उत्तर प्रदेश विधानमंडल का शीतकालीन सत्र का 24 दिसंबर (बुधवार) को आखिरी दिन था। कुल 4 दिन सत्र चला। इस दौरान अनुपूरक बजट समेत कई विधेयक भी सदन में रखे गए। 5 घंटे तो सिर्फ वंदेमातरम् पर बहस चली। शीतकालीन सत्र के आखिरी दिन सदन में कई मुद्दों पर चर्चा हुई। सपा विधायक डॉ. रागिनी सोनकर ने बिजली विभाग के निजीकरण को लेकर सरकार से सवाल पूछे। जिनका जवाब ऊर्जा मंत्री एके शर्मा ने दिया। वहीं, सदन में प्रदूषण का मुद्दा भी जोर-शोर से उठा। सपा विधायक कमाल अख्तर और सपा नेता आरके वर्मा ने प्रदूषण को लेकर सरकार से सवाल किए। इस पर वन एवं पर्यावरण मंत्री अरुण सक्सेना ने जवाब देते हुए कहा कि प्रदेश में पिछले तीन वर्षों में प्रदूषण बढ़ा नहीं, बल्कि कम हुआ है। आइए जानते है सदन में किन जरूरी बातों पर चर्चा हुई… सवाल: सपा विधायक कमाल अख्तर ने कहा- यूपी में प्रदूषण के कारण लाखों मौतें हुईं? जवाब: विधानसभा में वन एवं पर्यावरण मंत्री अरुण सक्सेना ने प्रदूषण के मुद्दे पर सरकार का पक्ष रखते हुए कहा कि इसका स्वास्थ्य पर गंभीर दुष्प्रभाव पड़ता है। इससे लंग कैंसर जैसी बीमारियां बढ़ती हैं। हालांकि, उन्होंने यह भी साफ किया कि यूपी में पिछले 3 साल के दौरान प्रदूषण बढ़ा नहीं, बल्कि इसमें कमी आई है। उन्होंने कहा कि पर्यावरण संरक्षण में समाज के हर वर्ग का सहयोग जरूरी है। एनसीआर क्षेत्र में प्रदूषण की स्थिति खराब रहने का एक बड़ा कारण पंजाब और हरियाणा में पराली जलाना है। इलेक्ट्रिक वाहनों को बढ़ावा दिया जा रहा। शहरों के भीतर भारी वाहनों की आवाजाही पर रोक लगाई जा रही, ताकि प्रदूषण को नियंत्रित किया जा सके। विपक्षी दलों के विधायकों ने सत्र के एजेंडे में “वंदेमातरम्” पर पांच घंटे की बहस शामिल किए जाने पर सवाल उठाया। विपक्ष का कहना है कि इतनी लंबी बहस से जनता से जुड़े अहम मुद्दों- जैसे महंगाई, बेरोजगारी, कानून-व्यवस्था से ध्यान हटाया जा रहा। सवाल: क्या राष्ट्रीय गीत पर इतनी लंबी बहस जरूरी है? जवाब: वंदेमातरम् राष्ट्रीय गीत है । यह स्वतंत्रता आंदोलन और राष्ट्रभाव से जुड़ा है। सदन में इस पर चर्चा से राष्ट्रीय एकता, संवैधानिक मूल्य और इतिहास को रेखांकित किया जा सकता है। सरकार का तर्क है कि राष्ट्र से जुड़े विषय भी जनहित का हिस्सा हैं, सिर्फ योजनाएं ही नहीं। लेकिन, 5 घंटे का समय इसके लिए जरूरी नहीं। क्योंकि विधानसभा का समय सीमित होता है। जहां महंगाई, बेरोजगारी, कानून-व्यवस्था, बिजली, किसानों की समस्याएं जैसे तात्कालिक मुद्दे लंबित रहते हैं। विपक्ष का मानना है कि 5 घंटे की बहस प्रतीकात्मक मुद्दे पर करके असली सवालों से ध्यान हटाया जा गया। जनता विधानसभा से समाधान और जवाब चाहती है, भावनात्मक विमर्श नहीं। वरिष्ठ पत्रकार राजेंद्र कुमार का कहना है कि केंद्र में इस विषय पर पहले ही बहस हो चुकी थी। ऐसे में यूपी विधानसभा में “वंदेमातरम्” पर अलग से चर्चा की कोई जरूरत नहीं थी। इस बहस में कोई नई बात सामने नहीं आई। न ही इससे किसी तरह का सार्थक निष्कर्ष निकला। राजेंद्र कुमार मानते हैं कि यह योगी सरकार का अखबारों में बने रहने का प्रयास था। बहस के दौरान कोई भी ऐसा वक्ता नहीं दिखा, जो इतिहास का गंभीर जानकार हो। कई लोग वंदेमातरम् पर चर्चा कर रहे थे, जबकि उन्हें इसका पूरा ज्ञान तक नहीं था। इस पूरी कवायद से प्रदेशहित से जुड़ा कोई ठोस काम नहीं हुआ। देशप्रेम किसी पर जबरदस्ती चर्चा कराकर नहीं थोपा जा सकता। विपक्ष को बैठाकर वंदेमातरम् कहलवाना बचपना है। सवाल: सोशल मीडिया पर अश्लील और आपत्तिजनक पोस्ट रोकने की क्या व्यवस्था है? जवाब: समाजवादी पार्टी के सदस्य डॉ. हृदय नारायण सिंह ने सोशल मीडिया के दुरुपयोग को लेकर सरकार से सवाल किया। प्रदेश में सोशल मीडिया पर आपत्तिजनक और अभद्र फोटो-वीडियो अपलोड होने से रोकने के लिए क्या कोई ठोस योजना बनाई गई? इस पर जवाब देते हुए संसदीय कार्य एवं वित्त मंत्री सुरेश कुमार खन्ना ने कहा कि सोशल मीडिया पर अभद्र टिप्पणी या सामग्री पोस्ट करना समाज के लिए गलत है। सरकार इसकी रोकथाम के लिए व्यवस्था कर चुकी है। सोशल मीडिया पर आपत्तिजनक कंटेंट रोकने के लिए आईटी एक्ट और अन्य कानूनी प्रावधान लागू हैं। ऐसे मामलों में कठोर दंड का प्रावधान है। जरूरत पड़ने पर विशेष सचिव (गृह) को कार्रवाई के लिए अधिकृत किया गया है। सवाल: साइबर अपराध पर कितनी FIR दर्ज हुई हैं? जवाब: सरकार ने सदन में कहा कि प्रदेश में साइबर क्राइम से जुड़े मामलों में लगातार FIR दर्ज की जा रही हैं। साइबर थानों और साइबर सेल के जरिए निगरानी और कार्रवाई बढ़ाई गई है। हालांकि, सत्र में सटीक संख्या सार्वजनिक रूप से नहीं बताई गई। सवाल: फेक न्यूज पर कार्रवाई क्यों नहीं दिखती? जवाब: सरकार का जवाब था कि फेक न्यूज और अफवाह फैलाने वालों पर कानून के तहत कार्रवाई की जा रही है। कई मामलों में पोस्ट हटवाने, अकाउंट ब्लॉक कराने और जांच की गई है। लेकिन, हर कार्रवाई मीडिया में दिखे, यह जरूरी नहीं। सवाल: क्या बिजली के निजीकरण को लेकर कोई अंतिम फैसला लिया जा चुका? जवाब: सपा विधायक डॉ. रागिनी सोनकर ने बिजली विभाग के निजीकरण का मुद्दा उठाया। इस पर ऊर्जा मंत्री एके शर्मा ने कहा कि सरकार की ओर से इस मामले में अभी कोई अंतिम निर्णय नहीं लिया गया है। जो भी फैसला होगा, वह राज्य की जनता के हित, बेहतर बिजली आपूर्ति और सुविधाओं को ध्यान में रखकर लिया जाएगा। सवाल: ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में बिजली आपूर्ति कितनी की जा रही? जवाब: शहरी क्षेत्रों में औसतन 24 घंटे के करीब बिजली आपूर्ति दी जा रही। जबकि, ग्रामीण क्षेत्रों में तय मानकों के अनुसार आपूर्ति सुनिश्चित की जा रही है। हालांकि विपक्ष ने दावा किया कि ग्रामीण इलाकों में कटौती अभी भी समस्या बनी हुई है, खासकर रबी फसल के समय। ऊर्जा मंत्री ने बताया कि ट्रांसफॉर्मर क्षमता बढ़ाई जा रही है, जर्जर लाइनों को बदला जा रहा है। स्मार्ट सिस्टम और निगरानी के जरिए ट्रिपिंग की समस्या कम करने पर काम चल रहा है। ————————– ये खबर भी पढ़ें… योगी बोले-मैं भजन करने नहीं आया, उसके लिए मठ है, हेकड़ी वालों को ठीक किया यूपी विधानसभा के शीतकालीन सत्र का चौथा और आखिरी दिन है। सीएम योगी ने विपक्ष के सवालों के जवाब दिए दे रहे हैं। योगी ने कहा कि यूपी में दंगा और अराजकता नहीं है। दंगे का उपचार क्या है? इस बारे में बरेली के मौलाना से पूछ लीजिए। यूपी में न कर्फ्यू है, न दंगा। अब सब कुछ चंगा है। पढ़िए पूरी खबर…
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