2-3 पंच मुझे और पड़ते तो गेम ओवर हो जाता। वो मुझे 95% डैमेज कर चुकी थी। फिर मैंने कलाई पर लिखा हुआ पापा का नाम देखा। तब पता नहीं कहां से मेरे शरीर में जान आ गई। मैं हिम्मत करके उठी। मम्मी-पापा को याद कर मैंने पूरी ताकत झोंक दी और यह मेडल अपने नाम किया। आखिरी 10 सेकेंड में मैंने ये फाइट जीती। ये कहना है प्रयागराज की गोल्ड मेडलिस्ट बेटी खुशबू निषाद का। उन्होंने लेबनान में एशिया MMA चैंपियनशिप में गोल्ड मेडल जीतकर इतिहास रचा है। उनके घर बधाई देने वालों का तांता लगा है। प्रदेश के बड़े नेता भी उनके घर पहुंच रहे हैं। सोशल मीडिया पर भी आम से लेकर खास तक उन्हें बधाई दे रहे हैं। खुशबू जीत के बाद 13 दिसंबर को प्रयागराज पहुंचीं, तो शहर के बड़ी संख्या में लोग एयरपोर्ट पहुंचे। वहां उनका भव्य स्वागत कर उनके घर तक रोड शो निकाला गया। उनके घर भी लोगों की भीड़ लगी रही। दैनिक भास्कर की टीम भी खुशबू के घर पहुंची। उनसे लेबनान के एक्सपीरियंस, उनके सपने और स्ट्रगल के बारे में बात की। पढ़िए रिपोर्ट… जो हुआ सिर्फ 10 सेकेंड में हुआ
भास्कर से खुशबू ने कहा- मैंने खुद को कभी लड़की नहीं समझा। मैं हमेशा से लड़के की तरह घर में रही। मुझे हमेशा से फाइटिंग का शौक था। मेरे पापा-मम्मी हमेशा मुझे खुलकर सपोर्ट करते आए हैं। जिसकी वजह से मैंने आज इतिहास रचा है। लेबनान में मेरी काम्पिटीटर ने आखिरी पलों में मुझे एकदम डैमेज कर दिया था। मेरी 95 प्रतिशत हिम्मत हार चुकी थी। फिर आखिरी के 10 सेकेंड में मेरी नजर मेरी कलाई पर गई। मैंने जैसे ही कलाई पर लिखा हुआ पापा का नाम देखा, तो पता नहीं कहां से एकदम से मेरे अंदर हिम्मत आ गई। मेरा शरीर जोश से भर गया। मैं उठकर खड़ी हुई। तभी अचानक से गेम टर्न हो गया। लास्ट 5 सेकेंड में बैक पर आई और उसको चोक कर दिया। मुझे 10 मिनट तक तो विश्वास ही नहीं हो रहा था कि मैंने कर दिखाया है। जो हुआ सिर्फ 10 सेंकेंड में। इन्हीं 10 सेकेंड में मैंने देश के लिए वो कर दिखाया, जो मैं चाहती थी। ‘भाई से मोटिवेट होकर जूडो स्टार्ट किया’
खुशबू ने कहा- मुझे तो फील नहीं हो रहा था कि मैं जीत गई हूं। मैं अपने कोच से पूंछ रही थी कि क्या मैं सच में जीत गई? क्या सच में मैंने इतिहास रच दिया? मुझे विश्वास ही नहीं हो रहा था कि मैंने यह प्रतियोगिता जीत ली है। मुझे बचपन से फाइटिंग का शौक था। मैं बचपन में ही लड़कों की तरह बॉक्सिंग करती थी। लड़कियों वाला कोई काम मैंने किया ही नहीं। धीरे-धीरे मैंने 7वीं क्लास से जूडो स्टार्ट किया। मेरा भाई भी करता था। तो मुझे उससे मोटिवेशन मिला। मेरे पापा भी पहलवानी करते थे, तो उनका जो खून था, वो मेरे अन्दर ज्यादा डॉमिनेट कर गया। भाई ने तो मार्शल आर्ट करना छोड़ दिया, लेकिन मेरे अन्दर था कि नहीं फाइटर ही बनना है। कैसे भी करके। जब मैं 12 साल की थी, तब से मैंने जूडो करना शुरू किया था। ताईक्वांडो करना शुरू किया, फिर उसके बाद MMA में स्विच किया, तो धीरे-धीरे मैं बचपन से तरह-तरह के मार्शल आर्ट सीखती थी। पापा बोलते थे- तुम अच्छा करो, मैं तुम्हारे साथ हूं
खुशबू ने बताया कि बचपन से मेरे पापा ने कभी फील नहीं होने दिया कि मैं लड़की हूं। मैं लड़की-लड़का में कभी भेद नहीं करता। तुम अच्छा करो, मैं तुम्हारे साथ खड़ा हूं। तेरा बाप तेरे साथ है। बस तू अच्छा कर। कोई कुछ भी बोले, बस आंख बंद कर अपने गोल पर ध्यान दे। एक कोच की तरह मेरे पिता ने हमेशा मुझे मोटीवेट किया। मेरी कामयाबी के पीछे मेरे माता-पिता का बहुत बड़ा योगदान है। इस प्रतियोगिता में मैं बहुत दबाव में और अकेली हो गई थी। मैं हमेशा मम्मी-पापा को काल करके परेशान करती थी। कहती थी कि पापा मुझे ऐसा लग रहा है, मम्मी मुझे ऐसा फील हो रहा है। क्योंकि मैं दो-तीन बार जा चुकी हूं एशियन के लिए भी और वर्ल्ड चैंपियन के लिए भी। तो वहा पर कभी गोल्ड नहीं ला पाई, तो मेरे अन्दर कहीं न कहीं डर था कि कहीं इस बार भी न पिट जाऊं। मतलब हार न जाऊं। ये डर हमेशा लगा रहता था। पापा मुझे बहुत हिम्मत देते थे। UP में एक MMA सेंटर खोलने की इच्छा
मेरी मां ने मुझसे जो कहा था, वो हकीकत में बदल गए। मां ने कहा था- बेटा तू उसके ऊपर चढ़ के मारेगी। हकीकत में फाइट में वही हो गया। टर्न एंड ट्विस्ट कैसे हुआ। वही नहीं समझ आ रहा। फिर उसके बाद गोल्ड जीतकर आई। पूरा श्रेय मां-पापा को देना चाहूंगी। मैं अभी और फाइट खेलूंगी। मेरी लाइफ का गोल ही यही है। मुझे ऐसा लगता है कि मैं फाइट के लिए पैदा हुई हूं। इसलिए फाइट ही करना है। फाइट के बाद जब मैं रिटायर लूंगी तो मैं UP में एक अच्छा MMA सेंटर अकादमी खोलूंगी। जिसे मैं इधर-उधर जाकर अलग-अलग स्टेट और कंट्री में जाकर सिखाऊं। जिससे दूसरे खिलाड़ियों को भटकना न पड़े। मैं ऐसा ट्रेनिंग सेंटर खोलना चाहती हूं, जैसे मैं गोल्ड जीती हूं, वैसे कल को वो भी जीत पाएं। मैं प्रयागराज के युवाओं से यही बोलना चाहूंगी कि आप लोग बहुत लकी हो, जो इस धरती पर जन्में हो। इसकी मिट्टी में ही जादू है। जो भी यहां से दृढ़ संकल्प के साथ निकलता है वह सफल जरूर होता है। आज बड़े-बड़े लोग यहां से सफल हुए हैं। बड़े-बड़े नाम हैं। हमारे संगम की त्रिवेणी देवी हैं, उनमें इतनी शक्ति है जो आटोमैटिक खून में आ जाती हैं। संगम की धरती पर जन्म लेना अपने आप में गर्व की बात है। ——————————— ये भी पढ़ें- मां की अस्थियां लेकर जा रहे 3 बेटों की मौत, बुंदेलखंड एक्सप्रेस-वे पर स्लीपर बस से टकराई बोलेरो, भतीजे की भी जान गई हमीरपुर में मां की अस्थियां विसर्जित करने जा रहे 3 बेटे समेत 4 की मौत हो गई। इनमें एक भतीजा है। परिवार के 3 लोग घायल हैं। मां की 7 दिसंबर को कैंसर के चलते मौत हुई थी। रविवार सुबह परिवार महोबा से बोलेरो में अस्थियां लेकर प्रयागराज संगम जा रहा था। बुंदेलखंड एक्सप्रेस-वे पर कोहरे के चलते स्लीपर बस ने बोलेरो को पीछे से टक्कर मार दी। पढ़िए पूरी खबर…
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