परिषदीय विद्यालयों को कॉन्वेंट स्कूलों की तर्ज पर सुविधा संपन्न बनाने का ‘मिशन कायाकल्प’ आठ साल बाद भी अधूरा है। जिले के 250 स्कूल अभी भी 19 निर्धारित मापदंडों को पूरा नहीं कर पाए हैं। इनमें से 137 विद्यालयों में चहारदीवारी नहीं है, जबकि 250 में टाइलीकरण का कार्य लंबित है। वर्ष 2017 में शुरू की गई कायाकल्प योजना का उद्देश्य राज्य और केंद्रीय वित्त से परिषदीय स्कूलों का सौंदर्यीकरण और सुविधाओं में सुधार करना था। आठ साल से अधिक समय बीत जाने के बावजूद, जिले के 250 विद्यालयों की स्थिति में अपेक्षित सुधार नहीं हुआ है। शिक्षा विभाग के आंकड़ों के अनुसार, कुल 885 स्कूलों में से लगभग 635 में ही 19 मापदंडों के तहत कार्य पूरे हो पाए हैं। भिदिउरा, रामापुर और गोदमा जैसे कई स्कूल हैं जहाँ शत-प्रतिशत कार्य पूरे नहीं हुए हैं। वर्तमान में, 37 विद्यालयों में दिव्यांग शौचालय, 137 में चहारदीवारी और 250 में टाइलीकरण का कार्य शेष है। कंपोजिट विद्यालय गोदमा में चहारदीवारी न होने के कारण पालतू मवेशी परिसर में घुस जाते हैं और पौधे उखाड़ देते हैं। ग्रामीण लालजी, कैलाश, रामजी, पप्पू और मुन्ना ने चहारदीवारी के निर्माण की मांग की है। डीसी निर्माण कुलदीप कुमार ने बताया कि ग्राम निधि का बजट कई विभागों में बंट जाने के कारण पूर्व के वर्षों की तुलना में काम की प्रगति धीमी हुई है। उन्होंने आश्वासन दिया कि सभी जगहों पर काम कराया जा रहा है और उच्चाधिकारी हर महीने प्रगति की समीक्षा करते हैं। अधूरे कार्यों को पूरा किया जा रहा है।
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