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मेरठ सेंट्रल मार्केट में व्यापारियों ने लगाए काले बैनर:ध्वस्तीकरण से सहम कर रोजी – रोटी पर आए संकट से बचाने को सरकार से गुहार

मेरठ के सेंट्रल मार्केट में ध्वस्तीकरण के सुप्रीम कोर्ट आदेश के बाद व्यापारियों की बेचैनी बढ़ गई है। व्यापारी लगातार आवास एवं विकास परिषद अधिकारियों और जनप्रतिनिधियों से मिलकर राहत की गुहार लगा रहे हैं। बाजार स्ट्रीट में दुकानों के लिए शमन शुल्क जमा कराना अनिवार्य होगा, लेकिन प्रक्रिया में आने के लिए 8 से 10 फीट तक दुकानों को ध्वस्त करना होगा, तभी शमन पर विचार संभव माना जा रहा है। इसके लिए रविवार को व्यापार बचाओ संघर्ष समिति के बैनर तले बाजार में काले पोस्टर लगाए गए। समिति का कहना है कि यह मामला एक लाख परिवारों की रोज़ी-रोटी से जुड़ा है। व्यापारी परिवार और व्यापार बचाने की मांग कर रहे हैं। कब शुरू हुआ ध्वस्तीकरण का प्रकरण सुप्रीम कोर्ट ने 17 दिसंबर को सेंट्रल मार्केट स्थित आवासीय भवन 661/6 में बने व्यावसायिक कॉम्पलेक्स को ध्वस्त करने के आदेश दिए थे। करीब 10 महीने तक कार्रवाई न होने पर आरटीआई कार्यकर्ता लोकेश खुराना ने अवमानना याचिका दायर की। इसके बाद 25- 26 अक्टूबर को भवन ध्वस्त किया गया। इसमें 22 दुकानदार अचानक सड़क पर आ गए। कुछ समय बाद व्यापारियों ने मलबे के ढेर पर बोर्ड लगाकर आसपास दुकानें फिर शुरू कर ली थीं। फिर से दोहराया जा रहा आदेश ध्वस्तीकरण की कार्रवाई के बाद सुप्रीम कोर्ट ने आवासीय भवनों में चल रही सभी अवैध व्यवसायिक गतिविधियों पर ध्वस्तीकरण का आदेश दोहराया है। इसी के चलते बाजार में बेचैनी और नाराजगी बढ़ गई है। मेन सेंट्रल मार्केट के महामंत्री निमित जैन ने बताया कि काले बैनर लगाने की कार्रवाई शुरू कर दी गई है और जल्द ही आवास विकास की अन्य कॉलोनियों में भी बैनर लगाए जाएंगे। वहीं, मलबा हटाने का काम भी शुरू हो गया है, जिसका ठेका करीब 15 लाख रुपये में दिया गया है। सुप्रीम कोर्ट में अवमानना याचिका भी दाखिल इस मामले में आरटीआई कार्यकर्ता व सच संस्था के अध्यक्ष डॉ. संदीप पहल ने तत्कालीन कमिश्नर हृषिकेश भास्कर यशोद, कैंट विधायक अमित अग्रवाल, महापौर हरिकांत अहलूवालिया, जिलाध्यक्ष विवेक रस्तोगी, नगर आयुक्त सौरभ गंगवार समेत बैठक में मौजूद अधिकारियों व जनप्रतिनिधियों के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अवमानना याचिका दाखिल की है। डॉ. पहल का आरोप है कि 27 अक्टूबर की बैठक में शेष दुकानों को न तोड़ने का आदेश दिया गया था, जो सुप्रीम कोर्ट के स्पष्ट निर्देशों के विपरीत है। इसी आधार पर सभी को वादी बनाते हुए याचिका दायर की गई है।


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