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मूक-बधिर चालकों के लिए पुलिस का प्रशिक्षण:पुलिस कर्मियों को प्रशिक्षकों ने सिखाई साइन लैंग्वेज, नागरिकों को दी सड़क सुरक्षा की जानकारी

आगरा में मूक-बधिर चालकों की सुरक्षा और जागरूकता बढ़ाने के लिए पुलिस ने विशेष प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किया। पुलिस कमिश्नर के निर्देशन में 03 दिसंबर 2025 को रिज़र्व पुलिस लाइंस कमिश्नरेट स्थित शहीद प्रशांत मेमोरियल हॉल में यह कार्यक्रम आयोजित हुआ। कार्यक्रम में पुलिस उपायुक्त यातायात श्री सोनम कुमार, अपर पुलिस उपायुक्त यातायात श्री हिमांशु गौरव और सहायक पुलिस आयुक्त यातायात श्री पीयूष कांत राय ने नेतृत्व किया। कार्यक्रम का उद्देश्य मूक-बधिर चालकों की सड़क सुरक्षा सुनिश्चित करना और उन्हें यातायात नियमों, संकेतों व सुरक्षित आवागमन की जानकारी देना था। इस दौरान मूक-बधिर नागरिकों को सड़क सुरक्षा के महत्वपूर्ण नियमों, लेन अनुशासन, हेलमेट और सीट बेल्ट के उपयोग, वाहन चलाते समय सावधानियों और दुर्घटना निवारण से संबंधित विस्तृत जानकारी दी गई। सांकेतिक भाषा प्रशिक्षकों ने पुलिस कर्मियों और मूक-बधिर चालकों के बीच प्रभावी संवाद स्थापित करने के तरीकों पर विशेष प्रशिक्षण दिया। उन्होंने सिखाया कि पुलिस द्वारा इस्तेमाल किए जाने वाले हाथ संकेत और आपातकालीन परिस्थितियों में आवश्यक प्रतिक्रिया को कैसे समझा जाए। इसके साथ ही पुलिस कर्मियों को व्यावहारिक तरीके से यह भी सिखाया गया कि सड़क पर मूक-बधिर चालकों को सहायता कैसे दी जाए और उनकी प्राथमिकता कैसे सुनिश्चित की जाए। कार्यक्रम में आगरा डिवीजन एसोसिएशन ऑफ द डेफ के सदस्य भी शामिल हुए। उन्होंने पुलिस अधिकारियों के साथ बातचीत में मूक-बधिर समुदाय की विशेष जरूरतें, रोज़मर्रा की समस्याएँ और सड़क पर सुरक्षित आवागमन के दौरान आने वाली चुनौतियाँ साझा की। प्रतिभागियों ने बताया कि स्पष्ट संकेत, सहयोगात्मक व्यवहार और प्रभावी संचार व्यवस्था मूक-बधिर समुदाय की सुरक्षा और सुविधा को और मजबूत बना सकते हैं। अधिकारियों ने कहा कि सुरक्षित यातायात केवल नियमों का पालन करने तक सीमित नहीं है, बल्कि इसमें सभी नागरिकों का सहयोग, संवेदनशील व्यवहार और जागरूकता भी शामिल है। पुलिस ने सभी नागरिकों से अपील की कि वे मूक-बधिर चालकों को प्राथमिकता दें, सड़क सुरक्षा के नियमों का पालन करें और सुरक्षित यातायात संस्कृति को बढ़ावा दें। पुलिस का कहना है कि ऐसे प्रशिक्षण कार्यक्रमों से न केवल मूक-बधिर चालकों की सुरक्षा सुनिश्चित होगी, बल्कि समाज में सुरक्षित और सहयोगपूर्ण यातायात वातावरण के निर्माण में भी मदद मिलेगी। कार्यक्रम का संदेश था—“सड़क सुरक्षा हमारी सामूहिक जिम्मेदारी है और प्रत्येक नागरिक की सक्रिय सहभागिता इसे सफल बनाएगी।”


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