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महोबा की ऐतिहासिक धरोहरों को मिली नई पहचान:गोरखगिरी पेंटिंग फेस्टिवल में छात्रों ने कला से संवारा पर्यटन स्थल

बुंदेलखंड की ऐतिहासिक नगरी महोबा को पर्यटन मानचित्र पर नई पहचान दिलाने के लिए जिला प्रशासन ने एक अनूठी पहल की है। जिलाधिकारी गजल भरद्वाज के नेतृत्व में गुरु गोरखनाथ की तपोभूमि गोरखगिरी पर्वत पर गोरखगिरी पेंटिंग फेस्टिवल का आयोजन किया गया। इस दौरान छात्र-छात्राओं ने अपनी कला के माध्यम से ऐतिहासिक धरोहरों को जीवंत किया। यह फेस्टिवल बुंदेलखंड की ऐतिहासिक और सांस्कृतिक विरासत को संरक्षित करने तथा पर्यटन को बढ़ावा देने के उद्देश्य से आयोजित किया गया। जिलाधिकारी गजल भरद्वाज के नेतृत्व में उत्तर प्रदेश पर्यटन विभाग के सहयोग से हुए इस आयोजन में हाईस्कूल से लेकर ग्रेजुएशन तक के छात्र-छात्राओं ने उत्साहपूर्वक भाग लिया। इस प्रतियोगिता ने युवाओं को अपनी रचनात्मक प्रतिभा प्रदर्शित करने का अवसर प्रदान किया। गोरखगिरी पर्वत की विशाल चट्टानों पर छात्रों द्वारा बनाई गई वाल पेंटिंग्स में चंदेलकालीन सांस्कृतिक धरोहरें सजीव हो उठीं। शिव तांडव, सूर्य मंदिर, खखरा मठ और कोठी तालाब जैसी ऐतिहासिक धरोहरों की कलाकृतियों ने पूरे पर्वत को एक आकर्षक स्वरूप दिया। जिलाधिकारी गजल भरद्वाज ने मौके पर पहुंचकर छात्रों की कलाकृतियों का अवलोकन किया और उनकी सराहना की। उन्होंने बताया कि गोरखगिरी पर्वत को विश्व पर्यटन मानचित्र पर स्थापित करने के लिए उत्तर प्रदेश सरकार करोड़ों रुपये की लागत से विकास कार्य करा रही है। उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि सभी निर्माण कार्य पूर्ण होने के बाद यह स्थल पर्यटकों के लिए एक प्रमुख आकर्षण केंद्र बनेगा। जिलाधिकारी ने प्रतियोगिता में भाग लेने वाले सभी छात्र-छात्राओं को पुरस्कृत करने की घोषणा कर उनका उत्साहवर्धन किया। प्रशासन का मानना है कि ऐसे आयोजनों से न केवल पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा, बल्कि युवाओं में अपनी सांस्कृतिक विरासत के प्रति जागरूकता भी बढ़ेगी। गोरखगिरी पर्वत अब एक महत्वपूर्ण पर्यटन स्थल के रूप में उभर रहा है।


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