राज्यसभा सदस्य सीमा द्विवेदी ने राज्यसभा में शिक्षकों के मुद्दे को उठाया। उन्होंने कहा, अप्रैल- 2010 से पहले नियुक्त शिक्षकों को शिक्षक पात्रता परीक्षा (टीईटी) से मुक्त रखा जाना चाहिए। उन्होंने सभापति के समक्ष इस मुद्दे को प्रमुखता से उठाया। सांसद सीमा द्विवेदी ने देश में केंद्र की सरकार द्वारा गुणवत्तायुक्त शिक्षा के लिए प्रारंभिक शिक्षा के क्षेत्र में किए गए अभूतपूर्व प्रयासों के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृहमंत्री अमित शाह और शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान का आभार भी जताया। सांसद सीमा द्विवेदी ने कहा कि वह उत्तर प्रदेश जैसे बड़े राज्य से आती हैं। यहां एक तरफ ऑपरेशन कायाकल्प के माध्यम से सरकारी विद्यालयों का कायाकल्प किया है, वहीं दूसरी तरफ निपुण भारत मिशन के तहत शिक्षा में गुणवत्ता बढ़ाने का भी कार्य किया। केंद्र सरकार द्वारा अटल आवासीय विद्यालय, कस्तूरबा गांधी आवासीय विद्यालय, एकलव्य विद्यालय और पीएम श्री विद्यालयों को खोलकर पिछड़े ग्रामीण क्षेत्रों में संसाधन युक्त शिक्षा मुहैया कराने का सराहनीय कार्य किया गया है। स्कूलों में शिक्षक एआई और कोडिंग सीखा रहे सांसद सीमा द्विवेदी ने कहा कि शिक्षकों को गुणवत्ता पूर्ण सेवारत प्रशिक्षण दिया जा रहा है जिसका परिणाम है कि उत्तर प्रदेश के शिक्षक जिन्होंने अपनी शिक्षा के दौरान कभी कंप्यूटर देखा नहीं था। आज वह स्कूलों में सफलतापूर्वक बच्चों को एआई और कोडिंग सीखा रहे हैं। सर्वोच्च न्यायालय के हालिया फैसले की तरफ ध्यान आकृष्ट कराते हुए उन्होंने कहा कि इसके परिणामस्वरूप 20 से 30 साल तक शिक्षण अनुभव प्राप्त कर चुके और अपने कार्यकाल में लाखों छात्रों का जीवन संवारने वाले गुरुजनों के खुद के बच्चों का भविष्य अंधकारमय हो गया है। उन्होंने कहा कि देश के लाखों शिक्षक गंभीर अवसाद में हैं, जिसका सीधा असर गुणवत्ता शिक्षा पर पड़ रहा है। इस पर ध्यान देने की जरूरत है।
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