लखनऊ के विवेक खंड-1, गोमतीनगर स्थित महामना मालवीय मिशन ने भारत रत्न महामना पं. मदन मोहन मालवीय की 164वीं जयंती की पूर्व संध्या पर एक वैचारिक समारोह का आयोजन किया। इस कार्यक्रम में शिक्षा, राष्ट्रवाद और समाज सेवा से संबंधित विषयों पर गहन चर्चा की गई। समारोह की अध्यक्षता महामना मालवीय मिशन, नई दिल्ली के संरक्षक प्रभु नारायण श्रीवास्तव ने की। अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में उन्होंने महामना मालवीय को हिंदू समाज का अजातशत्रु बताया और उनके विराट व्यक्तित्व की सराहना की। उन्होंने कहा कि मिशन मालवीय जी के आदर्शों पर चलते हुए समाज सेवा, शिक्षा और राष्ट्र निर्माण के कार्यों में सक्रिय है। महामना का जीवन शिक्षा, समाज और राष्ट्र के उत्थान के लिए समर्पित वरिष्ठ पत्रकार, राष्ट्रीय चिंतक एवं विचारक पुष्पेन्द्र कुलश्रेष्ठ कार्यक्रम के मुख्य अतिथि और मुख्य वक्ता थे। उन्होंने महामना मालवीय के राष्ट्र निर्माण में योगदान के बारे में बताते हुए कहा कि उनका जीवन शिक्षा, समाज और राष्ट्र के उत्थान के लिए समर्पित था। उनके विचार आज भी देश को सही दिशा प्रदान करने में सक्षम हैं।कुलश्रेष्ठ ने इस बात पर जोर दिया कि भारत मूलतः कर्म प्रधान देश रहा है, न कि जाति प्रधान। उन्होंने पूर्ववर्ती सरकारों द्वारा बिना व्यापक जन विमर्श के संविधान में किए गए संशोधनों पर भी प्रश्न उठाए। वंचित वर्ग के बच्चों की शिक्षा के लिए समर्पित मिशन की लखनऊ शाखा के महासचिव देवेंद्र स्वरूप शुक्ला ने सभी को 164वीं जयंती की शुभकामनाएँ दीं। उन्होंने बताया कि मिशन शिक्षा, सामाजिक और धार्मिक उत्थान के क्षेत्र में लगातार काम कर रहा है और निर्धन तथा वंचित वर्ग के बच्चों की शिक्षा के लिए पूरी तरह समर्पित है। इस अवसर पर मिशन के वरिष्ठ सदस्य आर.एन. वर्मा को उनके उल्लेखनीय योगदान के लिए सम्मानित किया गया। एक वाद-विवाद प्रतियोगिता में प्रथम स्थान प्राप्त करने वाले विद्यालय को शील्ड प्रदान की गई। इसके साथ ही, कक्षा-2 की एक छात्रा को श्रीमद्भगवद्गीता के 15वें अध्याय के सस्वर पाठ के लिए प्रशस्ति पत्र देकर सम्मानित किया गया।
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