मेरठ में बोगस फर्में बनाकर और फर्जी इनवॉइस-ई-वे बिल के जरिए करीब 500 करोड़ रुपये की जीएसटी चोरी करने वाले बड़े गिरोह का एसटीएफ ने पर्दाफाश किया है। कार्रवाई में मेरठ के एक स्क्रैप कारोबारी समेत आठ आरोपियों को गिरफ्तार किया गया है। आरोपियों के कब्जे से बड़ी मात्रा में फर्जी दस्तावेज और इलेक्ट्रॉनिक साक्ष्य बरामद हुए हैं।
20 राज्यों तक फैला था नेटवर्क
एएसपी एसटीएफ बृजेश कुमार सिंह ने बताया कि 2024 में आगरा के लोहागंडी थाने में जीएसटी चोरी से जुड़ा केस दर्ज हुआ था। जांच के दौरान सामने आया कि फर्जी दस्तावेजों के आधार पर बोगस फर्मों का पंजीकरण कराकर फर्जी इनवॉइस और ई-वे बिल काटे जाते थे। इन्हें वास्तविक फर्मों को बेचकर इनपुट टैक्स क्रेडिट (ITC) दिलाया जाता था, जिससे सरकार को भारी राजस्व नुकसान हुआ। गिरोह का नेटवर्क दिल्ली, गुजरात, महाराष्ट्र, तमिलनाडु, बिहार समेत करीब 20 राज्यों में फैला था।
मेरठ-गाजियाबाद से चलता था खेल
मुख्य आरोपी दिलशाद मलिक मेरठ और गाजियाबाद में तीन दफ्तर संचालित कर रहा था। यहीं से फर्जीवाड़े की पूरी साजिश रची जाती थी। आरोपी वास्तविक फर्मों से जीएसटी नंबर, माल/सेवा का विवरण व्हाट्सएप के जरिए लेकर जीएसटी पोर्टल पर फर्जी एंट्री अपलोड करते थे। लेनदेन को वास्तविक दिखाने के लिए बोगस फर्मों के बैंक खातों के जरिए रकम का ट्रांसफर भी दर्शाया जाता था।
बरामद हुआ भारी फर्जीवाड़ा
एसटीएफ ने आरोपियों के पास से 90 फर्मों की मुहर, 54 बैंक पासबुक, 24 फर्मों की बिलिंग फाइलें और 125 बोगस फर्मों का डेटा लैपटॉप से बरामद किया है। मोबाइल और बैंक ट्रांजेक्शन की जांच में 500 करोड़ रुपये से अधिक की जीएसटी चोरी की पुष्टि हुई है।
ये आरोपी हुए गिरफ्तार
गिरफ्तार आरोपियों में दिलशाद मलिक (न्यू इस्लाम नगर), मोहम्मद वसीम (नौचंदी), मोहम्मद सुहैल (लिसाड़ी गेट), जावेद मलिक (न्यू इस्लाम नगर), इकरामुद्दीन (नौचंदी), रमेश पटेल (दिल्ली), अंकुर तिवारी (अंबेडकर नगर) और स्वतंत्र कुमार (गाजियाबाद) शामिल हैं। एसटीएफ आरोपियों से पूछताछ कर आगे की कार्रवाई में जुटी है।
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