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यूपी BJP अध्यक्ष पंकज चौधरी ने 4K-4S का फॉर्मूला दिया:सरकार-संगठन और RSS को साधकर जीतेंगे 2027 का विधानसभा चुनाव

यूपी भाजपा की राजनीति अब 4K और 4S के बीच होगी। प्रदेश अध्यक्ष बनने के बाद पंकज चौधरी रविवार को करीब 17 मिनट बोले। पंकज ने अपने पहले अध्यक्षीय भाषण में अपना राजनीतिक एजेंडा सरकार, संघ और संगठन के बीच रखा। चौधरी ने कार्यकर्ताओं की हौसला अफजाई करते हुए सरकार को भी संदेश दिया कि उनके लिए कार्यकर्ता ही सर्वोपरि है। उन्होंने कार्यकर्ताओं को भी कंधे से कंधा मिलाकर सरकार को सहयोग करने की सीख दी। राजनीतिक विश्लेषक मानते हैं कि पंकज चौधरी ने साफ कर दिया है कि वह सकारात्मक राजनीति से ही 2027 विधानसभा का रण जीतेंगे। 4K और 4S क्या है, पंकज चौधरी के भाषण के मायने क्या हैं, क्या भाजपा ने विधानसभा चुनाव प्रचार का शंखनाद कर दिया? पढ़िए रिपोर्ट… चौधरी के 4–K: कार्यालय, कार्यक्रम, कोष और कार्यकर्ता
पंकज चौधरी ने कहा- उनकी नजर में राजनीति में कार्यालय, कार्यक्रम, कोष और कार्यकर्ता सबसे महत्वपूर्ण हैं। किसी भी दल को राजनीति के लिए एक कार्यालय की आवश्यकता होती है। दल के पास जनता के बीच जाने के लिए कार्यक्रम होने चाहिए। राजनीति के लिए कोष भी अहम है। लेकिन सबसे महत्वपूर्ण हैं- पार्टी के कार्यकर्ता। डेडिकेटेड कार्यकर्ता नहीं हैं, तो बाकी सब कुछ बेकार है। पंकज ने कहा- मैंने अपने 35 साल के राजनीतिक जीवन में सभी चुनाव अपने कार्यकर्ताओं के दम पर लड़े और जीते। मैं पूरे प्रदेश के भाजपा कार्यकर्ताओं के लिए कहता हूं कि आप सब मेरे लिए सर्वोपरि हैं। मेरा बल और पूंजी आप ही हैं। वरिष्ठ पत्रकार आनंद राय कहते हैं- पंकज चौधरी ने कार्यकर्ताओं को महत्व देकर उनका उत्साह बढ़ाया है। भाजपा के लिए ये जरूरी भी है। 2024 के लोकसभा चुनाव में भाजपा के कार्यकर्ता शीर्ष नेतृत्व की उपेक्षा के चलते उदासीन हो गए थे। इसका खामियाजा पार्टी की कम सीटों के रूप में सामने आया था। पंकज चौधरी ने अपने भाषण में कार्यकर्ताओं से कहा कि मैं आपके लिए लडूंगा, अडूंगा और आपसे लडूंगा भी नहीं। ऐसा कहकर पंकज चौधरी ने साफ संकेत दिया कि कार्यकर्ताओं के हक के लिए वो सरकार से भी लड़ेंगे। उनकी हर बात सुनेंगे और समाधान खोजने के सारे प्रयास करेंगे। उनके मान–सम्मान के लिए अड़ जाएंगे और किसी भी कीमत पर अपने कार्यकर्ताओं की उपेक्षा नहीं करेंगे। चौधरी के 4–S : संगठन, संपर्क, संवाद और समन्वय
पंकज चौधरी ने अपनी राजनीति के 4 मूलमंत्र 4–S के रूप में सामने रखे। उन्होंने कहा- वह संगठन, संपर्क, संवाद और समन्वय के मूलमंत्र पर काम करेंगे। बताया कि संगठन मेरे लिए सर्वोपरि है। संपर्क और संवाद के माध्यम से संगठन को मजबूत करेंगे। संगठन और सरकार के बीच समन्वय बनाएंगे। कार्यकर्ताओं को केंद्रित करते हुए कहा- आपके विचार और समस्याओं को सरकार तक पहुंचाना मेरी जिम्मेदारी है। वहीं, सरकार के जनहित कार्यों को आम लोगों तक पहुंचाने की जिम्मेदारी आपकी और हमारी होगी। उन्होंने कहा कि पदाधिकारी भूतपूर्व हो जाते हैं, लेकिन एक कार्यकर्ता ही होता है, जो कभी भूतपूर्व नहीं होता। किसी भी राजनीतिक दल के लिए कार्यकर्ता ही असली पूंजी और ताकत होते हैं। रूल नहीं रोल हैं, नेतृत्व के सही मायने
पंकज चौधरी ने नेतृत्व के मायने भी समझाए। मंच से पूछा- क्या आदेश देना ही नेतृत्व है। फिर खुद ही बोले- नहीं। मेरे लिए नेतृत्व के मायने हैं बड़प्पन के साथ सबकी बात सुनना और समाधान के हर संभव प्रयास करना। मुझे रूल नहीं करना है। मुझे रोल अदा करना है। रोल समन्वयकारी का, समाधान कर्ता का और मुखिया का अदा करना है। यूपी भाजपा परिवार को एक साथ लेकर चलने का रोल अदा करना है। पंकज चौधरी ने साफ कर दिया कि कि वह पूर्व सांसदों, विधायकों और पूर्व पदाधिकारियों के अनुभव का लाभ लेंगे। ये कहकर उन्होंने साफ संकेत दिया है कि संगठन में इन्हें समायोजित कर अनुभवों का लाभ लिया जाएगा। साथ ही उन्होंने जिस तरीके से ये कहा कि वे अपने पूर्व के 16 प्रदेश अध्यक्षों के अनुभवों से सीखने का प्रयास करेंगे। जिन्होंने यूपी भाजपा को सींचा है। मतलब साफ है कि वह समझेंगे कि कहां-किस तरह की रणनीतिक चूक से पार्टी के प्रदर्शन में गिरावट आई। जिद्दी संघर्ष की कहानी सुनाने के मायने: गलत के आगे नहीं झुकेंगे
पंकज चौधरी ने अपना राजनीतिक सफर भी सुनाया। बताया कि गलत के सामने हार नहीं मानता, इसी जिद से राजनीति में आया। वाकया 1989 का है। तब मैं पहली बार निर्दलीय सभासद बना था। फिर निर्दलीय सभासदों की मदद से डिप्टी मेयर चुनाव में उतरा, लेकिन कांग्रेस ने धांधली करके अपना डिप्टी मेयर चुन लिया। इस पर मैं लोअर कोर्ट से सुप्रीम कोर्ट तक लड़ा और 7 महीने के अंदर डिप्टी मेयर का पद हासिल कर लिया। फिर भाजपा में शामिल हुए और 1991 में महज 26 वर्ष की उम्र में महराजगंज जिले से पहली बार लोकसभा चुनाव में उतरे और जीत दर्ज की। तब से एक ही पार्टी और क्षेत्र से 7 बार सांसद चुना जा चुका हूं। ये कहानी सुनाकर पंकज चौधरी ने साफ कर दिया कि उनकी इमेज फाइटर की रही है। वह मैन टू मैन जुड़ाव रखते हैं। इसी संगठनात्मक कला के बलबूते उन्होंने महाराजगंज में हमेशा से जिला पंचायत अध्यक्ष की कुर्सी पर अपने लोगों को काबिज कराते रहे हैं। और इसी खूबी के बलबूते वे यूपी भाजपा अध्यक्ष का दायित्व भी पूरा करेंगे। पंकज चौधरी के भाषण का सियासी संदेश क्या था?
वरिष्ठ पत्रकार आनंद राय बताते हैं- पंकज चौधरी के भाषण में समन्वय था। सरकार से समन्वय, कार्यकर्ता से समन्वय संगठन संचालन की प्रक्रिया होती है। पंकज चौधरी ने कभी नकारात्मक राजनीति नहीं की। निर्दलीय होकर वहां डिप्टी मेयर बन गए थे। उनमें लोगों को साधने की जबरदस्त कला है। मैन टू मैन जुड़ाव की उनकी क्षमता संगठन में भी काम आएगी। जो लोग पंकज चौधरी के व्यक्तित्व को जानते हैं, वो बखूबी समझते होंगे कि वे समन्वय बनाकर राजनीति करते रहे हैं। ऐसे में उनके प्रदेश अध्यक्ष रहने से सरकार और संगठन भी मिलकर काम कर पाएंगे। सही बात ये है कि 2022 और 2024 में कुर्मी वोटरों ने ही सपा को मजबूत किया। अब भाजपा ने पंकज चौधरी को अध्यक्ष बनाकर कुर्मी वोटरों को साधने की कोशिश की है। राजनीति में जो भी लोग सक्रिय हैं, उसमें अधिकतर लोग ऐसे होंगे, जो पंकज चौधरी से खुश भले न हो। लेकिन नाराज नहीं हो सकते। पहली बार उन्हें इतनी बड़ी जिम्मेदारी इसीलिए मिली है कि जब प्रदेश में भाजपा ध्वस्त थी, उसकी राजनीति कमर तक टूट गई थी, तब भी पंकज चौधरी ने न तो दल बदला न तो निष्ठा। मेगा इवेंट के बहाने भाजपा का चुनावी शंखनाद
भाजपा ने पंकज चौधरी की ताजपोशी को लेकर जिस तरीके से मेगा इवेंट किया। प्रदेश भर से जिला अध्यक्ष, विधायक, सांसद, निकायों के अध्यक्ष, पार्टी के पदाधिकारी और कार्यकर्ताओं को बुलाकर भाजपा ने इसके बहाने विधानसभा 2027 चुनाव का शंखनाद कर दिया। ताजपोशी कार्यक्रम में 15 हजार से अधिक कार्यकर्ताओं का जमावड़ा हुआ। ढोल-नगाड़े और उत्साह- यह सिर्फ ताजपोशी नहीं, बल्कि चुनावी मोड का ऐलान था। योगी ने बुके देकर बधाई दी, जबकि पंकज चौधरी ने पीएम मोदी, अमित शाह, जेपी नड्डा और संघ परिवार का आभार जताया। वरिष्ठ पत्रकार आनंद राय कहते हैं- पहली बार इस तरह मेगा इवेंट के जरिए भाजपा के किसी प्रदेश अध्यक्ष की ताजपोशी हुई है। इससे पहले 2012 में यूपी विधानसभा में भाजपा सिर्फ 47 सीटों पर सिमट गई थी। तब प्रदेश अध्यक्ष सूर्यप्रताप शाही ने पद से इस्तीफा दे दिया था। बीच कार्यकाल में नए अध्यक्ष के तौर पर लक्ष्मीकांत बाजपेयी की ताजपोशी हुई थी। तब इसी तरह कैपिटल हॉल में ढोल–बाजे बजाकर ताजपोशी हुई थी, लेकिन इस बार की तुलना में वो छोटा कार्यक्रम था। डबल इंजन की ताकत, क्या केशव का रिकॉर्ड तोड़ पाएंगे चौधरी?
वरिष्ठ पत्रकार आनंद राय कहते हैं- इसका जवाब तो भविष्य में ही मिलेगा। लेकिन केशव प्रसाद मौर्य ने जिस तरीके से अपने भाषण में ये कहा कि 2014 में जब केंद्र और प्रदेश में दूसरों की सरकार थी, तो 70 लोकसभा सीटें जीते थे। 2017 यूपी विधानसभा का चुनाव हुआ तो सूबे में सपा सरकार थी, तब भाजपा ने रिकॉर्ड 325 सीटें जीती थीं। अब तो केंद्र और प्रदेश में भाजपा की डबल इंजन की सरकार है। 2027 में 2017 का रिकॉर्ड तोड़ेंगे। इसके मायने साफ है कि केशव ने प्रदेश अध्यक्ष रहते हुए जो एक लंबी रेखा खींची है, अब उससे बड़ी लकीर नए अध्यक्ष पंकज चौधरी को खींचनी होगी। इसी तरह सीएम योगी ने भी नए नेतृत्व के रूप में पंकज चौधरी की तारीफ की और एसआईआर में संगठन की खुले मंच से मदद मांगी। फिर पंकज चौधरी ने अपने संबोधन में सीएम योगी के कार्यकाल की उपलब्धियों का बखान कर साफ कर दिया कि दोनों समन्वय के साथ 2027 के रण में उतरेंगे। सीएम और प्रदेश अध्यक्ष एक ही जिले से मायने क्या?
इसके सियासी फायदे समझाते हुए वरिष्ठ पत्रकार आनंद राय कहते हैं- पूर्वांचल को साधे बिना यूपी की सत्ता में कोई नहीं आ सकता है। दिल्ली की कुर्सी जैसे यूपी से होकर निकलती है, उसी तरह यूपी की सत्ता पूर्वी यूपी के समीकरणों से सधती है। पूर्वी यूपी का तेवर हमेशा से विद्रोही प्रवृत्ति का रहा है। यही कारण रहा कि आजादी से बहुत पहले 1901 में अंग्रेज भी यहीं के लोगों को मजदूर बनाकर विदेश ले गए थे। आज भी वे अपनी जड़ों की तलाश में पूर्वी यूपी या बिहार के सटे इलाकों में आते हैं। इस इलाके को हमेशा से उपेक्षित किया जाता रहा है। ये आरोप हमेशा से कांग्रेस पर लगा। अब भाजपा इसी उपेक्षा के दंश को यहां के नेताओं को सरकार और संगठन में तवज्जो देकर धो रही है। 2022 विधानसभा और 2024 के लोकसभा में पूर्वी यूपी में ही भाजपा को सबसे बड़ा डेंट लगा था। ————— ये भी खबर पढ़ें- पंकज चौधरी बोले- झुकता नहीं, लड़ता हूं:यूपी BJP अध्यक्ष बनते ही योगी के बगल बैठे; गोयल ने बताया योगी कैसे CM बने यूपी भाजपा को नया प्रदेश अध्यक्ष मिल गया है। केंद्रीय वित्त राज्यमंत्री पंकज चौधरी निर्विरोध चुन लिए गए हैं। केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल ने शंखनाद के बीच उनके नाम का ऐलान किया। निर्वाचित होते ही निवर्तमान अध्यक्ष भूपेंद्र चौधरी योगी के बगल की कुर्सी से उठ गए। उन्होंने पंकज चौधरी को पार्टी का झंडा सौंपा। फिर पंकज चौधरी, भूपेंद्र चौधरी की कुर्सी पर बैठ गए। मंच पर 7 पूर्व प्रदेश अध्यक्ष भी मौजूद थे। पंकज चौधरी ने अपना पहला भाषण दिया। कहा- मैं रूल नहीं, रोल अदा करने में विश्वास करता हूं। मेरे लिए कार्यकर्ता सर्वोपरि है। मैं आपके लिए जिऊंगा। मेरे काम करने के चार सूत्र संगठन, संपर्क, संवाद और समन्वय है। पढ़ें पूरी खबर…


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