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मालदीव में परवेज आतंकी संगठनों से जुड़ा:बहन शाहीन के लिए स्लीपर सेल था, लखनऊ में पिता ने बंद किया दरवाजा

दिल्ली ब्लास्ट की मास्टरमाइंड डॉक्टर शाहीन के लखनऊ स्थित घर पर ताला बंद है। बाहर 2 पुलिसकर्मी तैनात हैं। हालांकि, शाहीन के पिता अंदर मौजूद हैं। मीडिया और पुलिस की आवाजाही से मोहल्ले वालों ने भी खुद को घरों में बंद कर लिया है। वहीं, ATS, NIA समेत तमाम खुफिया एजेंसियां यूपी में शाहीन और उसके भाई डॉ. परवेज अंसारी का कच्चा-चिट्‌ठा निकालने में जुटी हुई हैं। एजेंसी सोर्सेज के मुताबिक, शाहीन का भाई परवेज 2021 में लखनऊ आने से पहले मालदीव में नौकरी करता था। वह वहां करीब 3 साल तक रहा। वहीं पर वह पाकिस्तान टेरर ग्रुप के लोगों के संपर्क में आया। इसके बाद शाहीन के कहने पर वह लखनऊ लौटा था। फिर बहन शाहीन के साथ कई बार वह जम्मू-कश्मीर भी गया। शाहीन और परवेज 2 महीने तक एक साथ कश्मीर में रहे थे। परवेज यूपी में शाहीन के लिए स्लीपर सेल की तरह काम कर रहा था। मोहल्ले के लाेगाें ने दैनिक भास्कर से बातचीत में बताया कि परवेज मालदीव में नौकरी करता था। वहां से लखनऊ आने के बाद वह बिल्कुल बदल गया। यहां मड़ियांव में अलग घर बनाकर रहने लगा। वहीं, पड़ोसियों का कहना है- ये परिवार हमेशा से काफी शांति से रहा। इस घर के बच्चों ने कभी किसी से झगड़ा तक नहीं किया। अब पढ़िए एजेंसी और पड़ोसियों ने जो बताया- मालदीव में नौकरी के दौरान परवेज टेरर खुफिया एजेंसियां को डॉ. परवेज का ‘टेरर कनेक्शन’ मालदीव से जुड़ा मिल रहा है। इस बात की तस्दीक मोहल्ले के एक बुजुर्ग पड़ोसी अशरफ खान ने भी दैनिक भास्कर से बातचीत में की। उन्होंने बताया कि परवेज मालदीव में मेडिकल कॉलेज में डॉक्टर था। वहीं से उसकी सोच बदली होगी। शाहीन तो सालों से यहां दिखी ही नहीं। उसमें भी विदेश जाने की दिलचस्पी बचपन से थी। जांच एजेंसियों के मुताबिक, मालदीव में नौकरी के दौरान ही परवेज ने विदेशी टेरर नेटवर्क से संपर्क साधा था, जिसे बाद में आकर भारत में उसने एग्जिक्यूट किया। इसमें उसकी बहन शाहीन ने मदद की। वह परवेज को लेकर अपने दोस्तों के पास गई। शाहीन इस पूरे ग्रुप की मास्टरमाइंड थी। यूपी में परवेज ने बहन के साथ मिलकर नेटवर्क बनाया। इसलिए वह अपने पिता से दूर अलग रहता था। यहां तक कि पत्नी और बेटी से भी अपना रिश्ता तोड़ लिया। खुफिया एजेंसियां परवेज के मालदीव कनेक्शन की भी पड़ताल कर रही हैं। परवेज इतना शातिर था कि वह मोहल्ले में किसी से बात तक नहीं करता था, ताकि उस पर किसी को शक न हो। वह कभी अपने बेटी से मिलने तक नहीं गया। मोहल्ले वाले भी दबी जुबान से कहते दिखे कि जो अपने परिवार का नहीं हुआ, वो बाकियों की चिंता क्या ही करेगा। शरीफ परिवार था, ईद-बकरीद में नहीं दिखे बच्चे लालबाग के खंदारी बाजार में शाहीन के घर से चार कदम दूर मस्जिद है। नमाज के बाद लोग जब निकले तो भास्कर टीम ने बातचीत की। हर किसी की जुबान पर एक ही बात सुनी कि ये परिवार बहुत शरीफ था। बच्चों को ईद-बकरीद में भी नहीं देखा। सभी पढ़ने में तेज थे, कभी किसी से झगड़ा तक नहीं हुआ। पड़ोसी अयान बोले- हमें तो अब पता चला कि उनके घर में कोई बेटी भी है। शाहीन को कभी देखा ही नहीं। इससे साफ है कि वह अपनी पहचान छिपाकर रखती थी। भाई बोले- जो दोषी है, वही सजा पाए डॉ. शाहीन के बड़े भाई डॉ. शोएब का कहना है कि हम जांच एजेंसियों का पूरा सहयोग कर रहे हैं। दिल्ली ब्लास्ट में जो भी शामिल हैं, वे अपराधी हैं। मेरी शाहीन से 4 साल से बात नहीं हुई। हमारे घर से कुछ भी बरामद नहीं हुआ। शाहीन के बच्चे उसके पहले पति के साथ रहते हैं। हम लोगों का किसी भी गलत काम से कोई लेना-देना नहीं है। शाहीन जैश-ए-मोहम्मद और अंसार गजवत-उल-हिंद से जुड़ी थी फरीदाबाद से 10 नवंबर को 2900 किलो IED जब्त किया गया। उसके बाद 6 लोगों को गिरफ्तार किया गया। उसी दिन शाम तक डॉ. शाहीन फरीदाबाद से ही गिरफ्तार AK-47 के साथ गिरफ्तार कर ली गई। जम्मू-कश्मीर पुलिस उसे अपने साथ ले गई। उसके बाद अगले ही दिन यूपी ATS को साथ लेकर डॉ. शाहीन के घर पर छापा मारा। उसके भाई डॉ. परवेज के घर में भी छापा मारा। इस दौरान परवेज के घर से कई दस्तावेज जब्त किए गए। वहीं शाहीन के घर में करीब 6 घंटे तक जांच चली। खुफिया एजेंसियों को शक है कि शाहीन पाकिस्तान बेस्ड आतंकी संगठनों जैश-ए-मोहम्मद (JeM) और अंसार गजवत-उल-हिंद (AGuH) से जुड़ी थी। आईजी लॉ एंड ऑर्डर एलआर कुमार का कहना है कि शाहीन से हर पॉइंट पर पूछताछ की जा रही है। जल्द ही पूरी डिटेल सामने आएगी। कश्मीर में भी नेटवर्क के तार मिले हैं। अब शाहीन के कारनामे जानिए… 2013 में सस्पेंड होने के बाद रहस्यमयी गुमशुदगी 2013 वह साल था जब शाहीन के करियर की दिशा बदल गई। उस वक्त वह कानपुर के जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज में प्रवक्ता थी। वहां से लगातार गैरहाजिर रहने, अनुशासनहीनता और ‘बिना अनुमति गैरहाजिर रहने’ के आरोपों के चलते उसे सस्पेंड कर दिया गया। इसके कुछ ही दिन बाद वह रहस्यमयी तरीके से लापता हो गई। परिवार के पास उनकी न कोई जानकारी थी और न संपर्क। विभागीय रिकॉर्ड में उनका नाम ड्यूटी से फरार दर्ज किया गया। शादी के 11 साल बाद 2014 में तलाक ले लिया 2003 में शाहीन की शादी महाराष्ट्र के नेत्र रोग विशेषज्ञ डॉ. जफर हयात से हुई थी। उनसे मतभेद बढ़े और 2014 में तलाक हो गया। तलाक के बाद वह पूरी तरह परिवार से अलग हो गईं। पिता सईद अंसारी हेल्थ डिपार्टमेंट से सीनियर पद से रिटायर्ड हैं। वह कहते हैं कि मेरी बेटी डॉक्टर है, उसने जिंदगीभर सेवा की है। मुझे यकीन नहीं कि वह किसी गलत रास्ते पर भी जा सकती है। 2021 में बर्खास्त हुई, नए ठिकानों का खेल शुरू लगातार गैरहाजिर रहने पर मेडिकल एजुकेशन विभाग ने 2021 में शाहीन को बर्खास्त कर दिया। आधिकारिक रूप से उन्होंने बताया कि उन्हें किसी नए कॉलेज में जॉब मिली है, लेकिन असल में वह फरीदाबाद मॉड्यूल के संपर्क में थी। उधर, इसी दौरान उनका छोटा भाई डॉ. परवेज सैयद अंसारी लखनऊ की इंटीग्रल यूनिवर्सिटी में मेडिसिन विभाग में सीनियर रेजिडेंट के तौर पर जुड़ा। 6 नवंबर 2025 को जब पहली गिरफ्तारी हुई, अगले ही दिन 7 नवंबर को डॉ. परवेज ने इस्तीफा दे दिया। सूत्रों का दावा है कि परवेज ने अपने इस्तीफे में कारण नहीं बताया, पर उसी वक्त से उनकी गतिविधियां संदिग्ध बताई जा रही थीं। 2023-24 में फरीदाबाद मॉड्यूल का खुलासा ATS और JK पुलिस की संयुक्त कार्रवाई में फरीदाबाद मॉड्यूल का पर्दाफाश हुआ। पहली गिरफ्तारी में डॉ. मुजम्मिल शकील पकड़ा गया। उसकी कार से AK-47 राइफल, मैगजीन और डॉ. शाहीन के नाम के दस्तावेज मिले। पूछताछ में सामने आया कि शाहीन “जमात-उल-मोमिनात” नाम के महिला विंग की इंडिया कमांडर थीं, जो जैश-ए-मोहम्मद से जुड़ा संगठन है। उन्हें महिलाओं की भर्ती और ट्रेनिंग का जिम्मा सौंपा गया था। 10 नवंबर को दिल्ली में ब्लास्ट, लखनऊ में छापा दिल्ली में 10 नवंबर की शाम कार ब्लास्ट के बाद जांच ने रफ्तार पकड़ी। शाहीन शाहिद का नाम सामने आते ही लखनऊ के लालबाग स्थित खंदारी बाजार (HN-121) पर एजेंसियों ने छापा मारा। मड़ियांव क्षेत्र में उनके भाई डॉ. परवेज के घर से लैपटॉप, दस्तावेज और सहारनपुर आरटीओ से रजिस्टर्ड कार (UP11 BD 3563) बरामद की गई, जिस पर इंटीग्रल यूनिवर्सिटी का पास लगा था। कार को मड़ियांव पुलिस ने जब्त कर लिया है। 2006 में आयोग से चयनित होकर प्रवक्ता बनी थी लखनऊ के लालबाग की गलियों से निकली शाहीन शाहिद ने अपनी प्रतिभा से पहचान बनाई थी। लालबाग गर्ल्स इंटर कॉलेज से इंटरमीडिएट तक की पढ़ाई के बाद उसने सीपीएमटी में टॉप किया और प्रयागराज (इलाहाबाद) मेडिकल कॉलेज में दाखिला लिया। वहीं, से MBBS और MD की पढ़ाई पूरी की। 2006 में उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग (UPPSC) से चयनित होकर वह कानपुर के जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज में फार्माकोलॉजी की प्रवक्ता बनी। 2009 में ट्रांसफर के बाद कन्नौज मेडिकल कॉलेज (तिर्वा) पहुंची और 2010 में दोबारा जीएसवीएम लौटी।


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