यूपी भाजपा के नए बॉस के नाम पर मुहर लग चुकी है। केंद्रीय वित्त राज्यमंत्री पंकज चौधरी नए प्रदेश अध्यक्ष होंगे। वह पीएम मोदी और आरएसएस के करीबी हैं। कुर्मी समुदाय से आने वाले पंकज चौधरी को अध्यक्ष बनाकर भाजपा ने भाजपा ने सपा के पीडीए की काट के साथ पिछड़े वर्ग को भी साधने की कोशिश की है। पंकज चौधरी 7 बार के सांसद और करीब चार दशक से राजनीतिक अनुभव वाले नेता हैं। उन पर पंचायत से लेकर 2027 के विधानसभा चुनाव में पार्टी नेतृत्व की अपेक्षाओं पर खरा उतरने का दारोमदार रहेगा। 11 महीने से चल रही थी मशक्कत
भाजपा प्रदेश अध्यक्ष पद के लिए यूं तो बीते 11 महीने से मशक्कत चल रही थी। 15 जनवरी, 2025 तक ही नया प्रदेश अध्यक्ष बनाने करने की बात की गई थी। लेकिन, यूपी की मिल्कीपुर सीट का उपचुनाव, फिर महाराष्ट्र, हरियाणा, दिल्ली और बिहार विधानसभा चुनावों के चलते प्रदेश अध्यक्ष नियुक्ति का मामला टलता चला गया। बिहार चुनाव में एनडीए की प्रचंड बहुमत से सरकार बनते ही केंद्रीय नेतृत्व ने सबसे पहले यूपी भाजपा अध्यक्ष पर मंथन करना शुरू किया। इस दौड़ में केंद्रीय मंत्री पंकज चौधरी, यूपी सरकार के जलशक्ति मंत्री स्वतंत्र देव सिंह दावेदार माने गए। मौर्य समाज से डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य, राज्यसभा सदस्य और प्रदेश महामंत्री अमरपाल मौर्य का नाम चर्चा में था। लोध समाज से केंद्रीय मंत्री बीएल वर्मा और पशुधन मंत्री धर्मपाल सिंह के नाम पर भी दिल्ली में मंथन हुआ। कई दौर के मंथन और संघ से रायशुमारी के बाद पार्टी नेतृत्व ने कुर्मी समाज को ही नेतृत्व देने का फैसला किया। लोकसभा में भाजपा से छिटक गया था कुर्मी वोटबैंक
राजनीतिक विश्लेषक मानते हैं, 2024 के लोकसभा चुनाव में कुर्मी समाज भाजपा से छिटक गया था। कुर्मी समाज ने सपा-कांग्रेस गठबंधन को समर्थन दिया था। इसके चलते धौरहरा से भाजपा प्रत्याशी रेखा वर्मा, सीतापुर में भाजपा प्रत्याशी राजेश वर्मा जैसे दिग्गज नेता भी चुनाव हार गए थे। प्रदेश में 80 में से 9 सांसद कुर्मी समाज से हैं। इनमें 5 सपा, 3 भाजपा और एक अपना दल से हैं। कुर्मी बहुल कटहरी विधानसभा सीट का उपचुनाव जीतने के लिए भाजपा को सत्ता और संगठन की पूरी ताकत झोंकनी पड़ी थी। लिहाजा आगामी पंचायत और विधानसभा चुनाव में कुर्मी समाज का वोटबैंक एक बार फिर भाजपा की ओर आकर्षित हो इसके लिए पंकज चौधरी को कमान सौंपी गई। इसलिए पीछे रह गए लोध नेता
सूत्रों के मुताबिक, लोध समाज में प्रदेश अध्यक्ष को लेकर एक राय नहीं बन रही थी। केंद्रीय मंत्री बीएल वर्मा प्रदेश अध्यक्ष पद के दावेदार थे। लेकिन, पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह के बेटे राजवीर सिंह राजू भैया उनका विरोध कर रहे थे। पशुधन मंत्री धर्मपाल सिंह भी दावेदार थे, लेकिन समाज के नेता उनके नाम पर भी सहमत नहीं थे। उधर, पार्टी नेतृत्व का मानना था कि लोध समाज का वोट भाजपा के साथ ही है। लोध समाज से अध्यक्ष बनाने से पिछड़े वर्ग के वोटबैंक में कोई खास इजाफा नहीं होगा। स्वतंत्र देव सिंह को लगा झटका
पंकज चौधरी के भाजपा प्रदेश अध्यक्ष बनने के बाद सबसे बड़ा राजनीतिक झटका जलशक्ति मंत्री स्वतंत्र देव सिंह को लगा है। स्वतंत्र देव को अब तक भाजपा का सबसे बड़ा कुर्मी चेहरा माना जाता था। लेकिन, अब पंकज चौधरी को प्रदेश अध्यक्ष बनाए जाने से साफ है कि पार्टी नेतृत्व कुर्मी समाज में नई लीडरशिप तैयार करना चाहता है। पंकज चौधरी 7 बार के सांसद हैं। लिहाजा उनका राजनीतिक अनुभव स्वतंत्र देव से ज्यादा है। राजनीतिक विश्लेषक मानते हैं, स्वतंत्र देव सिंह भी प्रदेश अध्यक्ष की दौड़ में थे। आरएसएस, सरकार और भाजपा का एक खेमा उनकी पैरवी भी कर रहा था। लेकिन, स्वतंत्र देव सिंह सीएम योगी के सबसे करीबी हैं। लिहाजा, केंद्रीय नेतृत्व ने सरकार और संगठन में संतुलन बनाए रखने के लिए स्वतंत्र देव के नाम पर सहमति नहीं दी। एक ही जिले से हैं सरकार और संगठन के मुखिया
आमतौर पर भाजपा में क्षेत्रीय संतुलन बनाए रखने की कोशिश की जाती है। लेकिन, पार्टी में ऐसा पहली बार हो रहा कि सरकार और संगठन एक ही जिले से होंगे। सीएम योगी का निर्वाचन क्षेत्र गोरखपुर है। वहीं, भाजपा प्रदेश अध्यक्ष पंकज चौधरी भी गोरखपुर में ही रहते हैं। वह गोरखपुर नगर निगम में डिप्टी मेयर रहे हैं। गोरखपुर मंडल के ही महराजगंज लोकसभा क्षेत्र से सांसद हैं। इससे पूर्वांचल का दबदबा बढ़ेगा। साथ ही गोरखपुर में भाजपा की राजनीति की नई दिशा दय तय होगी। ————————— यह खबर भी पढ़ें प्रयागराज में दरोगा को पीटा, धमकाया-मंत्रीजी खबर लेंगे, नंदी के साथ तस्वीरें प्रयागराज में प्रॉपर्टी डीलर ने खुद को कैबिनेट मंत्री नंदगोपाल ‘नंदी’ का समर्थक बताते हुए दरोगा और सिपाही को पीट दिया। कहा- मंत्री तुम लोगों की खबर लेंगे। शुक्रवार रात कार की टक्कर की वजह से दो गुटों में झगड़ा हुआ था। यहां पढ़ें पूरी खबर
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