पश्चिमी उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर जिले में वायु प्रदूषण खतरनाक स्तर पर पहुंच गया है। एयर क्वालिटी इंडेक्स (AQI) 300 के पार चला गया, जिसे स्वास्थ्य विशेषज्ञ ‘बहुत अस्वास्थ्यकर’ श्रेणी में मानते हैं। बढ़ते प्रदूषण से सांस, आंखों में जलन और अस्थमा के मरीजों की संख्या लगातार बढ़ रही है। पेपर मिलों पर आरोप, जवाब देने बुलाई गई प्रेस कॉन्फ्रेंस बढ़ते प्रदूषण और पेपर मिलों से निकल रहे जहरीले धुएं के आरोपों के बीच उत्तर प्रदेश पेपर मिल एसोसिएशन ने मेरठ रोड स्थित फेडरेशन क्लब में प्रेस कॉन्फ्रेंस बुलाई। बैठक का मुख्य मुद्दा मिलों में कचरा और रिफ्यूज डेराइव्ड फ्यूल (RDF) जलाने से होने वाला प्रदूषण था।एसोसिएशन अध्यक्ष पंकज अग्रवाल ने शुरुआत में दावा किया कि सभी मिलें पर्यावरण नियमों का पालन कर रही हैं और प्रदूषण नियंत्रण के लिए आधुनिक तकनीक का इस्तेमाल हो रहा है। माइक संभालते ही बदला माहौल, ‘आरामको’ मिल मालिक भड़के प्रेस कॉन्फ्रेंस में जैसे ही ‘आरामको’ पेपर मिल के मालिक प्रभात ने माइक संभाला, माहौल गरमा गया। उन्होंने टैबलेट पर कुछ आंकड़े दिखाकर अपनी मिल को ‘पाक-साफ’ साबित करने की कोशिश की। लेकिन एक नेशनल अखबार की रिपोर्ट का जिक्र होते ही वे आक्रामक हो गए।रिपोर्ट में मिल से निकलते काले धुएं के वीडियो और उत्तर प्रदेश के प्रदूषण मंत्री केपी मलिक से उनके रिश्ते का जिक्र था। “मामा का नाम जोड़ा, प्रमाण क्या हैं?”—मीडिया को दी चेतावनी प्रभात ने ऊंची आवाज में कहा, “मामा केपी मलिक का नाम जोड़ा गया है, प्रमाण क्या हैं?” उन्होंने मीडिया पर भ्रामक खबरें चलाने का आरोप लगाया और धमकी भरे लहजे में कहा कि “इस बारे में कुछ सोचना-करना पड़ेगा।”इस बयान को मीडिया को डराने और राजनीतिक कनेक्शन के सहारे दबाव बनाने की कोशिश के तौर पर देखा जा रहा है। किसानों पर भी साधा निशाना, बयान से मचा बवाल प्रभात का गुस्सा यहीं नहीं थमा। उन्होंने किसान संगठनों पर टिप्पणी करते हुए कहा, “जो दिन में धरना देते हैं, वो शाम को डिमांड करते हैं।”पत्रकारों के नाम पूछने पर वे पलट गए और सफाई दी कि उनका इशारा RDF ठेकेदारों की ओर था, लेकिन तब तक बयान कैमरों में रिकॉर्ड हो चुका था। किसान संगठनों ने इसे आंदोलन को बदनाम करने की कोशिश बताया। राजनीतिक रिश्तों पर उठे सवाल प्रभात को प्रदूषण मंत्री केपी मलिक का ‘भांजा’ बताया जाता है। 2019 में स्थापित ‘आरामको’ पेपर मिल के मालिक होने के बावजूद वे प्रेस कॉन्फ्रेंस में सबसे आगे बैठे नजर आए। इससे यह सवाल उठने लगे कि क्या राजनीतिक रिश्तों की वजह से मिल पर कार्रवाई नहीं हो रही है। वायरल वीडियो बना सबसे बड़ा सबूत सोशल मीडिया पर वायरल वीडियो में ‘आरामको’ मिल की चिमनी से काला और जहरीला धुआं निकलता साफ दिखाई दे रहा है। स्थानीय लोगों का कहना है कि इससे आसपास के गांवों में बच्चों और बुजुर्गों को सबसे ज्यादा परेशानी हो रही है।स्वास्थ्य विशेषज्ञों के अनुसार, मिलों से निकलने वाला स्लज नदियों और भूजल को भी प्रदूषित कर रहा है, जिससे खेती पर असर पड़ रहा है। किसान संगठनों का पलटवार, मंत्री से इस्तीफे की मांग भारतीय किसान यूनियन (अराजनीतिक) के राष्ट्रीय प्रवक्ता धर्मेंद्र मलिक ने कहा, “अगर मामा प्रदूषण मंत्री हैं तो क्या भांजा जिले की सभी पेपर मिलों का ठेकेदार बन गया है?”उन्होंने बढ़ते प्रदूषण के लिए मंत्री केपी मलिक से इस्तीफे की मांग की। BKU ने साफ किया कि किसानों का आंदोलन पर्यावरण और स्वास्थ्य को बचाने के लिए है। अब सवाल: होगी कार्रवाई या दब जाएगा मामला? प्रेस कॉन्फ्रेंस का मकसद मिलों को आरोपों से बचाना था, लेकिन प्रभात के बयान और वायरल वीडियो ने विवाद और गहरा कर दिया।अब सवाल यह है कि क्या प्रदूषण नियंत्रण विभाग इस पर सख्त कार्रवाई करेगा या फिर बढ़ता AQI, जहरीला धुआं और लोगों की बीमारियां यूं ही अनदेखी होती रहेंगी।
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