यूपी के प्रतापगढ़ में बिग-बी अमिताभ बच्चन का पैतृक गांव बाबूपट्टी अब संवरेगा। महाराष्ट्र की संस्था ने गांव को गोद लिया है। यहां अमिताभ के पिता हरिवंश राय बच्चन का जन्म हुआ था। 2006 में जया बच्चन गांव आईं थीं। उन्होंने अपने ससुर हरिवंश राय के नाम पर यहां एक लाइब्रेरी का लोकापर्ण किया था। अमिताभ कभी बाबूपट्टी गांव नहीं आए। लेकिन, 2020 में KBC में बाबूपट्टी गांव का नाम सुनकर वह भावुक हो गए थे। उन्होंने कहा था-कुछ दिन पहले ही बाबूपट्टी की बातचीत हो रही थी। जब भी मौका मिलेगा, वह बाबूपट्टी जरूर आएंगे। प्रतापगढ़ डीएम शिव सहाय अवस्थी ने कहा- महाराष्ट्र की संस्था ‘डॉ. हरिवंश राय बच्चन प्रबोधन प्रतिष्ठान’ ‘मातृभूमि योजना’ के तहत गांव को गोद लिया है। फर्स्ट फेज में गांव के डेवलपमेंट पर एक करोड़ रुपए खर्च किए जाएंगे। संस्था की ओर से गांव में होने वाले काम की लिस्ट बनाई गई। इसे मंजूरी दे दी गई है। डॉ. हरिवंश राय बच्चन प्रबोधन प्रतिष्ठान के अध्यक्ष निवृत्ती यादव ने जिला पंचायत राज अधिकारी को एक प्रस्ताव भेजा था। इसमें बाबूपट्टी गांव को गोद लेकर प्रवेश द्वार, सीसी रोड, शुद्ध पेयजल, सोलर स्ट्रीट लाइटें जैसी सुविधाएं उपलब्ध कराई जाएंगी। पहले देखें, गांव की 2 तस्वीरें… 60% गोद लेने वाली संस्था खर्च करेगी
राज्य सरकार की मातृ भूमि योजना के तहत कोई भी व्यक्ति या संस्था किसी गांव को गोद ले सकती है। पंचायती राज विभाग के साथ मिलकर उसमें डेवलपमेंट कर सकती है। इन प्रोजेक्ट्स पर खर्च होने वाले बजट का 60% गोद लेने वाले को देना होगा। जबकि 40% प्रदेश सरकार की ओर से किया जाएगा। पूर्व प्रधान बोले- अमिताभ बच्चन के गांव आने की आस
बाबू पट्टी गांव के पूर्व प्रधान पंकज शुक्ला कहते हैं- अमिताभ बच्चन यहां कभी नहीं आए। गांव को गोद लेने के बाद फिर से उनके यहां आने की आस जगी है। 5 मार्च 2006 को जया बच्चन व अमर सिंह गांव आए थे। जया ने बहू के रूप में पहले मां चौरा देवी स्थल पर माथा टेका और आरती उतारी थी। फिर परिवार की महिलाओं से मिलने के बाद मंच पर बैठी थीं। जया ने गांव में बालिका डिग्री कॉलेज खोलने के लिए घोषणा की थी। ………………. ये खबर भी पढ़ें… धर्मेंद्र यादव बोले- माफियाओं को महंगी गाड़ी गिफ्ट की गईं:कफ सिरप कांड में जाति विशेष के लोग, अरबों का धंधा किया संसद में बुधवार को यूपी का नकली कफ सिरप का मुद्दा उठा। सपा सांसद धर्मेंद्र यादव ने लोकसभा में कहा- यूपी, बंगाल, बिहार, मध्यप्रदेश में एक बड़ा रैकेट चल रहा है। एक साल से पीड़ित दर-दर भटक रहे हैं। कोई सुनवाई नहीं हुई। पूर्वांचल और बनारस के आसपास के जिलों में बड़ा खेल चल रहा है। साउथ अफ्रीका तक नकली कफ सिरप की सप्लाई हुई। कई बच्चे खत्म हो गए। उन्होंने नाम लिए बिना पूर्वांचल के माफियाओं पर निशाना साधा। कहा- जाति विशेष के माफिया इस रैकेट से जुड़े हुए हैं। इनमें कोई संवेदना नहीं है। बच्चे मरे तो मरें। बुजुर्ग मरे तो मरें। इनको पैसे मिलने चाहिए। अब तक 2000 करोड़ का कारोबार कर चुके हैं। पढ़ें पूरी खबर…
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