बरेली में भारत रत्न महामना पंडित मदन मोहन मालवीय और भारत रत्न श्रद्धेय अटल बिहारी वाजपेई की जयंती पर शिक्षा, संस्कृति और राष्ट्रवाद को केंद्र में रखकर एक भव्य और विचारोत्तेजक राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन किया गया। युवा फाउंडेशन, बरेली के अंतर्गत पुनरुत्थान बरेली परिवार के तत्वावधान में आयोजित यह कार्यक्रम पंडित राधेश्याम कथावाचक ऑडिटोरियम में हुआ, जहां हजारों की संख्या में ब्राह्मण समाज के लोग, सामाजिक संगठनों से जुड़े प्रतिनिधि, राजनैतिक दलों के नेता, अधिकारी और बुद्धिजीवी एक मंच पर नजर आए। मालवीय और अटल के विचारों से जोड़ा गया आज का भारत
कार्यक्रम की अध्यक्षता प्रो. अनिल शुक्ला, पूर्व कुलपति रुहेलखंड विश्वविद्यालय ने की। मुख्य वक्ता और विशिष्ट अतिथि के रूप में पवन मिश्रा, बिथरी विधायक डॉ. राघवेंद्र शर्मा, वरिष्ठ भाजपा नेता डॉ. अनिल शर्मा, आचार्य संजीव गौर, पुष्पा पांडे, साधना मिश्रा, तुलसी स्थल के महंत नीरज कमल नयन दास जी और अजय शर्मा मौजूद रहे। संगोष्ठी में शिक्षा, संस्कृति और राष्ट्रवाद के आपसी संबंधों पर विस्तार से चर्चा हुई और महामना मालवीय तथा अटल बिहारी वाजपेई के विचारों को आज के भारत से जोड़ने का प्रयास किया गया। वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से जुड़े मनोज मालवीय, शिक्षा को बताया राष्ट्र की रीढ़
कार्यक्रम में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से पूर्व डीजीपी बंगाल और महामना मदन मोहन मालवीय के प्रपौत्र मनोज मालवीय (आईपीएस) ने संबोधन किया। उन्होंने कहा कि शिक्षा किसी भी राष्ट्र की रीढ़ होती है, संस्कृति उसकी आत्मा है और राष्ट्रवाद वह चेतना है, जो समाज को एक सूत्र में बांधती है। उन्होंने महामना मदन मोहन मालवीय के शिक्षा क्षेत्र में अतुलनीय योगदान और काशी हिंदू विश्वविद्यालय की स्थापना को राष्ट्र निर्माण की मजबूत नींव बताया। साथ ही श्रद्धेय अटल बिहारी वाजपेई के विचारों, नेतृत्व और दूरदर्शिता को भारतीय लोकतंत्र की अमूल्य धरोहर करार दिया। मेयर डॉ. उमेश गौतम बोले- आलोचना आसान, काम करना सबसे मुश्किल
विशिष्ट अतिथि और बरेली के मेयर डॉ. उमेश गौतम ने कहा कि शिक्षा केवल डिग्री अर्जन का माध्यम नहीं है, बल्कि चरित्र निर्माण और राष्ट्र सेवा की आधारशिला है। उन्होंने कहा कि आलोचना करना सबसे आसान होता है, लेकिन समाज के लिए कार्य करना सबसे कठिन। अगर सभी लोग जिस भी स्थिति में हैं, वहां से एक-दूसरे की मदद करें तो समाज और देश को आगे बढ़ाने का काम होगा। उन्होंने शिक्षा और राष्ट्र निर्माण पर गंभीर चिंतन की जरूरत पर जोर दिया। देखे कुछ तस्वीरें … राष्ट्रवाद के लिए शिक्षा और संस्कृति दोनों जरूरी
बिथरी विधायक डॉ. राघवेंद्र शर्मा ने अपने संबोधन में कहा कि राष्ट्रवाद केवल नारे तक सीमित नहीं होना चाहिए, इसके लिए शिक्षा और संस्कृति दोनों का मजबूत होना जरूरी है। युवा फाउंडेशन के अध्यक्ष पवन मिश्रा ने कहा कि युवा पीढ़ी, शिक्षक समाज और बुद्धिजीवी वर्ग राष्ट्र की वास्तविक शक्ति हैं। शिक्षा को केवल रोजगार तक सीमित न रखकर उसे राष्ट्र सेवा से जोड़ना आज की सबसे बड़ी जरूरत है। व्यवहार में उतरे शिक्षा और संस्कृति, तभी होगा बदलाव
अध्यक्षीय भाषण में प्रो. अनिल शुक्ला ने कहा कि जब शिक्षा, संस्कृति और राष्ट्रवाद केवल भाषणों में नहीं बल्कि व्यवहार में उतरते हैं, तभी समाज में वास्तविक परिवर्तन संभव होता है। कार्यक्रम का विषय प्रवर्तन और मंच संचालन डॉ. राहुल अवस्थी ने किया, जिनकी प्रभावशाली प्रस्तुति ने पूरे सभागार को भावविभोर और प्रेरित किया। सभी दलों, संगठनों और धर्मगुरुओं की रही मौजूदगी
विचार गोष्ठी में सिटी मजिस्ट्रेट अलंकार अग्निहोत्री, पूर्व आईएमए अध्यक्ष डॉ. विमल भारद्वाज, कांग्रेस प्रदेश प्रवक्ता डॉ. केबी त्रिपाठी (गुरुजी), महामंडलेश्वर शिवानंद महाराज सहित कई राजनीतिक दलों के प्रतिनिधि, अधिकारी, सामाजिक संगठन और धर्मगुरु मौजूद रहे। कार्यक्रम के दौरान स्कूली बच्चों ने सांस्कृतिक प्रस्तुतियां भी दीं, वहीं समाज के विभिन्न क्षेत्रों में योगदान देने वाले कई लोगों को सम्मानित किया गया। इन लोगों ने निभाई आयोजन को सफल बनाने में अहम भूमिका
इस भव्य आयोजन को सफल बनाने में पवन मिश्रा, केशव शंखधार, अवनीश चौबे, रजत मिश्रा, शुभम द्विवेदी, सोनू पाठक, श्रेयांश बाजपेई, कुणाल मिश्रा, शिवेंद्र नाथ चौबे, राजू उपाध्याय, सुधांशु शर्मा, वेदांश पाठक, प्रतेश पांडे, आर्येन्द्र मिश्र, विशाल शुक्ला, अनमोल तिवारी, केबी त्रिपाठी गुरुजी श्रेष्ठ आइएएस, पारस शुक्ला, आशुतोष मिश्रा, गौरव शर्मा, नीलिमा पाठक, वंदना पांडे, पूजा दुबे, विक्की भरतौल, दीपक शर्मा, कुमार विनय सहित अनेक सहयोगियों और कार्यकर्ताओं की महत्वपूर्ण भूमिका रही। विचारों को जनमानस तक पहुंचाने का सार्थक प्रयास
कुल मिलाकर यह राष्ट्रीय संगोष्ठी महामना मदन मोहन मालवीय और श्रद्धेय अटल बिहारी वाजपेई के विचारों, शिक्षा, संस्कार, संस्कृति और राष्ट्र निर्माण को जनमानस तक पहुंचाने का एक सार्थक और प्रेरणादायी प्रयास साबित हुई। कार्यक्रम के अंत में आयोजकों ने सभी अतिथियों और सहभागियों के प्रति आभार व्यक्त किया।
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