मेरठ में 10 किलो गांजा तस्करी मामले में नए खुलासे हुए हैं। लिसाड़ी गेट पुलिस ने शालीमार गार्डन स्थित एक मूर्ति कारखाने से शादाब और सद्दाम को गिरफ्तार किया था। उनसे पूछताछ के बाद जांच का दायरा बढ़ा दिया गया है। जांच में सामने आया है कि दोनों आरोपी पिछले पांच साल से तस्करी में शामिल थे। वे पुलिस की मुखबिरी कर अपनी गतिविधियों को छिपाते थे। इनका नेटवर्क मेरठ के अलावा बिजनौर, मुजफ्फरनगर, शामली और सहारनपुर तक फैला है। पुलिस अब इन जिलों में भी उनकी डीलिंग की जानकारी जुटा रही है। पुलिस अब इस बात पर ध्यान केंद्रित कर रही है कि नशे का स्टॉक मूर्ति बनाने के कारखाने में क्यों रखा गया था। इस मामले में कारखाना मालिक सोनू और उसके पार्टनर अब्दुल भी पुलिस की जांच के घेरे में हैं। पुलिस को संदेह है कि कारखाना केवल छिपाने की जगह नहीं, बल्कि नेटवर्क का एक सक्रिय केंद्र हो सकता है। जांच से संकेत मिले हैं कि कारखाने में लंबे समय से बाहरी लोगों की आवाजाही बढ़ी थी। कुछ अधिकारियों का मानना है कि तस्कर यहां खेप बदलने और उसकी पैकिंग का काम भी करते थे। मूर्तियों में नशा भरकर सप्लाई किए जाने की आशंका भी जताई जा रही है, हालांकि इसकी अभी तक पुष्टि नहीं हुई है। पुलिस इस पहलू को भी जांच रही है। गिरफ्तार आरोपियों के मोबाइल फोन की फॉरेंसिक जांच शुरू कर दी गई है। इसमें कई महत्वपूर्ण नंबर और चैट मिलने की उम्मीद है। पुलिस का कहना है कि इस नेटवर्क से जुड़े और लोगों की गिरफ्तारी जल्द हो सकती है। पुलिस और एलआईयू की संयुक्त टीम इस पूरे नेटवर्क की जड़ तक पहुंचने में लगी है। अधिकारियों ने दावा किया है कि अगले 48 घंटों में कुछ और बड़े खुलासे हो सकते हैं।
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