बदायूं के राजकीय मेडिकल कॉलेज में पिछले पांच महीनों से मानदेय न मिलने के कारण संविदा कर्मचारियों ने मंगलवार को हड़ताल कर दी। 300 से अधिक संविदा कर्मियों ने काम बंद कर अस्पताल परिसर में नारेबाजी की, जिससे ओपीडी सेवाएं ठप हो गईं। इस कारण डेढ़ हजार से अधिक मरीजों को बिना इलाज और दवा के वापस लौटना पड़ा। सुबह करीब 9 बजे संविदा स्टाफ द्वारा ओपीडी सेवाएं बंद किए जाने से अस्पताल की व्यवस्थाएं चरमरा गईं। पंजीकरण काउंटर, पैरामेडिकल सेवाएं, लैब परीक्षण, एक्स-रे और दवा वितरण काउंटर सभी बंद हो गए। बदायूं के स्थानीय मरीजों के साथ-साथ शाहजहांपुर, बरेली, संभल और कासगंज जैसे पड़ोसी जिलों से आए मरीज भी प्रभावित हुए। प्रदर्शनकारी कर्मचारियों का आरोप है कि उन्हें भर्ती करने वाली संविदा एजेंसी ने कई महीनों से उनका वेतन जारी नहीं किया है। कर्मचारियों ने बताया कि लगातार आश्वासन दिए जाने के बावजूद उनके खातों में राशि नहीं पहुंची है। उनका कहना है कि वेतन न मिलने के कारण परिवार का खर्च चलाना मुश्किल हो गया है। जिसके चलते उन्हें मजबूरन आंदोलन का रास्ता अपनाना पड़ा। हंगामे की सूचना मिलने पर मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य डॉ. अरुण कुमार मौके पर पहुंचे। उन्होंने कर्मचारियों से बातचीत कर उन्हें शांत कराने का प्रयास किया और आश्वासन दिया कि वेतन भुगतान की समस्या का प्राथमिकता के आधार पर त्वरित समाधान किया जाएगा। प्राचार्य ने संविदा भर्ती कराने वाली एजेंसी से भी बात कर लंबित भुगतान के कारणों की जानकारी ली। हालांकि, कई कर्मचारियों ने स्पष्ट कर दिया कि जब तक उनका वेतन जारी नहीं होता, वे काम पर नहीं लौटेंगे। उनकी मुख्य मांग है कि वेतन भुगतान की एक निश्चित समय-सीमा घोषित की जाए, ताकि भविष्य में इस तरह की स्थिति दोबारा उत्पन्न न हो।
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