मुस्लिम समुदाय के भीतर ‘नैरेटिव’ को लेकर चल रही बहस के बीच ऑल इंडिया मुस्लिम जमात के राष्ट्रीय अध्यक्ष मौलाना शहाबुद्दीन रज़वी बरेलवी ने जमीयत उलेमा-ए-हिंद के अध्यक्ष मौलाना अरशद मदनी के बयान से असहमति जताई है। मदनी ने कहा था कि मुसलमानों को निशाना बनाया जा रहा है, लेकिन रविवार को जारी बयान में मौलाना रज़वी ने इसे मानने से इनकार कर दिया। उन्होंने कहा कि मदनी सम्मानित शख्सियत हैं, मगर यह धारणा सही नहीं कि मुसलमानों को टारगेट किया जा रहा है। रज़वी ने कहा कि मुस्लिम समाज को हताशा नहीं, हौसला चाहिए। पीड़ित बनने का नैरेटिव समुदाय को आगे नहीं बढ़ा सकता। उनके अनुसार देश में मुसलमान पूरी आज़ादी और अवसरों के साथ रह रहे हैं और कई अधिकारी सरकारी तंत्र में उच्च पदों पर कार्यरत हैं। उन्होंने समुदाय से अपील की कि भावनात्मक बहसों को छोड़कर शिक्षा, कौशल और विकास पर फोकस किया जाए। रज़वी ने कहा, काबिलियत होगी तो कोई ताकत रोक नहीं सकती। फ़िजूल का रोना बंद करना होगा। उन्होंने यह भी कहा कि सरकार मुसलमानों को निशाना बना रही है। इस नैरेटिव से बाहर निकलने का समय आ गया है। मेहनत के बिना तरक्की संभव नहीं। विशेषज्ञों का मानना है कि मुस्लिम समाज के भीतर यह विमर्श सिर्फ राजनीतिक नहीं, बल्कि मानसिकता और भविष्य की दिशा तय करने की कोशिश है। एक वर्ग खुद को निशाने पर मानता है, जबकि दूसरा आगे बढ़ने के लिए शिकायतों के बजाय रणनीति और मेहनत को जरूरी बता रहा है। रज़वी का बयान समुदाय में ‘नए सामाजिक विमर्श’ की शुरुआत के तौर पर देखा जा रहा है, जिसमें अधिकारों के साथ जिम्मेदारियों, शिक्षा और आत्मनिर्भरता पर जोर बढ़ रहा है।
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