संतकबीरनगर जिले के मेंहदावल विकासखंड में सैकड़ों की संख्या में हैंडपंप लगाए जा रहे हैं। इन हैंडपंपों के ठीक बगल में लगे पत्थर में उर्दू अक्षरों में कुछ लिखा रहता है, लेकिन जब यह मामला लोगों में चर्चा का विषय बना तो हैंडपंप लगाने वाले अब पत्थर को घर वालों को अलग से रखने के लिए दे रहे हैं। इनकी फंडिंग और स्रोत पर सवाल उठ रहे हैं। स्थानीय प्रशासन और विकास विभाग, जल निगम के अधिकारी इन हैंडपंपों के बारे में अनभिज्ञता जता रहे हैं। पिछले एक वर्ष से मेंहदावल के लगभग एक दर्जन से अधिक गांवों में ये हैंडपंप लगाए जा रहे हैं। इनकी देखरेख विकासखंड के रहने वाले एक गांव के ही एक युवक द्वारा की जा रही है। सबसे आश्चर्यजनक बात यह है कि इन हैंडपंपों को लगाने के लिए किसी ने कोई आवेदन नहीं किया है और न ही इनके स्रोत या परियोजना के बारे में कोई जानकारी उपलब्ध है। चर्चा है कि ये हैंडपंप गरीब तबके के लोगों के घरों में लगाए जा रहे हैं। जिस युवक की देखरेख में ये हैंडपंप लग रहे हैं, उसका नेपाल आना-जाना अक्सर लगा रहता है। एक वर्ष पहले उसने नेपाल से कुछ लोगों को लाकर मेंहदावल में फास्ट-फूड की दुकान भी खोली थी, जो अब बंद हो चुकी है। वही दिल्ली धमाके के बाद मीडिया रिपोर्ट के अनुसार केंद्रीय खुफिया एजेंसी ने जो इनपुट दिया था उसमें नेपाल के रास्ते मेंहदावल में फंडिग की जानकारी दी थी। हालांकि यह पूरा जांच में स्पष्ट होगा कि यह नल किस परियोजना से लग रहा। इस मामले पर मेंहदावल के खंड विकास अधिकारी राजेश कुमार श्रीवास्तव ने बताया कि उन्हें हैंडपंप लगाने की कोई जानकारी नहीं है और विकासखंड से ऐसी कोई योजना नहीं चलाई जा रही है। इसी तरह, जल निगम के अधिशासी अभियंता महेंद्र राम ने भी स्पष्ट किया कि उनके विभाग द्वारा कोई हैंडपंप नहीं लगाया जा रहा है और उन्हें इसकी कोई सूचना नहीं है। यह घटनाक्रम तब सामने आया है जब दो सप्ताह पहले केंद्रीय खुफिया एजेंसी (IB) ने मीडिया रिपोर्ट में मेंहदावल में नेपाल के रास्ते फंडिंग की जानकारी दी थी। हैंडपंपों पर उर्दू में लिखे अक्षरों ने इस चर्चा को और बल दे दिया है कि कहीं इसका संबंध उसी फंडिंग से तो नहीं है। वहीं उपजिलाधिकारी संजीव राय ने कहा कि मामला मेरे संज्ञान में नहीं है, हम खंड विकास अधिकारी से बात कर पूरी जानकारी ले रहे।
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