मुरादाबाद के जिला महिला अस्पताल में छह महीने पहले शुरू हुआ मदर मिल्क बैंक नवजात शिशुओं के लिए जीवनदायिनी साबित हो रहा है। यह उन बच्चों के लिए पोषण और सुरक्षा का विश्वसनीय माध्यम बन गया है, जिनकी माताएं बीमारी, ऑपरेशन या अन्य गंभीर स्वास्थ्य कारणों से स्तनपान कराने में असमर्थ होती हैं। मदर मिल्क बैंक के प्रभारी डॉ. प्रतीक गर्ग ने बताया कि यह पश्चिमी उत्तर प्रदेश का पहला कार्यात्मक मदर मिल्क बैंक है। इसे स्थापित करने और सुचारु रूप से चलाने में शुरुआती चुनौतियाँ आईं, लेकिन टीमवर्क और प्रशासनिक सहयोग से अब यह सफलतापूर्वक संचालित हो रहा है। उन्होंने सीएमएस और सीएमओ के योगदान की सराहना की। डॉ. गर्ग के अनुसार, अस्पताल में कई ऐसे नवजात भर्ती होते हैं जिनकी माताएं स्वास्थ्य कारणों से स्तनपान नहीं करा पातीं। कुछ मामलों में बच्चा इतना नाजुक होता है कि उसे सीधे मां का दूध नहीं दिया जा सकता। ऐसी परिस्थितियों में मदर मिल्क बैंक की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण हो जाती है। जिन माताओं का दूध पर्याप्त मात्रा में आता है, उनसे एक्सप्रेस पंप के माध्यम से दूध एकत्र किया जाता है। इस दूध को स्टरलाइज्ड बोतलों में इकट्ठा कर ठंडा किया जाता है और फिर डीप फ्रीज़र में सुरक्षित रखा जाता है। आवश्यकता पड़ने पर यही दूध नवजात शिशुओं को उपलब्ध कराया जाता है। वहीं, जिन बच्चों की माताओं का दूध बिल्कुल नहीं आता, उन्हें दान किए गए दूध से पोषण प्रदान किया जाता है। डॉ. गर्ग ने स्पष्ट किया कि सही तरीके से संग्रहीत किया गया दूध उतना ही फायदेमंद होता है, जितना तुरंत पिलाया गया दूध। मदर मिल्क बैंक शुरू होने के बाद से दूध दान करने वाली माताओं की संख्या लगातार बढ़ रही है। दूध लेने से पहले हर मां की पूरी जांच की जाती है ताकि दूध पूरी तरह सुरक्षित रहे। डॉ. गर्ग ने यह भी बताया कि यहां से न केवल अस्पताल में भर्ती बच्चों बल्कि जरूरत पड़ने पर बाहर के नवजातों को भी मां का दूध उपलब्ध कराया जाता है।
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