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मेरठ नगर निगम में गृहकर को लेकर विवाद जारी:पार्षद बोले- सुविधा शुल्क लेकर अधिकारी कम कर रहे टैक्स

मेरठ नगर निगम में गृहकर को लेकर चल रहा विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा है। एक ओर जनता भारी-भरकम और त्रुटिपूर्ण गृहकर बिलों से परेशान है, वहीं दूसरी ओर पार्षदों ने निगम प्रशासन के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। हालात यह हैं कि जिन इलाकों में न तो सीवर लाइन है और न ही नगर निगम की जलापूर्ति, वहां भी सीवर टैक्स और जलकर की वसूली धड़ल्ले से की जा रही है। नगर निगम द्वारा जीआईएस सर्वे के आधार पर शहर के लगभग 3.50 लाख भवन स्वामियों को गृहकर के बिल जारी किए गए हैं। मुख्य कर निर्धारण अधिकारी एसके गौतम के अनुसार, सर्वे में कुल 4.49 लाख भवन चिह्नित किए गए थे, लेकिन भौतिक सत्यापन के दौरान करीब एक लाख भवन अस्तित्व में ही नहीं पाए गए। इसके बावजूद वितरित बिलों में भारी विसंगतियां सामने आ रही हैं। कई इलाकों में गृहकर की राशि पांच से दस गुना तक बढ़ गई है, जिससे भवन स्वामियों में आक्रोश व्याप्त है। सुविधा शुल्क लेकर कम हो रहे बिल
पार्षदों का आरोप है कि निगम के कुछ कर्मचारी और बिचौलिए भवन स्वामियों से सुविधा शुल्क लेकर टैक्स कम कराने का खेल खेल रहे हैं। भाजपा पार्षद अनुज वशिष्ठ और दीपक वर्मा ने बताया कि कर्मचारियों द्वारा पैसे लेकर बिलों में संशोधन की शिकायतें लगातार मिल रही हैं, लेकिन व्यवस्था में कोई स्थायी सुधार नहीं हो रहा। उन्होंने चेतावनी दी कि यदि जल्द ही इस कथित वसूली और मनमाने टैक्स पर रोक नहीं लगी, तो पार्षद सड़कों पर उतरकर आंदोलन करेंगे। बिना प्रशिक्षण के तैनात किए गए कर्मचारी
गृहकर बिलों के वितरण और आपत्तियों के निस्तारण के लिए नगर निगम ने 100 अस्थायी कर्मचारियों की नियुक्ति की है, लेकिन उन्हें उचित प्रशिक्षण नहीं दिया गया। नतीजतन, जब भवन स्वामी बिलों में सुधार के लिए पहुंचते हैं तो कर्मचारी समाधान करने में असहाय नजर आते हैं। पार्षद पंकज गोयल का कहना है कि यदि निगम आपत्तियों का सही और पारदर्शी ढंग से निस्तारण कर दे, तो निगम की आय 60 करोड़ रुपये से बढ़कर 200 करोड़ रुपये तक पहुंच सकती है, लेकिन अधिकारी फिलहाल केवल खानापूर्ति में लगे हैं। महापौर ने भी जताई नाराजगी
गृहकर को लेकर बढ़ते विवाद पर महापौर हरिकांत अहलूवालिया ने भी निगम अधिकारियों से नाराजगी जताई है। शास्त्रीनगर, कंकरखेड़ा और मुख्यालय जोन में आपत्तियों के निस्तारण के लिए कैंप लगाए जाने की बात कही जा रही है, लेकिन जमीनी हकीकत यह है कि लोग अब भी निगम कार्यालयों के चक्कर काटने को मजबूर हैं। लापरवाही करने वालों पर होगी कार्रवाई
अपर नगर आयुक्त लवी त्रिपाठी ने कहा कि गृहकर से संबंधित आपत्तियों के निस्तारण की जिम्मेदारी मुख्य कर निर्धारण अधिकारी को दी गई है। सभी अधिकारियों को निर्देशित किया गया है कि भवन स्वामियों की समस्याओं का त्वरित समाधान किया जाए। लापरवाही बरतने वाले कर्मचारियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।


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