खबर (भास्कर शैली में):नई दिल्ली। राज्यसभा में मंगलवार को शून्यकाल के दौरान बीजेपी सांसद सीमा द्विवेदी ने टीईटी (शिक्षक पात्रता परीक्षा) अनिवार्यता को लेकर बड़ा मुद्दा उठाया। उन्होंने केंद्र सरकार से मांग की कि आरटीई (शिक्षा का अधिकार) अधिनियम लागू होने से पहले नियुक्त हुए शिक्षकों को टीईटी की बाध्यता से मुक्त रखा जाए। सांसद द्विवेदी ने कहा कि सरकार पीएमश्री विद्यालय, अटल आवासीय विद्यालय, कस्तूरबा गांधी विद्यालय, ऑपरेशन कायाकल्प और निपुण भारत मिशन के जरिए गुणवत्तापूर्ण शिक्षा की दिशा में उल्लेखनीय काम कर रही है। इन सभी योजनाओं में कार्यरत शिक्षक 20 से 30 वर्षों से बच्चों को पढ़ा रहे हैं और नवीनतम तकनीक के प्रशिक्षण के जरिए एआई, कोडिंग व कंप्यूटर शिक्षा भी दे रहे हैं। उन्होंने कहा कि ग्रामीण क्षेत्रों के करोड़ों बच्चों का भविष्य इन अनुभवी शिक्षकों के ज्ञान और अनुभव पर टिका है। मगर सुप्रीम कोर्ट के हालिया आदेश के बाद बड़ी संख्या में शिक्षक तनाव में हैं। सांसद ने तर्क दिया कि लंबे शिक्षण अनुभव और निरंतर विभागीय प्रशिक्षण के कारण इन शिक्षकों को टीईटी से छूट दी जानी चाहिए। राज्यसभा में यह मुद्दा उठाने पर उत्तर प्रदेशीय प्राथमिक शिक्षक संघ के जिलाध्यक्ष एवं प्रांतीय संयुक्त महामंत्री अमित सिंह और पूर्व माध्यमिक शिक्षक संघ के जिलाध्यक्ष सुशील उपाध्याय ने सांसद का आभार व्यक्त किया। दोनों पदाधिकारियों ने बताया कि उन्होंने हाल ही में सांसद से मिलकर ज्ञापन सौंपा था, जिसमें देशभर के लाखों शिक्षकों को टीईटी अनिवार्यता से छूट देने की मांग की गई थी। सांसद ने तब आश्वासन दिया था कि वे यह मुद्दा सदन में रखेंगी और सरकार से कानून में संशोधन की मांग करेंगी।
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