झांसी में एमए का टॉपर एक छात्र बुधवार को बुंदेलखंड यूनिवर्सिटी के बाहर अनिश्चितकालीन धरने पर बैठ गया। उसका कहना है- मेरा पीएचडी हिंदी में सिलेक्शन हो चुका है, मगर एक प्रोफेसर के दबाव में फीस जमा नहीं कराई जा रही है। कहते है कि राजनीति करते हो, इसलिए एडमिशन नहीं हो पाएगा। विश्वविद्यालय प्रशासन से मिलने के बाद समस्या का समाधान नहीं हुआ तो धरने पर बैठना पड़ा। छात्र पढ़ने में बहुत होशियार है। उसकी 4 किताबें, 40 आर्टिकल, 7 रिसर्च पेपर पब्लिश हो चुके हैं। वह संस्कृति मंत्रालय के लिए भी लिख चुका है। धरने के साथ वो अपने आर्टिकल, किताबें आदि रखे है। साथ में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वायपेयी और सावित्री बाई फुले की फोटो भी रखे हैं। अब पूरा मामला विस्तार से पढ़ते हैं रिजल्ट में 191वें नंबर पर नाम बरुआसागर के जरबो गांव निवासी गिरजाशंकर कुशवाहा ‘कुशराज’ ने बताया- मैंने दिल्ली यूनिवर्सिटी से बीए ऑनर्स करने के बाद बुंदेलखंड महाविद्यालय से एमए हिंदी की पढ़ाई की। मैंने महाविद्यालय टॉप किया था। अब मार्च में बुंदेलखंड यूनिवर्सिटी ने पीएचडी के लिए फार्म निकाले। मैंने पीएचडी हिंदी के लिए आवेदन किया था। 26 नवंबर को इंटरव्यू हुआ। इसके बाद 5 दिसंबर को पीएचडी में चयनित हुए 406 स्टूडेंट्स की लिस्ट जारी की गई। इसमें मेरा नाम 191वें नंबर पर था। पहले फीस जमा करने की आखरी तारीख 14 दिसंबर थी। जो बढ़ाकर अब 27 दिसंबर कर दी गई। अब समर्थ पोर्टल पर मेरी फीस लिंक अभी तक नहीं खोली गई। एक प्राेफेसर के दबाव में एडमिशन रुका गिरजाशंकर कुशवाहा का कहना है- 27 दिसंबर को फीस जमा करने की आखरी तारीख है। अगर फीस जमा नहीं हुई तो विश्वविद्यालय प्रशासन एडमिशन रद्द मान लेगा। मैं विश्वविद्यालय प्रशासन से कई बार मिला हूं, लेकिन आज-कल में होने की बात कहते हुए टाला जा रहा है। कहते हैं कि कमेटी बैठ रही है, पता नहीं कौन सी कमेटी बैठ रही है। सिर्फ मेरी फीस जमा नहीं हो रही है। बाकी की जमा हो चुकी है। कहते हैं कि पूर्व में छात्र राजनीति करते थे, इसलिए एडमिशन नहीं होगा। मैंने अभी तक राजनीति ऐसी नहीं की, अब करुंगा। अगर 27 से पहले फीस जमा नहीं होती तो राज्यपाल, प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति से शिकायत करुंगा। संस्कृति मंत्रालय के लिए आर्टिकल लिखा गिरजाशंकर कुशवाहा का कहना है कि मैं 3 बार नेट क्वालिफाई कर चुका है। इसके अलावा 4 बुक लिख चुका है। 40 आर्टिकल और 7 रिसर्च पेपर भी पब्लिश हो चुके हैं। संस्कृति मंत्रालय भारत सरकार के लिए आजादी का अमृत महोत्सव पाेर्टल के लिए बुंदेलखंड का इतिहास लिख चुका है। इसमें 23 कहानियां हैं। जांच की वजह से रुका एडमिशन विश्वविद्यालय के कुलसचिव ज्ञानेंद्र कुमार का कहना है कि विश्वविद्यालय सारी कार्रवाई निष्पक्ष करता है। इसी का परिणाम है कि छात्र का चयन भी हुआ है। लेकिन आरडीसी कमेटी ने निर्णय में कमेंट किया है। उसी कमेंट को लेकर रिजल्ट जारी किया गया है। उसी कमेंट को लेकर जांच चल रही है। जांच के बाद ही आगे की कार्रवाई की जाएगी। प्रोफेसर के दबाव में एडमिशन रोकने के आरोप निराधार है। विश्वविद्यालय में किसी के दबाव में कोई काम नहीं हाेता।
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