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यूपी के PCS अफसर बोले-यूनिफॉर्म पहनानी थी, कफन उठा रहा:बच्चों के एडमिशन की तैयारी कर रहा था; 2 बच्चे खोने वाले पिता का दर्द

‘अभी तीन दिन पहले ही उन्हें नानी के यहां छोड़कर गया था। जब जाने लगा तो बेटा बोला कि पापा मुझे चिप्स खाना है। मैंने कहा था कि अब आऊंगा तो चिप्स लेकर आऊंगा, लेकिन मैं अपने बच्चे को चिप्स भी नहीं खिला सका।’ यह कहते-कहते तेजस और अध्याय के पिता PCS अफसर विजय सिंह फफक कर रो पड़े। वह रोते हुए कहते हैं- मेरा सब कुछ उजड़ गया। बच्चे ही नहीं रहे, तो हम जिंदा रहकर क्या करेंगे। मैं तो दोनों बच्चों के स्कूल में एडमिशन की तैयारी कर रहा था। आज ड्रेस की जगह कफन उठा रहा हूं…। यही कहते हुए पिता बार-बार कफन हटाकर बच्चों का चेहरा देखते हैं और आंसुओं से भर जाते हैं। फिर रुंधे हुए गले से कुछ-कुछ बुदबुदाने लगते हैं। यह दृश्य देखकर वहां मौजूद हर किसी की आंखें नम हो जाती हैं। विजय कुमार सिंह वाराणसी के जिला सहकारी पदाधिकारी हैं। उनकी ससुराल बिहार के छपरा में 3 बच्चों समेत 4 लोगों की मौत अंगीठी के धुंए से दम घुटने से हुई है। पहले अस्पताल में गम में डूबे पिता की तस्वीरें… अब समझिए कैसे धुआं जहर बनकर मौत की वजह बना
छपरा में अंगीठी जलाकर सोए एक परिवार में धुंए से दम घुटने से 3 बच्चों और उनकी नानी की मौत हो गई। 3 लोगों की स्थिति गंभीर बनी है। सभी वेंटिलेटर पर हैं। इन चारों का पटना के रुबन हॉस्पिटल में इलाज चल रहा है। इस हादसे में मरने वालों में 3 साल के तेजस, 4 साल की अध्याय, 7 महीने की गुड़िया और 70 साल की कमलावती देवी शामिल हैं। तेजस और अध्याय सगे भाई बहन है, जबकि गुड़िया मौसेरी बहन है। कमलावती देवी इनकी नानी है। जिनकी स्थिति गंभीर है उनमें अमीषा देवी, अंजलि देवी, अमित कुमार और अमृता देवी हैं। अमीषा, अंजलि और अमित सगे भाई-बहन हैं। अमृता इनकी भाभी है। तेजस और अध्याय, अमीषा और विजय सिंह के बच्चे थे, जबकि गुड़िया अंजलि देवी की बेटी थी। घरवालों की जुबानी घटना वाली रात की कहानी पटना हॉस्पिटल में अमित के भाई मंटू सिंह से हमने बात की। मंटू सिंह ने बताया- अमीषा वाराणसी में रहती हैं। उनके पति वाराणसी में ही जिला सहकारी पदाधिकारी हैं। 3 दिन पहले बच्चों और अमीषा को लेकर छपरा आए थे। फिर वह वापस चले गए थे। मेरी बहन अंजलि छपरा में ही रहती हैं, तो वह भी आ गई थीं। अमीषा के बच्चों को थोड़ी ठंड लग गई थी। उन्हें फीवर आ गया था। छपरा में ही एक डॉक्टर से चेकअप कराया था। डॉक्टर ने कुछ दवाएं लिखीं और ठंड से बचने की सलाह दी थी। 26 दिसंबर की शाम खाना खाने के बाद सभी सोने जाने लगे। तभी ठंड से बचाव के लिए मां ने अंगीठी जला दी। उसमें धान का भूसा और गोबर के उपले जला दिए, ताकि देर तक आग जलती रहे। घर में एक बड़ा सा हॉल है। उसमें हम सभी इन बच्चों के साथ बैठे थे। यह कमरा पूरी तरह से एयर ब्लॉक था। रात 10 बजे मैं और मेरी पत्नी दूसरे कमरे में सोने चले गए। वहीं, मेरे भाई अमित, मां, मेरी दोनों बहनें और उनके बच्चे उसी हॉल में सो गए। अगले दिन सुबह काफी देर तक कोई नहीं उठा। मैंने सोचा कि आज ठंड ज्यादा है, तो नींद आ गई होगी। सभी कंबल में छिपे होंगे। जब काफी देर तक कोई नहीं उठा, तो पहले मैंने अपने भाई को फोन किया। लेकिन, किसी ने फोन नहीं उठाया। इस पर मेरी पत्नी कमरा खोलने गई। पूरा कमरा धुंए से भरा था। उन्हें लगा कि घर में आग लग गई है। जब दरवाजा खुला तो धुआं बाहर निकलने लगा और मेरी पत्नी भी बेहोश हो गई। पड़ोसी की मदद से पहुंचाया अस्पताल, फिर पटना रेफर
घटना की सूचना मिलने के बाद मौके पर पहुंचे पड़ोसी नीरज गंभीर हालत में सभी को इलाज के लिए पटना लेकर आए थे। नीरज ने हमें बताया कि जैसे ही हमें घटना की सूचना मिली, हम भागे-भागे पहुंचे। जब घर पर पहुंचे तो अमित के बड़े भाई मंटू कन्फ्यूज थे। उन्हें समझ नहीं आ रहा था कि क्या हुआ है और क्या करना है? नीरज ने आगे बताया कि हमने घर के अंदर घुसकर देखा तो बच्चों और अमित की मां की मौत हो चुकी थी। हम जल्दी-जल्दी में अमित, उनकी भाभी और उनके दोनों बहनों को छपरा सदर अस्पताल में ले गए। वहां से डॉक्टरों ने सभी को पटना रेफर कर दिया। फिलहाल पटना में इन सभी का इलाज चल रहा है। तीनों की स्थिति गंभीर बनी हुई है और सभी वेंटिलेटर पर है। बच्चों का शव देख फफक कर रो पड़े पिता
इधर, घटना की सूचना मिलने पर वाराणसी से विजय सिंह छपरा सदर अस्पताल पहुंचे। अस्पताल में अपने बच्चों की लाश देखकर विजय फफक कर रोने लगे। बार-बार कफन हटाकर अपने बच्चों का चेहरा देखते रहे। रोते हुए उन्होंने बताया कि अभी तीन दिन पहले ही उन्हें यहां छोड़कर गया था। जब जाने लगा तो बेटा मेरा बैग देखकर कहने लगा कि इसमें चिप्स रखा है। पापा मुझे चिप्स खानी है। मैंने मना किया कि चिप्स नहीं खाया जाता है, तो वह जिद करने लगा। फिर मैंने कहा कि अब आऊंगा तो चिप्स लेकर आऊंगा। वहीं गुड़िया के पिता दीपक छपरा में ही एक ऑर्नामेंट की दुकान में मैनेजर का काम करते हैं। वह भी अस्पताल में अपने बच्ची को देख-देखकर लगातार रोते रहे। छपरा सदर अस्पताल में कमलावती देवी के शव का पोस्टमॉर्टम हुआ। जबकि, बच्चों का परिवारवालों ने पोस्टमॉर्टम नहीं कराया। तीनों बच्चों का शनिवार शाम छपरा में ही अंतिम संस्कार किया गया। वहीं, कमलावती का आज अंतिम संस्कार होगा। गहरी नींद से घुटन महसूस नहीं हुई
अंगीठी से निकलने वाली कार्बन मोनोआक्साइड (CO) गैस रंगहीन और गंधहीन होती है। यह गैस धीरे-धीरे पूरे कमरे में फैलती जा रही थी। सोते हुए लोगों को इसका एहसास नहीं हो रहा था। जैसे-जैसे रात बढ़ती गई, अंगीठी सुलगती रही। कमरे की ऑक्सीजन धीरे-धीरे कम होती चली गई और जहरीली गैस हवा में घुलती रही। आधी रात के बाद बच्चे गहरी नींद में थे। 7 महीने की गुड़िया मां के पास सो रही थी। तेजस और अध्याय बिस्तर के दूसरे हिस्से में थे। नानी पास ही लेटी थीं। किसी को खांसी नहीं आई और न ही किसी ने बेचैनी महसूस की, क्योंकि CO गैस पहले दिमाग पर असर करती है। फिर इंसान सुस्त होता चला जाता है और गहरी नींद में चला जाता है। नानी के घर आए थे PCS अधिकारी के मासूम बच्चे
अंजलि की शादी बक्सर में विजय सिंह से हुई थी। विजय सिंह उत्तर प्रदेश के वाराणसी में जिला सहकारी पदाधिकारी हैं। ठंड की छुट्टियों में बच्चों को ननिहाल लाने का मकसद यही था कि बच्चे नानी के साथ समय बिता सकें। अंगीठी की वजह 6 परेशानी हो सकती हैं ———————– ये खबर भी पढ़ें
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