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मुजफ्फरनगर में जहरीला धुआं उगलने वाला प्लांट बंद:श्री बालाजी टायर रिसाइक्लिंग प्लांट पर कार्रवाई, मालिक पर केस नहीं

मुजफ्फरनगर के भंडूरा गांव में जौली रोड पर स्थित श्री बालाजी एंटरप्राइजेज टायर रिसाइक्लिंग प्लांट को बंद कर दिया गया है। यह प्लांट वर्षों से पुराने टायरों से तेल निकालकर जहरीला काला धुआं उगल रहा था, जिससे इलाके की हवा प्रदूषित हो रही थी और स्थानीय निवासियों, विशेषकर बच्चों व बुजुर्गों के स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ रहा था। मीडिया रिपोर्टों और लगातार मिल रही शिकायतों के बाद उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने इस पर कार्रवाई की। बोर्ड की टीम ने स्थानीय अधिकारी गीतेश चंद्रा के नेतृत्व में 24 नवंबर 2025 को रात में प्लांट पर छापा मारा। जांच के दौरान रिएक्टर से काला धुआं निकलता पाया गया, साथ ही खुले में टायर जलाना, धूल का गुबार और प्रदूषण नियमों की अनदेखी भी सामने आई। टीम ने प्लांट मालिक जतिन पाल को फटकार लगाई और 12 दिसंबर को नोटिस जारी कर एक सप्ताह के भीतर जवाब मांगा। जतिन पाल द्वारा कोई जवाब न देने पर प्लांट का संचालन पूरी तरह से बंद कर दिया गया। सूत्रों के अनुसार, मालिक अब प्लांट बेचने की तैयारी में है। प्लांट बंद होने से भंडूरा और आसपास के गांवों के लोगों ने राहत की सांस ली है। हालांकि, इस कार्रवाई के बाद भी कई सवाल अनुत्तरित हैं। ग्रामीणों का कहना है कि इतने गंभीर पर्यावरणीय उल्लंघनों के बावजूद प्लांट मालिक जतिन पाल और ठेकेदार ओमपाल कश्यप पर आपराधिक मुकदमा क्यों दर्ज नहीं किया गया है। यह प्लांट केवल पर्यावरण के लिए ही नहीं, बल्कि मजदूरों के लिए भी शोषण का अड्डा था। कई कर्मचारियों की महीनों की सैलरी बकाया है। मजदूरों का आरोप है कि वेतन मांगने पर उन्हें धमकियां मिल रही हैं। अब मजदूर पुलिस और श्रम विभाग में शिकायत दर्ज कराने की तैयारी कर रहे हैं। एक मजदूर ने बताया, “हमने जान जोखिम में डालकर काम किया, लेकिन हमें पगार नहीं मिली और अब धमकी मिल रही है।” प्लांट में सुरक्षा के नाम पर कोई इंतजाम नहीं था। यहां न तो फायर सेफ्टी उपकरण थे और न ही फर्स्ट एड किट उपलब्ध थी। पिछले कुछ महीनों में प्लांट में तीन बार आग लगने की घटनाएं हुईं। इन हादसों में कर्मचारी नीटू कश्यप दो बार बुरी तरह झुलस गए, लेकिन उन्हें कोई मुआवजा नहीं दिया गया। प्रदूषण बोर्ड की कार्रवाई देर से होने पर भी सवाल उठ रहे हैं, क्योंकि पहले की शिकायतें अनसुनी कर दी गई थीं। अब देखना यह है कि मजदूरों को उनका बकाया वेतन, घायलों को मुआवजा और प्लांट मालिक पर कानूनी कार्रवाई कब तक की जाती है। ये सभी सवाल अभी भी बने हुए हैं।


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