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योगी से शिकायत, डॉ.शमीम हिंदुओं से ठीक व्यवहार नहीं करते:प्रयागराज में सीएचसी अधीक्षक डॉ. शमीम, रेशमा खान पर बैठी जांच, कमेटी ने दी रिपोर्ट

प्रयागराज में एक मुस्लिम डॉक्टर का मामला सीएम योगी आदित्यनाथ तक पहुंचा है। आरोप है कि मेजा सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र (सीएचसी) के अधीक्षक डॉ. शमीम अख्तर जातिवाद, धर्मवाद करते हैं। हिंदुओं के प्रति दुर्व्यवहार करते हैं। साथ ही सीएचसी में तैनात आयुष चिकित्सक डॉ. रेशमा खान की एडवांस में हाजिरी रजिस्टर पर सिग्नेचर करा देते हैं। रेशमा खान अस्पताल माह में सिर्फ 8 दिन ही पहुंचती हैं जबकि वेतन पूरा दिया जाता है। सीएम के जनता दरबार में मामला पहुंचा तो जांच के आदेश हुए। जांच कमेटी बनी। जांच में सीएचसी अधीक्षक डॉ. शमीम अख्तर और रेशमा खान को दोषी पाया गया। शिकायतकर्ता इंजीनियर अजयकांत ओझा का कहना है कि जांच में दोषी पाए जाने के बाद डॉक्टर शमीम को कार्रवाई से बचा लिया गया जबकि रेशमा को मेजा से हटाकर फूलपुर भेज दिया गया। अब वह इस मामले को लेकर फिर से सीएम के यहां जाने की तैयारी में हैं। क्या है पूरा मामला जानिए मेजा के रहने वाले सर्वेश कुमार पांडेय की पत्नी साक्षी पांडेय प्रेग्नेंट थीं। अल्ट्रासाउंड कराने के बाद सर्वेश अपनी पत्नी को लेकर सीएचसी पहुंचे। यहां डॉ. रेशमा खान को दिखाने पहुंचे। लेकिन वह अस्पताल में मौजूद नहीं थीं। इसके बाद रिपोर्ट लेकर सर्वेश अधीक्षक डॉ. शमीम अख्तर के पास पहुंचे तो उन्होंने रिपोर्ट नहीं देखी बल्कि उसे फेंक दिया। यहां सर्वेश और अधीक्षक की आपस में हाट टॉक हुई। इसके बाद सर्वेश ने ऑनलाइन शिकायत दर्ज कराई। इसके बाद अधीक्षक डॉ. शमीम अख्तर ने रेशमा के पक्ष में रिपोर्ट लगा दी। सर्वेश ने मेजा के रहने वाले समाजसेवी अजयकांत ओझा से पूरा मामला बताया। वे सीएचसी पहुंचे तो शिकायत के बाद लोगों से बात की। फिर अजय कांत ओझा सीधे इस मामले को लेकर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के जनता दरबार में पहुंच गए। सीएम ने मुख्य सचिव को जांच के आदेश दे दिए। स्वास्थ विभाग के अपर चिकित्सा अधिकारी (ACS ) को इसकी जांच सौंपी गई। एसीएस ने प्रयागराज के सीएमओ अरुण कुमार तिवारी से रिपोर्ट मांगी। इसके बाद CMO ने 3 डॉक्टरों की जांच टीम बना दी। इसमें उप मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. बीके पांडेय, जिला कार्यक्रम प्रबन्धक (नेत्र), डॉ. श्याम कन्हैया सिंह, अपर मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. निशा सोनकर शामिल किया। टीम ने 6 नंवबर को सीएमओ को जांच सौंपी, पढ़िए क्या दी रिपोर्ट 1. शिकायत करने वाले अजय कान्त ओझा ने अपने लिखित बयान में बताया है कि डा. रेशमा खान आयुष चिकित्सक (संविदा) महीने में मात्र 8 दिन ही चिकित्सालय में उपस्थित रहती हैं। महिला मरीजों के उपचार की आवश्यकता पर यह उपलब्ध नही रहती है। 2. सर्वेश कुमार पाण्डेय ने अपने बयान में लिखा है कि डा. रेशमा खान सप्ताह में 2 से 3 दिन आती हैं तथा ओपीडी रजिस्टर अपने साथ ले जाती हैं। उन्होंने यह भी बताया कि जब वह अपनी पत्नी को डॉ. रेशमा को दिखाए जाने के समय पर भी वह नहीं थी। लेकिन सर्वेश ने अपनी ओर से कोई साक्ष्य प्रस्तुत नहीं किया। जबकि अधीक्षक डॉ. शमीम अख्तर ने बताया कि डॉ. रेशमा रोज अस्पताल में आती है। 3. अटेंडेंस रजिस्टर में डॉ. रेशमा खान के कालम में एडवांस सिग्नेचर और उस पर लगाए गए व्हाइटनर से इस बात कि पुष्टि होती है कि डॉ. रेशमा खान अपने कार्य के प्रति लापरवाह हैं। इसमें संदेह प्रतीत होता है। ये अपना OPD रजिस्टर अपने साथ रखती हैं जो कि नियम के विरूद्ध है। कार्यों के प्रति ईमानदार नहीं अधीक्षक डॉ. शमीम अख्तर और आयुष महिला चिकित्साधिकारी डॉ. रेशमा खान ने अपने दायित्वों के सम्यक एवं समयबद्ध सम्पादन में लापरवाही प्रतीत होती है। इन दोनों डॉक्टरों की ओर से ऐसा प्रतीत होता है। ये जानबूझकर अपने कार्यों के प्रति ईमानदार नहीं हैं। अब पूरे मामले में डॉक्टर और शिकायत करने वाले ने क्या कहा, पढ़िए मेजा के सीएचसी अधीक्षक डॉ. शमीम अख्तर ने कहा- मुझ पर साजिशन आरोप लगाकर बदनाम किया जा रहा है। मेरे हिंदू भाइयों से रिश्ते बहुत ही अच्छे हैं, क्षेत्र की जनता से पूछा जा सकता है। बाहरी तत्व अस्पताल में अपना मतलब हल करना चाहते हैं, उन्हें रोकने पर यह साजिश की गई। जांच में ऐसे आरोप सही नहीं पाए गए। आला अफसरों को सच्चाई पता है। मैं जहां जहां भी पोस्ट रहा कहीं कोई आरोप नहीं लगे। शिकायत करने वाले अजयकांत ओझा ने कहा- डॉ. शमीम अख्तर पर कार्रवाई नहीं की गई। उनकी गतिविधियां संदिग्ध हैं। वे सीएचसी में धर्मवाद करते हैं। कई हिंदू मरीजों से उनका व्यवहार ठीक नहीं रहा। सीएम ने जांच कर कार्रवाई को कहा था। मैं फिर से सीएम के जनता दरबार में अपनी बात रखूंगा। —————————–
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