और मारुफ को दोषी ठहराया गया। वहीं तीन अन्य आरोपियों खुर्शीद, शकील और अफजल को संदेह का लाभ देते हुए दोषमुक्त किया गया। शासकीय अधिवक्ता प्रमोद सिंह ने बताया कि 13 महीने 26 दिन में कोर्ट ने दस आरोपियों को दोषी ठहराया है। आज इन सभी को सजा सुनाई जाएगी। उन्होंने बताया कि धारा 103/2 के तहत अभियुक्तों को फांसी या आजीवन कारावास की सजा हो सकती है। धारा 103/2 मोब्लिचिंग से संबंधित धारा है, जिसमें किसी समूह द्वारा जाति धर्म व नस्ल के नाम पर हत्या करने वाले प्रत्येक व्यक्ति के दोष सिद्ध होने पर फांसी या आजीवन कारावास की सजा का प्रावधान है। धाराओं में 191(2) में दो वर्ष, 191(3) में पांच वर्ष, 190, 109(2) में मृत्युदंड व आजीवन कारावास, 249 में पांच वर्ष और 61(2) में मृत्युदंड, आजीवन कारावास व कठोर कारावास का प्रावधान है। वहीं धारा 30 आर्म्स एक्ट में छह माह की सजा का प्रावधान किया गया है। परिवार के लोगों और रामगोपाल की पत्नी का कहना है कि जिन तीन लोगों को कोर्ट ने बरी किया है। वह भी दोषी हैं। उन्हें भी सजा होनी चाहिए। सभी आरोपियों को फांसी की सजा हो। प्रारंभिक रूप से यह संभावना जताई जा रही है कि दोषियों को फांसी या आजीवन कारावास की सजा सुनाई जा सकती है। हिंसा के दौरान की दो तस्वीरें… 10 प्वाइंट में जानिए 13 अक्टूबर को क्या हुआ दोषियों के नाम और उनके खिलाफ धाराएं दोषियों के नाम इस प्रकार हैं अब्दुल हमीद (मुख्य आरोपी, सरफराज के पिता), सरफराज (अब्दुल के बेटे, गोली चलाने का आरोप), मोहम्मद तालिब, फहीम, जीशान, मोहम्मद सैफ, जावेद, शोएब खान, ननकऊ, मारूफ अली। अदालत ने 191(2) में दो वर्ष, 191(3) में पांच वर्ष, 190, 109(2) में मृत्युदंड व आजीवन कारावास, 249 में पांच वर्ष और 61(2) में आरोपियों को दोशी ठहराया है। अदालत ने स्पष्ट किया कि बाकी 3 अभियुक्तों के खिलाफ पर्याप्त सबूत नहीं होने के कारण उन्हें बरी किया गया। पिता ने कोर्ट का आभार जताया, पत्नी बोली- सभी को फांसी हो रामगोपाल मिश्रा के परिवार ने फैसले के बाद न्यायपालिका का आभार व्यक्त किया। उनके पिता ने कहा- हमें न्याय की उम्मीद थी और आज अदालत ने उसका मार्ग दिखाया। दोषियों को कड़ी सजा मिलनी चाहिए।” मृतक की माता और पत्नी ने भी न्याय की मांग करते हुए कहा कि यह घटना न केवल उनके परिवार बल्कि पूरे समाज के लिए चेतावनी है। उन्होंने दोषियों के खिलाफ मृत्युदंड की सख्त मांग की। 30-90 दिन में अपील दायर करने का अधिकार दोषसिद्धि और सजा के फैसले के बाद, दोषी को अपील दायर करने का अधिकार होता है। अपील 30-90 दिनों के भीतर की जा सकती है, जिसमें सजा को कम करने, रद्द करने की मांग की जा सकती है। यदि फांसी की सजा हो तो पुष्टि आवश्यक है। पीड़ित पक्ष फांसी की मांग कर सकता है यदि आजीवन कारावास हो। पढ़िए रामगोपाल के परिवार ने हत्या के दिन क्या कहा था मरने से 85 दिन पहले हुई था शादी रामगोपाल की शादी उसकी हत्या से करीब 85 दिन पहले रोली से मंदिर में लव मैरिज थी। शादी में बहुत कम लोग थे। शादी के बाद दोनों पक्षों के लोगों ने इस रिश्ते को मान लिया था। राम गोपाल पहले लखनऊ में रहता था। रोली ने हिंसा के एक दिन बाद भास्कर से बातचीत में कहा था- उस दिन गांव में भंडारा था, वहीं पति खाना बना रहे थे। लौटे तो कहा कि मैं विसर्जन में जा रहा हूं। रोली ने बताया- मैंने बाइक की चाभी छिपा दी थी। कह रही थी, मत जाइए। उन्होंने जिद की और चले गए। शाम को 5 बजे फोन आया कि उन्हें गोली लगी है। कहा गया कि पैर में लगी है, जान नहीं जाएगी। हम हॉस्पिटल पहुंचे। वहां जो देखा, वह बहुत भयानक था। मेरे पति को बेदर्दी से मारा गया। उनके गले पर चाकू के निशान थे। पैर के सारे नाखूनों को प्लास से खींच लिया गया था। हाथ और पेट में गोलियों के निशान थे। एकदम जानवरों की तरह मारा गया था। तीनों भाइयों की 25 साल की उम्र में मौत राम गोपाल के 4 भाई और दो बहन थे। दो भाइयों की पहले ही मौत हो चुकी है। एक ने फांसी लगा ली थी, दूसरे भाई की डूबने से मौत हुई थी। मौत के समय दोनों की उम्र 25 साल से कम थी। अब राम गोपाल मिश्रा की भी 25 साल से कम उम्र में मौत हो गई। राम गोपाल की मां का रो-रोकर बुरा हाल है। वह कहती हैं- मेरे बेटे का पूरा शरीर छलनी कर दिया। नाक पर मारा, गर्दन पर मारा, सिर पर मारा। हमारा पूरा घर बर्बाद कर दिया। पिता ने कहा था- बेटा विसर्जन में न गया होता तो ठीक रहता राम गोपाल मिश्रा के पिता कैलाश चंद्र मिश्रा सड़क पर बैठकर हर आने-जाने वालों को देख रहे थे। उन्हें कुछ समझ ही नहीं आ रहा। कहते हैं- बेटा मेरा सहारा था। मुझे कहीं जाना होता था, तो वहीं बाइक से लेकर जाता था। दूसरा बेटा बाइक चला ही नहीं पाता था। अब बहू को लेकर चिंता है। अब उसका क्या होगा? आखिर में वह कहते हैं, बेटा विसर्जन में न गया होता तो ठीक रहता। कम से कम उसकी जान तो बच जाती। —————————————————— ये खबर भी पढ़ेंः- मीनाक्षी शर्मा ने इंस्पेक्टर को पीटा, VIDEO बनाया:धमकाती थी 25 लाख नहीं दिए तो वीडियो पत्नी को भेज दूंगी जालौन में इंस्पेक्टर अरुण कुमार राय के मौत की गुत्थी उलझती जा रही है। आरोपी महिला कॉन्स्टेबल मीनाक्षी शर्मा ने इंस्पेक्टर का वीडियो बना लिया था। वह उन्हें ब्लैकमेल कर रही थी। एक सीनियर पुलिस अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर बताया, मीनाक्षी और इंस्पेक्टर अरुण के बीच विवाद करीब एक महीने से चल रहा था। पढ़ें पूरी खबर…
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