मेरे मोबाइल का डाटा लीक हो गया मेरी प्राइवेट फोटोज को ले लिया गया है। अब लोग उसका मिसयूज करेंगे। अरे अब मुझे आफिस में भी लोग गंदी नजरों से देखते हैं। सब मुझे देखकर हंसते हैं। मेरे मोबाइल का डाटा लीक हो गया और मेरे मोबाइल की सारी फोटो दूसरों के पास पहुंच गई हैं। अब वह इसको वायरल कर देंगे। मैंने अपना मोबाइल ठीक कराने के लिए दिया था, उसी ने मेरा सारा डाटा ले लिया है। अब मुझे नहीं जीना। मैं अपनी जान दे दूंगी। असल जिंदगी में होता एहसास यह कहानी किसी ओटीटी प्लेटफार्म में आने वाली वेबसीरीज की स्क्रिप्ट नहीं बल्कि किसी को महसूस होने वाली हकीकत है। हकीकत का मतलब यह नहीं की घटना सत्य है लेकिन किसी को ऊपर लिखी लाइनें महसूस होती हैं। यह असलियत शहर में रहने वाली एक विधवा महिला की है जो कि सिजोफ्रेनिया नाम की बीमारी के जूझ रही है। उसको ऊपर लिखी लाइनों का अपनी असल जिंदगी में एहसास होता है। वह इस बीमारी से परेशान होकर दो बार सुसाइड अटेम्ट कर चुकी है। फिलहाल उसकी काउंसिलिग मंडलीय मनोविज्ञान केंद्र में की जा रही है। खाना पीना और नहाना छोड़ा मंडलीय मनोवैज्ञानिक पूनम सिंह ने बताया कि उनके पास एक सिजोफ्रेनिया नाम की बीमारी से पीड़ित महिला आई है। जो कि दो बार अपनी आभासी जिंदगी से तंग आकर आत्महत्या करने की कोशिश कर चुकी है। उसको शक है कि उसके मोबाइल का सारा डाटा लीक हो गया। उसने अपनी बात आफिस में काम करने वाले कलीग को बताई तो उसको ब्लैकमेल करके वसूली तक कर ली गई। वह इसके बाद और अधिक परेशान हो गई। उसको लगता है कि उसके वर्कप्लेस में उसके साथ काम करने वाले कलीग उसको गंदा समझते हैं। वह बीते कई महीनों से नौकरी करने भी नहीं आ रही है। वह गुमसुम सी रहती है। उसने खाना पीना और नहाना भी छोड़ दिया है। वह केंद्र में आई तो उसकी काउंसिलिंग की गई। उसको दो सीटिंग दी जा चुकी हैं। उसकी मेंटल हेल्थ को ठीक करने के लिए काउंसिलिंग के साथ साथ साइक्रियाटिस्ट के लिए जीएसवीएम मेडिकल कालेज रेफर किया गया है। क्या है सिजोफ्रेनिया सिज़ोफ्रेनिया एक गंभीर मानसिक स्थिति है जो लोगों के सोचने, महसूस करने और व्यवहार करने के तरीके को प्रभावित करती है। इसके परिणामस्वरूप मतिभ्रम, भ्रम और अव्यवस्थित सोच और व्यवहार हो सकते हैं। मतिभ्रम में ऐसी चीजें देखना या ऐसी आवाजें सुनना शामिल है जो दूसरों को दिखाई नहीं देतीं या सुनाई नहीं देतीं। भ्रम में ऐसी चीजों के बारे में दृढ़ विश्वास शामिल होता है जो सच नहीं होतीं। पीड़ित लोग वास्तविकता से अपना संपर्क खोते हुए प्रतीत हो सकते हैं, जिससे दैनिक जीवन बहुत कठिन हो सकता है।
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