माघ मेला के दौरान श्रद्धालुओं की सुरक्षा और किसी भी आपात स्थिति से निपटने की तैयारियों को परखने के लिए प्रयागराज में दो दिवसीय राज्य स्तरीय संगोष्ठी और टेबल टॉप एक्सरसाइज का आयोजन सोमवार से शुरू हुआ। न्यू कैंट स्थित कोबरा ऑडिटोरियम में पहले दिन प्रदेश के 26 जिलों से आए प्रशासनिक और पुलिस अधिकारियों ने मेले को सुरक्षित बनाने को लेकर मंथन किया। इसमें सेना, प्रशासन व स्वास्थ्य समेत अलग-अलग विभागों के अफसर भी शामिल रहे। कार्यक्रम के दौरान सभागार में अलग-अलग विभागों के अधिकारी भीड़ प्रबंधन, आग, डूबने और शीतलहर जैसी आपदाओं को लेकर आपस में चर्चा करते दिखे। टेबल टॉप एक्सरसाइज में माघ मेला जैसी वास्तविक परिस्थितियों को सामने रखकर निर्णय लिए गए। डीजीपी बोले, भीड़ प्रबंधन के लिए टीमवर्क जरूरी
इस कार्यक्रम के पहले सत्र में डीजीपी राजीव कृष्ण भी ऑनलाइन जुड़े। उन्हाेंने कहा कि भीड़ प्रबंधन सिर्फ पुलिस की जिम्मेदारी नहीं है। इसमें प्रशासन, स्वास्थ्य, अग्निशमन और आपदा प्रबंधन से जुड़े सभी विभागों का आपसी तालमेल जरूरी है। उन्होंने कहा कि इस तरह के अभ्यास से फील्ड में तैनात अधिकारियों को काफी मदद मिलती है। जोखिम को समझना जरूरी
उत्तर प्रदेश राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के उपाध्यक्ष लेफ्टिनेंट जनरल (सेवानिवृत्त) योगेंद्र डिमरी ने कहा कि किसी भी बड़े आयोजन में खतरे और जोखिम को पहले समझना जरूरी होता है। सही योजना और समय पर निर्णय ही किसी भी आपदा को टाल सकते हैं। उन्होंने कहा कि माघ मेला जैसे आयोजनों में यह अभ्यास काफी उपयोगी साबित होगा। अग्नि दुर्घटना, डूबने और शीतलहर पर चर्चा
पहले यानी तकनीकी सत्र में पुलिस विभाग ने भीड़ को लेकर संभावित खतराें और उनसे निपटने की तैयारियों की जानकारी दी। अग्निशमन विभाग ने आग की घटनाओं से बचाव, एनडीआरएफ ने डूबने की घटनाओं में बचाव कार्य और स्वास्थ्य विभाग ने शीतलहर से बचाव की तैयारियों को लेकर अपने अनुभव साझा किए।
मेला क्षेत्र की तैयारियों की जानकारी
दूसरे सत्र में प्रयागराज प्रशासन ने माघ मेला को लेकर की गई तैयारियों से अधिकारियों को अवगत कराया। वहीं हापुड़, गौतमबुद्ध नगर, गोरखपुर और मथुरा के अधिकारियों ने अपने जिलों के अनुभव और चुनौतियों पर चर्चा की।
सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम
अपर पुलिस आयुक्त डॉ. अजय पाल ने बताया कि माघ मेला के दौरान श्रद्धालुओं की सुरक्षा के लिए पर्याप्त पुलिस बल तैनात रहेगा। आने-जाने वाले मार्गों, पार्किंग और पांटून पुलों पर खास निगरानी रखी जाएगी, ताकि किसी तरह की घटना न हो।
फिजिकल मॉक ड्रिल पर भी जोर
मंडलायुक्त सौम्या अग्रवाल ने कहा कि संगोष्ठी के साथ-साथ मॉक ड्रिल भी जरूरी है, जिससे जिला स्तर के अधिकारी और अधिक सतर्क और तैयार रह सकें। उधर कार्यक्रम मंगलवार को भी जारी रहेगा। इस दौरान मेले के दौरान आपदा की स्थिति में किस तरह से प्रतिक्रिया दी जाएगी, इसका प्रदर्शन कर तैयारियों को परखा जाएगा।
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