मेरठ में अब कोई भी निजी अस्पताल मरीज को अपने मेडिकल स्टोर से दवा खरीदने के लिए बाध्य नहीं कर सकेगा। अगर कोई संस्थान ऐसा करता पाया गया तो उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई होगी, यहां तक कि अस्पताल का पंजीकरण रद्द किया जा सकता है। चिकित्सक पर भी कानूनी कार्यवाही तय है। इसी तरह के कुल 13 बिंदुओं पर बुधवार को मुख्य चिकित्सा अधिकारी (सीएमओ) डॉ. अशोक कटारिया ने निर्देश जारी किए हैं। बोर्ड भी लगाना अनिवार्य सीएमओ ने बताया कि जिले में फिलहाल करीब 1400 पंजीकृत निजी चिकित्सक और 300 पंजीकृत निजी अस्पताल एवं नर्सिंग होम संचालित हैं। निर्देशों के अनुसार, अब हर अस्पताल में यह बोर्ड लगाना अनिवार्य होगा कि मरीज अपनी मर्जी से कहीं से भी दवा खरीद सकता है। एक्सपायरी व निकट एक्सपायरी दवाओं के उपयोग पर पूर्ण प्रतिबंध रहेगा। अस्पतालों पर कई सख्त नियम लागू अस्पताल परिसर में कोई बाहरी एंबुलेंस चालक या दलाल मरीजों के साथ सौदेबाजी या दलाली नहीं करेगा। अस्पताल के मुख्य द्वार पर पीला बोर्ड अनिवार्य होगा, जिस पर स्पष्ट रूप से अस्पताल का रजिस्ट्रेशन नंबर, संचालक का नाम, बेड संख्या, उपलब्ध सेवाएं, चिकित्सा पद्धति व डॉक्टर/नर्सों की पूरी सूची लिखी हो।गंभीर मरीजों को समय पर हायर सेंटर रेफर किया जाए। अनावश्यक भर्ती कर आर्थिक शोषण पर तत्काल कार्रवाई की जाएगी। इलाज से जुड़े सभी रिकॉर्ड अपडेट रखना अनिवार्य होगा, जिसमें इलाज करने वाले डॉक्टर की मुहर और नाम शामिल हो। रेट-लिस्ट सार्वजनिक करना अनिवार्य सीएमओ ने कहा कि विवादों से बचने के लिए सभी निजी अस्पताल और नर्सिंग होम मुख्य द्वार पर सभी ऑपरेशन व सेवाओं की अनुमानित रेट लिस्ट चस्पा करें। बिना रेट-लिस्ट के अस्पताल संचालन पर कार्रवाई होगी। अस्पताल में दर्ज सभी डॉक्टर व पैरामेडिकल स्टाफ उपलब्ध रहें, किसी के जुड़ने या हटने पर तुरंत सीएमओ कार्यालय को जानकारी देना आवश्यक होगा। सभी स्वास्थ्यकर्मी निर्धारित यूनिफॉर्म में ही ड्यूटी करेंगे। अस्पताल में पर्याप्त पार्किंग, स्वच्छता और संक्रमण नियंत्रण के मानकों का पालन करना अनिवार्य है। सुरक्षा कर्मी केवल पंजीकृत एजेंसी से ही लिए जाएं। आयुष्मान कार्ड धारक मरीजों को बिना परेशान मिले उपचार आयुष्मान भारत योजना के लाभार्थियों के लिए उपचार पूर्णतः निशुल्क और बिना किसी परेशानी के उपलब्ध कराया जाए। मरीजों को योजनागत सुविधाएं देने में लापरवाही पर भी प्रशासन सख्त कार्रवाई करेगा सीएमओ ने स्पष्ट चेतावनी दी कि सरकारी निर्देशों का पालन न करने पर अस्पताल और डॉक्टर दोनों पर कानूनी कार्यवाही की जाएगी।
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