आजाद अधिकार सेना के मंडल अध्यक्ष मास्टर अजीज ठेकेदार के नेतृत्व में किसानों का एक जत्था सोमवार को किसान कमिश्नरी कार्यालय पहुंचा। उन्होंने गांव के दबंगों पर दलित किसानों की जमीनों पर अवैध कब्जा करने और उन्हें जान से मारने की धमकियां देने का आरोप लगाते हुए कार्यालय का घेराव किया। किसानों ने चेतावनी दी कि यदि 15 दिनों के भीतर उनकी जमीन वापस नहीं मिली, तो वे यहीं आत्मदाह करने पर मजबूर होंगे। आजाद अधिकार सेना ने मामले की विस्तृत स्थलीय जांच भी की। इस दौरान 50-60 से अधिक पीड़ित दलित परिवारों के बयान दर्ज किए गए, जिनमें भूमि विवादों की पुष्टि हुई। जांच में कई गंभीर तथ्य सामने आए, जिनमें 4-5 दबंग भूमाफियाओं द्वारा दलितों की जमीनों पर अवैध कब्जा, कब्जाई गई भूमि पर ठेके पर खेती कर करोड़ों रुपए की कमाई, और पोल्ट्री फॉर्म के जहरीले अपशिष्ट को सीधे गंगा नदी में डालकर गंभीर प्रदूषण फैलाने जैसे मामले शामिल हैं। जांच में कुछ राजस्व कर्मियों, विशेषकर लेखपाल नीरज की भूमिका संदिग्ध पाई गई। निष्पक्ष जांच न होने के प्रमाण भी मिले हैं। पूरे प्रकरण में भूमाफियाओं को राजनीतिक और प्रशासनिक संरक्षण मिलने की आशंका जताई गई है। दलित किसान सतीश ने बताया कि उनकी करीब 1600 बीघा जमीन पर फतेहपुर गांव के किरण पाल, नरेंद्र, ऋषि और उनके अन्य साथियों ने कब्जा कर रखा है। तहसील और एसडीएम स्तर पर शिकायतें करने के बावजूद कोई कार्रवाई नहीं हुई। उन्होंने आरोप लगाया कि जमीन वापस मांगने पर आरोपी उन्हें जान से मारने की धमकी देते हैं। किसान कमिश्नरी कार्यालय के बाहर प्रदर्शन करते हुए आजाद अधिकार सेना के कार्यकर्ताओं और पीड़ित किसानों ने प्रशासन से तुरंत कार्रवाई की मांग की।
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