3 व 4 दिसंबर को गोरखपुर दौरे पर रहे मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने ‘मिशन मंझरिया’ की जमकर तारीफ की थी। एक गांव के कायाकल्प करने वाले इस अभियान ने उन्हें अपना मुरीद बना लिया है। सीएम ने इसे शैक्षिक संस्थाओं की समाज के प्रति जिम्मेदारी का मॉडल बताया। उन्होंने गांव के प्रति संस्था की जिम्मेदारी के मॉडल स्टडी के रूप में इसे खूब सराहा। सीएम योगी ने गुरुवार को महाराणा प्रताप शिक्षा परिषद के संस्थापक सप्ताह शुभारंभ समारोह में महाराणा प्रताप महाविद्यालय जंगल धूसड़ के मिशन मंझरिया की प्रगति रिपोर्ट स्मारिका का विमोचन करते हुए कहा था कि गांव के प्रति किसी शैक्षिक संस्था की जिम्मेदारी क्या होनी चाहिए, मिशन मंझरिया इसके लिए एक मॉडल स्टडी है। उन्होंने निरक्षरता मिटाने और स्वावलंबन की राह दिखाने के लिए महाराणा प्रताप महाविद्यालय को योजक की भूमिका का सच्चा निर्वहन करने वाला बताया और मिशन मंझरिया को सभी संस्थाओं के लिए अनुकरणीय बताया। पहले जानिए क्या है ‘मिशन मंझरिया’ ‘मिशन मंझरिया’, एक गांव के कायाकल्प का अभियान है। महाराणा प्रताप महाविद्यालय जंगल धूसड़ के बीएड विभाग की तरफ से गोद लिए गए इस मंझरिया गांव में बीएड के छात्राध्यापकों ने शिक्षा, स्वास्थ्य, स्वच्छता और शासन की योजनाओं से संतृप्त करने की दिशा में सेवा की नजीर पेश की है। 2018 से ही यह अभियान चल रहा है। बीएड विभाग के छात्र-छात्राएं अपनी पढ़ाई के बाद रोज दोपहर बाद 2 से शाम 4 बजे तक इस गांव को अपना कर्मक्षेत्र बनाते हैं। वर्ष 2018 में सर्वप्रथम बीएड विद्यार्थियों ने कक्षा एक से 10 तक के विद्यार्थियों को निशुल्क कोचिंग के नाम पर पढ़ाना शुरू किया। सप्ताहभर में ही करीब 80 विद्यार्थी पंजीकृत हुए और फिर शिक्षा सेवा का यह सिलसिला बढ़ता गया। सीएम की प्रेरणा से हुई थी इस अभियान की शुरूआत
मिशन मंझरिया को मुख्यमंत्री से मिली सराहना को लेकर महाराणा प्रताप महाविद्यालय जंगल धूसड़ के प्राचार्य डॉ. प्रदीप कुमार राव का कहना है कि मिशन मंझरिया की शुरुआत गोरक्षपीठाधीश्वर एवं मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की ही प्रेरणा से हुई थी। उनकी प्रेरणा से ही महाविद्यालय ने समीप के गांवों को गोद लेकर ग्रामीणों की शैक्षिक, चिकित्सकीय सेवा और उन्हें आत्मनिर्भरता की राह दिखाने की शुरुआत मिशन मोड में की। इसमें 2018 से वर्तमान समय तक मिशन मंझरिया बीएड विभाग की अद्वितीय उपलब्धि है। यह मिशन एक गांव में आठ प्रशिक्षण केंद्रों के माध्यम से आत्मनिर्भर गांव से आत्मनिर्भर भारत की परिकल्पना को साकार करने में जुटा है। ऐसे काम होता है मिशन मंझरिया में
मुख्यमंत्री द्वारा मिशन मंझरिया का उल्लेख करने के बाद लोगों में इसके बारे में जाने की उत्सुकता भी बढ़ी है।। महाराणा प्रताप महाविद्यालय जंगल धूसढ़ में बीएड विभाग की अध्यक्ष शिप्रा सिंह के अनुसार मंझरिया गांव में 178 परिवारों के अंतर्गत 843 की आबादी है। प्रत्येक परिवार को न सिर्फ मिशन के मूल उद्देश्यों से जोड़ा गया है बल्कि उन्हें पात्रता के अनुसार केंद्र और प्रदेश सरकार की योजनाओं से भी आच्छादित कराया गया है।
बच्चों को पढ़ाई के अलावा अन्य सकारात्मक पाठ्येतर गतिविधियों में शामिल कर व्यक्तित्व विकास की पाठशाला भी शुरू हुई। इसके बाद निरक्षर महिलाओं को शिक्षित करने का अभियान शुरू हुआ। असर यह कि गांव की तकरीबन सभी महिलाएं साक्षर-शिक्षित हो चुकी हैं। शिक्षा के साथ ग्रामीणों के स्वास्थ्य और स्वच्छता पर भी जोर
शिक्षा के साथ ही मिशन मंझरिया में स्वास्थ्य और स्वच्छता को शामिल किया गया। इसके तहत श्री गुरु गोरखनाथ चिकित्सालय के गांव में हर सप्ताह सचल चिकित्सा सेवा की सुविधा ग्रामीणों को मिली। मिशन के शुरूआत से लेकर अब तक साप्ताहिक स्वास्थ्य शिविरों से 28 हजार से अधिक लोग लाभान्वित हो चुके हैं। वहीं स्वच्छता जागरूकता के क्रम में बीएड विद्यार्थियों द्वारा लगाई जाने वाली कक्षाओं के बाद प्रत्येक शनिवार को स्वैच्छिक श्रमदान शिविर का आयोजन शुरू हुआ। इसमें गांव के बच्चे, युवा, बुजुर्ग सभी की सहभागिता हुई।
इस शिविर का असर यह हुआ कि सफाई मंझरिया गांव की संस्कृति का हिस्सा बन गई है। इसी क्रम में दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय के प्राणि विज्ञान के पूर्व अध्यक्ष प्रो. दिनेश सिंह, एक घर-एक पेड़ योजनांतर्गत मौलश्री के 101 पौधे लेकर इस मिशन के साझीदार बने। इस पहल से मंझरिया में पौधरोपण कार्यक्रम एक आवश्यक अंग बन गया है। महिलाओं को स्वावलंबी बनाने की सराहनीय पहल
मिशन मंझरिया के तहत गांव की महिलाओं को स्वावलंबी बनाने की पहल भी विशेष है। इसमें बीएड की छात्राध्यापिकाओं द्वारा गांव की महिलाओं को सिलाई, कढ़ाई, पेंटिंग आदि का हुनर सिखाया जाता है। महिलाओं को खाद्य संरक्षण कार्यशाला के माध्यम से आम का स्क्वैश, मिक्स फ्रूट जैम, लहसुन, अदरक, हरी मिर्च के अचार बनाने का प्रशिक्षण दिया जाता है। प्रशिक्षण से जुड़कर महिलाएं उद्यमिता की ओर उन्मुख हो रही हैं।
प्रशिक्षण कार्यक्रम में सबसे महत्वपूर्ण उपलब्धि वर्ष 2024 में आयोजित उन्नत भारत ग्राम अभियान सिलाई-कढ़ाई प्रशिक्षण कार्यशाला रही। इसमें महिलाओं को न केवल प्रशिक्षित किया गया बल्कि आत्मनिर्भरता के लिए 46 महिलाओं को सिलाई मशीन भी मुफ्त दी गई। कई महिलाओं ने घर से टेलरिंग का व्यवसाय शुरू कर दिया है।
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