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मेरठ पुलिस ने शव को दूसरे थाने की सीमा में:CCTV फुटेज से ‘रेंज शिफ्टिंग’ का खुलासा, कर्मियों पर कार्रवाई की तैयारी

मेरठ में पुलिस की लापरवाही का हैरान करने वाला मामला सामने आया है। फैंटम ड्यूटी पर तैनात दो पुलिसकर्मियों ने अपने क्षेत्र में मिले एक अज्ञात शव को चोरी-छिपे उठाया। इसके बाद ई-रिक्शा में डालकर दूसरे थाना क्षेत्र में ले जाकर फेंक दिया। लेकिन पूरी घटना CCTV कैमरे में साफ रिकॉर्ड हो गई। पुलिसकर्मियों ने थाने के क्राइम स्टैटिस्टिक्स खराब होने से बचाने के लिए शव को दूसरे क्षेत्र में शिफ्ट किया। उन्होंने मृतक की न पहचान कराई और न ही कोई मामला दर्ज किया। सीधे ई-रिक्शा बुलाकर शव को लोहियानगर थाना सीमा में ले जाकर डाल दिया। सुबह जब शव मिला तो स्थानीय लोग घबरा गए। मामले की सूचना लोहियानगर थाना पुलिस को दी। मौके पर पहुंची पुलिस ने शव की पहचान कराने की कोशिश की, लेकिन सफलता नहीं मिली। इसके बाद शव को पोस्टमॉर्टम के लिए भेज दिया गया। घटना गुरुवार रात की है। शास्त्रीनगर इलाके के एल ब्लॉक चौराहे पर लगे कैमरे में कैद हुई है। पहले दो तस्वीरें देखिए…. अब जानते हैं मामला क्या है CCTV फुटेज में दिख रहा है कि रात करीब 1:50 बजे दो पुलिसकर्मी बाइक से पहुंचते हैं। उनके पीछे एक ई-रिक्शा आता है, जिसमें अज्ञात व्यक्ति का शव रखा था। पुलिसकर्मी शव को उठाकर सड़क किनारे एक दुकान के सामने रख देते हैं और बिना किसी सूचना के वहां से चले जाते हैं। ​​​​​​​ सुबह पुलिस पहुंची तो मामले का खुलासा हुआ शुक्रवार सुबह लोगों की सूचना पर लोहिया नगर थाना पुलिस मौके पर पहुंची। शव को पोस्टमॉर्टम के लिए भेजने के बाद जांच शुरू की। आसपास लगे सीसीटीवी कैमरे खंगाले गए। इस दौरान पता चला कि शव किसी अजनबी ने नहीं, बल्कि खुद पुलिसवालों ने यहां डलवाया था। कॉन्स्टेबल और होमगार्ड​​​​​​​ ने कराया शव डंप एसएसपी विपिन टाडा ने बताया कि CCTV की मदद से पता चला कि शव को एल ब्लॉक चौकी पर तैनात कॉन्स्टेबल राजेश और होमगार्ड रोहतास ने वहां फेंकवाया था। चौकी प्रभारी जितेंद्र की भी इसमें लापरवाही सामने आई। तीनों को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया गया है। SP सिटी करेंगे जांच मामले की जांच एसपी सिटी आयुष विक्रम सिंह को सौंपी गई है। उधर, स्थानीय लोगों का आरोप है कि कई बार पुलिस अपनी जिम्मेदारी से बचने के लिए शवों को एक इलाके से दूसरे इलाके में शिफ्ट कर देती है। इस मामले पर प्रतिक्रिया के लिए सिविल लाइन के अभिषेक तिवारी से संपर्क करने की कोशिश की गई, लेकिन उन्होंने कॉल रिसीव नहीं की। स्थानीय लोगों में नाराजगी है। उनका कहना है कि थाना सीमा बचाने के लिए इस तरह की हरकतें पहले भी होती रही हैं, लेकिन पहली बार इसका पुख्ता वीडियो सबूत सामने आया है, जिसने पूरी पुलिस व्यवस्था पर सवाल खड़े कर दिए हैं।


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