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यूपी में नदी-पहाड़ को खेत बताकर किसानों का बीमा हड़पा:सरकारी कर्मचारी और बीमा कंपनी के अफसर-एजेंट्स ने फर्जी किसान खड़े किए

यूपी में सरकारी कर्मचारी और बीमा कंपनी के अफसर-एजेंट्स ने 37 करोड़ रुपए का फसल बीमा डकार लिया। ये इतने शातिर निकले कि बीमे का पैसा खाने के लिए जंगल, पहाड़, नदियों और नालों की जमीनों को कागजों पर खेत बता दिया। इतना ही नहीं, गलत डॉक्यूमेंट लगाकर ढाई लाख फर्जी किसान खड़े कर दिए। एमपी, राजस्थान, गुजरात और महाराष्ट्र के लोगों को यूपी का किसान बता दिया। बीमा प्रीमियम खुद अपनी जेब से भरते रहे, जिससे किसी को शक न हो। इन्होंने ये साजिश कैसे रची? दैनिक भास्कर की टीम ने इसका इन्वेस्टिगेशन किया। सिलसिलेवार पढ़िए पूरी कहानी… इस घोटाले का केंद्र बिंदु है- जिला महोबा। यहां घोटाले की साजिश साल 2023 में ही हो गई थी। फिर पूरे साल यानी 2024 में इसे अंजाम देते रहे। जैसे-जैसे फसल बीमा का पैसा आता गया, उसे डकारते रहे। इस तरह ये घोटाला मार्च- 2025 तक चला। इधर, जब किसानों के खातों में फसल बीमा का पैसा नहीं आया, तो अप्रैल- 2025 में उन्होंने कृषि विभाग के अफसरों को घेर लिया। इसके बाद अफसरों ने बताया कि पिछले सालों में किसानों को 80 करोड़ रुपए दिए हैं। इस जवाब से किसान हैरान रह गए। उन्होंने अपने और गांव के बाकी किसानों के बैंक खातों को चेक किया, लेकिन इनमें पैसा नहीं आया था। किसानों को शक हुआ कि हमारा पैसा अफसर-कर्मचारी खा गए हैं। जब किसानों ने लगातार धरना दिया, तो कृषि विभाग के अफसरों ने वह लिस्ट जारी कि जिन्हें बीमा का पैसा दिया। इनमें वे लोग किसान के तौर पर दर्ज थे, जिनका खेती से कोई लेना-देना नहीं था। हमारी टीम ने इन्वेस्टिगेशन कर मामले की तह तक जाने और जिम्मेदारों को सामने लाने के लिए 4 केस स्टडी की। जब हम गांव पहुंचे, तो घोटाले की परतें खुलती चली गईं। हमने इन्वेस्टिगेशन के लिए 4 काम किए गलत खातों में पैसा गया, हम इसके खिलाफ धरने पर बैठ गए
पीड़ित किसानों से मिलने के लिए हम सबसे पहले महोबा तहसील पहुंचे। यहां हमारी मुलाकात जय जवान जय किसान एसोसिएशन के गुलाब सिंह से हुई। गुलाब सिंह बताते हैं- 2024 की खरीफ फसल का प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना का पैसा गलत खातों में पहुंच गया है। इसके खिलाफ हम लोग अब भी धरना दे रहे हैं। हमारे हक का पैसा जिले और प्रदेश के बाहर के खातों में भी गया है। इफको टोकियो जनरल इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड से किसानों का बीमा हुआ था। 4 केस स्टडी… जिनके खेतों का क्लेम उन्हें नहीं मिला, फर्जी किसानों के पास गया
हम महोबा से 25 किमी दूर मोरानी गांव पहुंचे। वहां हमारी मुलाकात उन किसानों से हुई, जिनके खेतों का डॉक्यूमेंट लगाकर फर्जी तरीके से प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना का फायदा दूसरे किसानों ने उठाया। असली खेल ये है… फर्जी किसान के पिता का नाम भी गलत लिखा
इंश्योरेंस पॉलिसी में जिस गांव का पता दिया, हम वहां पहुंचे। पता चला कि यहां कोई आकाश कुमार पिता छत्रपाल राजपूत नहीं रहता। आकाश का इंडियन बैंक गौरहरी शाखा का खाता लगाया था, जिसमें बीमा क्लेम आया था। हमें पता चला कि गौरहरी में एक आकाश रहता है। हम वहां पहुंचे तो आकाश की मां मिलीं। उन्होंने बताया कि आकाश के पिता का नाम छत्रपाल नहीं अरविंद है। गांव में मिले छत्रपाल ने बताया- उनके बेटों का नाम अशोक और अनिल है। आकाश नहीं है। फिर हमने आकाश को खोजा और बात की। आकाश बोला- प्रधान के खास ने नंबर लिया था रिपोर्टर: क्या नाम है…? आकाश: आकाश राजपूत। रिपोर्टर: पिता का क्या नाम है…? आकाश: पिता का नाम अरविंद है। रिपोर्टर: छत्रपाल कौन है…? आकाश: छत्रपाल कोई नहीं है हमारे परिवार में… हमारे नाम पर कोई पॉलिसी भी नहीं। रिपोर्टर: …तो तुम्हारा नाम इस फ्रॉड में कैसे आ रहा? आकाश: हमारा नाम कैसे आ रहा, यह पता नहीं… एक बार और कॉल आई थी। रिपोर्टर: क्या तुम्हारा नंबर किसी ने लिया था? आकाश: हां, दीपू ने लिया था, गर्मियों में लिया था, अब ये नहीं पता… क्यों लिया था? रिपोर्टर: दीपू कौन है? आकाश: प्रधान का खास है। आकाश से बातचीत में साफ है कि इस फ्रॉड में फर्जी डॉक्यूमेंट्स का उपयोग किया गया है। जिस गाटा संख्या का उपयोग किया, उसकी सही जगह न दिखाते हुए सरकारी जमीन, नाला, पहाड़ और वन विभाग की जमीनों को खेत बताकर कागजों में दर्ज कर दी। जिस फर्जी किसान का नाम दर्ज किया, उसके पिता का नाम बदल दिया, जिससे गड़बड़ी पूरी तरह कर सकें। ऐसे में साबित होता है कि फ्रॉड सोच-समझकर किया है। हमारे कागज गलत तरीके से लगाकर पैसा खाया
मुरानी गांव में हमारी मुलाकात पीड़ित किसान परमलाल के भाई प्रकाश से हुई। प्रकाश बताते हैं- हमारे खेतों पर फ्रॉड हुआ है। कागजों में गलत पता दिया। जबकि वह रहने वाला पवा गांव का है। हम चाहते हैं कि आरोपियों को जेल जाना पड़े। ‘कृषि विभाग के बाबू देंवेंद्र ने लालच देकर बीमा कराया’
फसल बीमा पॉलिसी में फर्जी किसान धर्म सिंह ने अपना पता बदखेड़ा गांव दिया, लेकिन हकीकत में वह पवा गांव में रहता है। ये मुरानी गांव से डेढ़ किमी दूर है। मतलब उसका पता गलत दर्ज किया। पवा गांव में धर्म सिंह के घर पर ताला लगा मिला। हमने उसे कॉल किया। धर्म सिंह ने बताया- कृषि विभाग के बाबू देवेंद्र राजपूत ने उसे लालच दिया कि बीमा का जो पैसा आएगा, वह हमें दे देना। बदले में कृषि यंत्र योजनाओं में आपको फायदा दूंगा। धर्म सिंह की बातों से साफ हो गया कि कृषि विभाग के बाबू देवेंद्र राजपूत ने फर्जी डाक्यूमेंट्स के आधार पर बीमा की रकम हड़पी। धर्म सिंह ने यह भी कबूल किया कि सारी जानकारी बाबू ने ही दी। इससे साबित होता है कि घोटाला कृषि विभाग के अधिकारियों के बिना नहीं हो सकता। मेरे खेतों के नाम पर दूसरों का पैसा दे दिया
जब हम मुरानी गांव पहुंचे तो वहां कई किसान मौजूद थे। वे लोग अपने-अपने कागजों की जांच करा रहे थे। उन किसानों के साथ हम खेतों में पहुंचे। हमारी मुलाकात वृषभान से हुई। वह बताते हैं- मेरे खेतों के कई गाटा संख्या पर दूसरे किसानों के खातों में पैसे गए हैं। जबकि हमने सहकारी समिति से उन्हीं खेतों पर बीमा करवाया था। ऐसे कई लोग हैं, जिनके खातों में 2 लाख, 4 लाख रुपए गए हैं। हमारी मांग है कि उनको पुलिस पकड़े और जेल भेजे। हमारे पीछे जो पहाड़ दिख रहे हैं, उनका भी बीमा कराकर पैसा ले लिया है। अब चलिए, फर्जी किसान के गांव महोबा से 55 किमी दूर नगरा डांग गांव में जब हम पहुंचे, तो वहां हमने मैयादेवी पति कल्लू का घर ढूंढा। लोगों ने हमें पूरे गांव में घुमाया, लेकिन मैयादेवी का घर नहीं बताया। गांव के पूर्व प्रधान मदन सिंह से जब हमने हिडन कैमरे पर बात की तो पता चला कि गांव वाले फर्जी किसानों को बचा रहे हैं। मदन सिंह: यहां 50 फर्जी किसान हैं, इनके खातों में पैसा आया है। रिपोर्टर: क्या यह सब कृषि विभाग की मिलीभगत से हुआ है। मदन सिंह: …और क्या? हमारे नाम जमीन ही नहीं और पैसा आ गया। कृषि विभाग की मिलीभगत से ही हुआ है न…? बिना अधिकारियों की मिलीभगत के पैसा कैसे आएगा… बताओ…? रिपोर्टर: ये सब गांव में हैं या फरार हो गए? मदन सिंह: साहब… आपके आने से पहले सब फरार हो गए। इससे साफ है कि जिन लोगों के खातों में रुपया आया है, उनसे कर्मचारियों ने ले लिया। इसलिए गांव के लोग उन्हें दोषी नहीं मानते और बचाव में लगे हैं। हमें ये भी पता चला कि मैयादेवी काफी गरीब हैं। जमीन भी बहुत नहीं है, लेकिन उसके खातों में उन खेतों का पैसा आया है जो उसके पास नहीं है। ऐसे में उन्हें गिरफ्तारी का डर सता रहा है। यही वजह है कि वह सामने नहीं आईं। जिन्होंने फ्रॉड किया, उन्हें जेल जरूर भेजना चाहिए
हमारी मुलाकात पीड़ित किसान चेतराम से हुई। उन्होंने बताया- हमारी जमीन पर फर्जीवाड़ा करके 2 लाख से ज्यादा रुपया निकाल लिया। हमने शिकायत भी दर्ज कराई। हमें पैसा मिले या न मिले, लेकिन जिन्होंने फ्रॉड किया है, उनको जेल जरूर भेजना चाहिए। जब किसान नेताओं ने हमें बताया कि आप लोगों के गांव में प्रधानमंत्री बीमा फसल योजना का पैसा आ गया है। तब हमने चेक किया तो पता चला कि वह किसी और के खाते में पैसा चला गया है। फर्जी किसान के गांव में क्या मिला?
नगारा डांग में हम खरगी कोरी का घर पूछते एक जगह पहुंचे, ये पहाड़ी के पास था। यहां पीले रंग के घर की कुंडियां अंदर से बंद थी। गांववालों के मुताबिक यहां कोई नहीं है, सिर्फ बेटा है, जो बाजार गया है। पड़ोसियों ने रमेश का नंबर दिया। रमेश ने बताया- मां-पिता रिश्तेदारी में गए हैं, वह भी बाहर है, देर रात लौटेगा। इससे साफ है कि जिनके खातों में रुपए गए, उन्हें एक्सपोज होने का डर है। ऐसे में वे सामने नहीं आ रहे। इस गांव में 70% लोगों के खातों में रुपए आए हैं। ऐसे में सभी एक-दूसरे को बचाने में लगे हैं। खरगी कोरी के पास दो-तीन बीघा जमीन है। घर बढ़िया बना है। बेटा रमेश डीजे का काम करता है। जिन 4 जिम्मेदारों के नाम सामने आए, अब उनसे मिलते हैं… विभाग ने इन्हें सस्पेंड कर दिया है। जब हमने इनसे संपर्क किया तो ये मुलाकात के लिए तैयार हो गए। मैंने तो खुद जांच कर इस फर्जीवाड़े को पकड़ा
अतुलेंद्र विक्रम का कहना है कि जब 2023 में इस तरह की शिकायत सामने आई तो मैंने अधिकारी को बताया। उन्होंने मौखिक रूप से जांच करने को कहा। मैंने जांच की तो 8-10 लोगों का नाम सामने आया। जांच रिपोर्ट अधिकारी को दी। इसके बाद से कुछ लोग मेरे पीछे पड़ गए। इन लोगों ने RTI डलवाई। फिर किसानों को ले जाकर DM (डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट) के यहां खड़ा करने लगे। इसके बाद DM ने ADM और DD (डिप्टी डायरेक्टर) की अध्यक्षता में कमेटी बना दी, जिन्होंने जांच की। फर्जी किसान धर्म सिंह ने इन पर सीधे आरोप लगाया है। कृषि विभाग ने इन पर कोई कार्रवाई नहीं की। जब हम महोबा के कुलपहाड़ स्थित कृषि विभाग के दफ्तर पहुंचे तो देवेंद्र नहीं मिले। बाद में वीडियो कॉल कर इनसे बात की। फसल बीमा नहीं, लोग दूसरी वजह से मुझ पर आरोप लगा रहे फील्ड बाबू देवेंद्र का कहना है- ये सब गलत है। कुछ लोग गलत भावना रखते हैं, इसलिए झूठा आरोप लगा रहे। हम फील्ड में काम करते हैं। 4 लोगों को बीज दे दिया, बाकी को नहीं दिया, क्योंकि चार का ही टारगेट था। इसलिए बहुत से लोग शिकायत करते हैं। मैं ये विभाग भी नहीं देखता। दरअसल, जिनको फायदा नहीं मिलता, वो समझते हैं कि हमारी वजह से नहीं मिला। फिर जब भी मौका मिलता है, शिकायत करते हैं। फसल बीमा के बारे में मुझे कोई जानकारी नहीं। निखिल के खिलाफ FIR हो चुकी है, अभी तक गिरफ्तारी नहीं हुई। कंपनी से उसे नौकरी से हटा दिया। इसके बाद से ही वह महोबा से गायब है। कंपनी के लोगों ने बताया कि उन्हें नहीं मालूम, अब वह कहां मिलेगा? जब ये घोटाला हुआ, तब ये ही महोबा में कृषि विभाग के प्रमुख थे। अब ये बांदा के डिप्टी डायरेक्टर हैं। हमने इनसे बात की। कर्मचारी इन्वॉल्व होंगे, तभी तो ऐसा कुछ होता रहा
बांदा कृषि विभाग के डिप्टी डायरेक्टर अभय कुमार यादव का कहना है- देखिए… कुछ लोग तो इन्वॉल्व होंगे… ऐसा नहीं है। कुछ कर्मचारी इन्वॉल्व होंगे तभी ऐसा कुछ हाेता है। अतुलेंद्र जोड़ रहे थे… देवेंद्र फील्ड में देख रहे थे… लेकिन बीमा कंपनी और जनसेवा केंद्र के इन्वॉल्वमेंट के बिना ऐसा संभव नहीं। चूंकि हम लोग इतने व्यस्त रहते हैं कि कोई शिकायत आई तो देख लेते हैं… बस इतना ही है। अब जानिए, जांच कराने वाले अफसरों का तर्क… देवेंद्र अटैच थे, रिलीव कर दिया, पुलिस कार्रवाई करे
कृषि विभाग महोबा के डिप्टी डायरेक्टर राम सजीवन ने बताया- जो घोटाला हुआ, उसे देखकर समझ आया कि यहां बीमा बहुत होता है। ऐसे में किसान बोए या न बोए, वह खरीफ फसल का बीमा करवा लेता है। हो सकता है, हमारे विभाग के लोग भी इसमें शामिल हो। हमें प्रथमदृष्टया जो समझ आया, उसे सस्पेंड करा दिया। देवेंद्र राजपूत की जांच चल रही है। देवेंद्र यहां अटैच थे। जब मैं आया तो उन्होंने बताया कि मैं अटैच हूं। वह सॉइल कंजर्वेशन में हैं। यहां अटैच करके पुराने DD ने रखा था। मैंने उन्हें रिलीव कर दिया। अब तक 31 लोगों को गिरफ्तार किया, जांच जारी
महोबा एएसपी वंदना सिंह ने बताया- नामजद FIR 26 लोगों पर हुई थी, लेकिन जैसे-जैसे जांच आगे बढ़ी नाम बढ़ाए जा रहे हैं। अब तक 31 लोगों की गिरफ्तारी हो चुकी है। जनसेवा केंद्र सूचनाओं को अपलोड करता है। उनकी जिम्मेदारी होती है कि वे कायदे से भरें, लेकिन खतौनी गलत लगाकर अपलोड किया। चकबंदी वाले गांव की खतौनी ऑनलाइन नहीं है। ऐसे गांव में ज्यादा मामले सामने आए हैं। ———————— ये खबर भी पढ़ें… यूपी में एक घर में 45 वोटर…42 का पता नहीं, सभासद बोले- घर कई बार बिका उन्नाव जिले का पूरननगर मोहल्ला। यहां एक घर मिला। वोटर लिस्ट में उस घर के पते पर 45 लोग रजिस्टर्ड थे। घर के प्रमुख कमलेश कुमार को बीएलओ ने 45 फॉर्म दिए। कमलेश ने 3 भरकर वापस कर दिए। बाकी 42 खाली रह गए। बीएलओ ने बाकी 42 के बारे में पूछा तो कमलेश ने कहा कि हम नहीं जानते। बीएलओ साहब का सिर चकरा गया। आखिर ये कैसे हो सकता है? उन्होंने आसपास के लोगों से बात की, दूसरे मोहल्लों के लोगों से बात की। लेकिन, कहीं कुछ पता नहीं चला। पढ़ें पूरी खबर


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