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यूपी में ठंड से सब्जियों पर संकट:तापमान और गिरा तो सरसों-चने को भी नुकसान; गेहूं-आलू पर अभी असर नहीं

यूपी में इस वक्त कड़ाके की ठंड पड़ रही है। कई जिलों में पारा 5 डिग्री सेल्सियस के नीचे आ गया है। लगातार कई दिनों से धूप नहीं निकल रही। इसका असर अब फसलों और सब्जियों पर भी दिखने लगा है। कहीं टमाटर खराब हो रहे, तो कहीं प्याज की फसलें बर्बाद हो रहीं। सरसों के पेड़ भी प्रभावित हो रहे। आलू की फसल पर अभी कोई नुकसान नहीं हो रहा। वहीं किसान कहते हैं कि अगर तापमान थोड़ा और गिरा तो बहुत नुकसान हो जाएगा। दैनिक भास्कर की टीम ने यूपी के अलग-अलग हिस्सों के खेतों में गई। फसलों की स्थिति को देखा, किसानों से बात की। आने वाले मौसम में बदलाव की स्थिति से फसलों पर पड़ने वाले असर को जाना। आइए विस्तार से जानते हैं… मेरठ में सबसे ज्यादा सब्जी उत्पादन करने वाला क्षेत्र है इंचौली। यहां इतनी सब्जी पैदा होती है कि दिल्ली की आजादपुर और गाजीपुर मंडी तक सप्लाई होती है। हम इंचौली क्षेत्र में पहुंचे। ज्यादातर किसान अपने खेतों में व्यस्त थे। कोई फसल काट रहा था, तो कोई उसे सुरक्षित रखने के लिए तरह-तरह के उपाय कर रहा था। कस्बा लावड़ के किसान रणवीर सिंह अपने पारिवारिक सदस्यों के साथ प्याज की फसल काटने आए हैं, क्योंकि वो लगभग तैयार हो चुकी है। प्याज के पत्ते हल्के झुलसे हुए थे। उन्हें दिखाते हुए रणवीर कहते हैं- पाले का असर इस फसल पर भी पड़ रहा। हमने प्याज की फसल के किनारे-किनारे गेंदा के फूल लगा रखे हैं। जिससे प्याज के बड़े पत्तों की वजह से ओस की बूंदें फूलों पर न पड़ें और वो सुरक्षित रहें। रणवीर ने पड़ोसी खेत में टमाटर की फसल दिखाते हुए कहा कि इसके सारे पत्ते झुलसकर काले पड़ गए हैं। इस वजह से टमाटर की ग्रोथ रुक गई है। टमाटर बड़ा नहीं होगा, तो किसान को निश्चित रूप से नुकसान होगा। इससे थोड़ा दूर एक खेत में तुरई (तरोई) की फसल तैयार हो रही थी। इस फसल को किसान ने सफेद रंग की पॉलिथीन से ‘पॉली हाउस’ स्टाइल में कवर किया हुआ था। पॉलिथीन के ऊपर जमा ओस की बूंदें बता रही थीं कि वो रात में किस तरह फसल को बचाती है। हालांकि किसान कहते हैं कि ये तकनीक सिर्फ बहुत कम ऊंचाई वाली फसलों पर ही कारगर साबित होती है। लावड़ क्षेत्र में हमें एक किसान आलू की फसल पर स्प्रे करते हुए मिले। किसान रवि कुमार बताते हैं- पाले की वजह से आलू फसल के पत्तों पर चित्ती (धब्बा) पड़ जा रहा है। उससे पत्ते पर कालापन आ जाता है और पालेज की बढ़वार रुक जाएगी। इससे निश्चित रूप से आलू की पैदावार पर असर पड़ेगा। हम इससे बचने के लिए आलू की फसल में ट्यूबवेल से पानी छोड़कर नमी बना रहे हैं। इसके अलावा हम फसल पर स्प्रे भी कर रहे हैं। स्प्रे का असर ये है कि वो अपने आसपास मौसम में गर्माहट बनाकर रखता है। मेरठ के दौराला, मसूरी, लावड़, मवाना, इंचौली सहित कई इलाकों में हमें बड़ी संख्या में ऐसे खेत मिले, जहां पूरी की पूरी फसल के पत्ते पाले की वजह से काले पड़ गए हैं। अगर ठंड बढ़ी तो आलू-सरसों का नुकसान हो जाएगा
राजधानी लखनऊ के एकदम बगल में बाराबंकी जिला है। यहां इस वक्त न्यूनतम तापमान 6 डिग्री सेल्सियस तक जा रहा। हमारी टीम देवा साइड गई। यहीं खजूर गांव में हमें अजीत वर्मा मिले। अजीत के पास 10 बीघा खेत है। इसमें वह आलू, सरसों और गेहूं की खेती करते हैं। सर्दी से नुकसान के सवाल पर अजीत कहते हैं- इस वक्त जो मौसम है, उसमें सरसों की ही फसल को नुकसान हो सकता है। वह भी तब जब तापमान थोड़ा और नीचे होगा। इससे सरसों में जो छीमी (फली) लगती है वह टेढ़ी हो जाएगी। इससे जो सरसों एक बीघे में ढाई क्विंटल तक होनी थी, वह 1 क्विंटल से भी कम हो जाएगी। अगर सर्दी बढ़ी तो आलू को भी नुकसान होगा। इसके पत्ते पीले होकर सड़ने लगेंगे, इसे झुलसा रोग कहते हैं। पहले भी ऐसा हुआ था। हालांकि इस बार ऐसी संभावना अभी नहीं दिख रही। अभी का मौसम गेहूं की फसल के लिए अच्छा
छात्रपाल रावत के पास 10 बीघा खेत है। बगल से ही नहर भी गुजरी है। वह कहते हैं- इस वक्त मौसम सही है, आलू की फसल अच्छी होगी। सरसों-गेहूं की स्थिति भी ठीक है। इन फसलों को ऐसा ही मौसम चाहिए होता है। हमने एक बार पानी लगा दिया है। थोड़ा ही लगाया, ताकि जमीन के नीचे और ऊपर का तापमान बराबर रहे। दिनेश सिंह के पास 15 बीघा खेत है। परिवार के लोग खेती करते हैं। दिनेश कहते हैं- अभी तो किसी तरह की कोई दिक्कत नजर नहीं आ रही। हम हिसाब से पानी दे रहे हैं। सरसों में तो एक ही पानी की जरूरत पड़ती है। अभी सरसों के फूल निकल रहे हैं। किसी तरह की लासा (कीड़ा) वाली समस्या नहीं है। अगर सब सही रहा तो हर बीघे पर ढाई क्विंटल सरसों निकल जाएगा। चने में रोग लगा, स्प्रे किया, लेकिन धूप ही नहीं
लखीमपुर खीरी में चना और मटर की भी खेती पर्याप्त मात्रा में होती है। हमने यहां इन्हीं किसानों से बात की। अल्लीपुर कुलवंत सिंह चने की खेती करते हैं। वह बताते हैं- हम नॉर्मल चने के अलावा काबुली चने की भी खेती करते हैं। इस वक्त इसमें रूट-राट नाम का रोग लग गया है। हमने इससे बचाने के लिए दवा का स्प्रे किया है। लेकिन ये स्प्रे तभी फायदा करेगा, जब धूप निकलेगी। पिछले एक हफ्ते से यहां धूप ही नहीं निकली है। कुलवंत सिंह कहते हैं- अभी तो स्थिति कंट्रोल में है, लेकिन अगर ऐसा ही मौसम एक हफ्ते तक और रह गया तो चने को काफी नुकसान हो जाएगा। न सिर्फ चना, बल्कि मसूर और लाही को भी नुकसान होगा। बाकी ये जो मौसम है, इसमें गेहूं की फसल को कोई नुकसान नहीं होगा, बल्कि उसे फायदा ही होगा। रमनदीप मटर और गन्ने की खेती करते हैं। रमन के पास करीब 40 एकड़ की खेती है। वह कहते हैं- हमने मटर की बुआई गन्ने के खेत में की है। 25 अक्टूबर के बाद मटर लगा सकते हैं, हमने तभी लगा दी थी। गन्ना जमता रहता है, जनवरी में मटर आ जाती है। अभी जो मौसम है, उसका नुकसान हमारी मटर पर पड़ रहा है। सरदार वल्लभ भाई पटेल कृषि विश्वविद्यालय मोदीपुरम मेरठ के एसोसिएट प्रोफेसर डॉक्टर संजीव गुप्ता ने बताया- पाला ज्यादा पड़ने से रबी सीजन की फसलों को ज्यादा नुकसान है। इसमें भी सरसों की फसल सबसे ज्यादा प्रभावित होती है। एक तरफ जहां पत्ती झुलस जाती है, वहीं माहू कीट लग जाता है। जिन खेतों में गेहूं की अगेती बुवाई हुई है, उनमें मिनिमम टेम्प्रेचर में नुकसान हो सकता है। अक्टूबर-नवंबर में बुवाई वाला शरदकालीन गन्ना भी पाले से थोड़ा-बहुत प्रभावित होता है। इन सबसे बचने के कई तरीके हैं। जिस दिन ये लगता है कि तेज शीतलहर है या ज्यादा कोहरा है, उस दिन किसान अपने खेतों में हल्की सिंचाई कर दें। इससे खेत का तापमान सामान्य रहेगा। इसके अलावा किसान अपने खेतों के आसपास कूड़ा-करकट जलाकर धुआं कर सकते हैं। इससे तापमान बढ़ेगा तो खेत के ऊपर से कोहरा छंट जाएगा। मौसम में आद्रता अधिक होने से फसलों में फंगल वाले रोग भी लग जाते हैं। सिंचाई करके खेत का तापमान बढ़ाकर इन रोगों से बचाव किया जा सकता है। —————————- ये खबर भी पढ़ें… यूपी में नए साल पर कंपकपाएगी ठंड, अफगानिस्तान से आ रहा कोहरा; जानिए ठिठुरन बढ़ने का क्या है कारण यूपी में नए साल का जश्न कंपकंपाने वाली ठंड में ही मनेगा। शीतलहर और कोहरे का डबल अटैक रहेगा। नए साल के जश्न के बीच IMD ने पश्चिमी यूपी में बारिश की भी संभावना जताई है। पूर्वांचल के जिलों में कोहरा और शीतलहर की स्थिति बनी रहेगी। मौसम कब तक ऐसा रहेगा? ऐसा मौसम क्यों है? शीतलहर और कोहरे की स्थिति क्या है? नए साल 2026 के पहले सप्ताह में मौसम कैसा रहेगा? जनवरी में मौसम का पूर्वानुमान क्या है? पढ़िए पूरी खबर…


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