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महादेव ऐप धोखाधड़ी: गिरफ्तार 3 आरोपी जमानत पर रिहा:इटावा में सबूत कमजोर पड़े तो कोर्ट से मिली जमानत

इटावा में रियल मनी फैंटेसी गेमिंग से जुड़े महादेव एप फर्जीवाड़े के मामले में पुलिस ने तीन दिन तक चली धरपकड़ के बाद तीन आरोपियों को गिरफ्तार किया। हालांकि, मजबूत साक्ष्य पेश न कर पाने के कारण न्यायालय ने तीनों आरोपियों को जमानत पर रिहा कर दिया। पुलिस अब मामले की जांच को आगे बढ़ाने और नेटवर्क की जड़ तक पहुंचने का दावा कर रही है। पुलिस के मुताबिक गिरफ्तार आरोपियों में वासु भदोरिया, संस्कार यादव और मनन शुक्ला शामिल हैं। आरोप है कि इन्होंने महादेव एप की फ्रेंचाइजी लेकर ऑनलाइन गेम और फेक बिटकॉइन के जरिए लोगों को ठगी का शिकार बनाया। पहले छोटी रकम जिताकर लोगों को गेम की लत लगाई जाती थी, फिर बड़ी रकम लगवाकर तकनीक के माध्यम से हार में बदल दिया जाता था। शिक्षित युवक, सुनियोजित तरीके से चला रहे थे खेल जांच में सामने आया है कि वासु भदोरिया बीएससी (गणित) पास है, संस्कार यादव 12वीं पास है और मनन शुक्ला बीएससी पास है। पुलिस के अनुसार मनन शुक्ला शुरुआत में मुंबई गया था, जहां करीब 15 हजार रुपये की नौकरी के दौरान उसने महादेव एप संचालन की ट्रेनिंग ली। इसके बाद वह इटावा लौट आया और यहीं से फ्रेंचाइजी लेकर काम शुरू किया। कई लोग बन चुके हैं शिकार सूत्रों का दावा है कि आरोपी और उनके साथी लंबे समय से ऑनलाइन गेमिंग के जरिए लोगों को जाल में फंसा रहे थे और अब तक मोटी रकम कमा चुके हैं। कई पीड़ित इस गिरोह का शिकार हुए हैं, लेकिन पुलिस के हाथ अब तक कोई ठोस वित्तीय सबूत नहीं लग सका। नकदी और दस्तावेज नहीं मिले, केस पड़ा कमजोर पुलिस न तो आरोपियों के पास से बड़ी नकदी बरामद कर सकी और न ही ऐसे पुख्ता दस्तावेज या तकनीकी साक्ष्य जुटा पाई, जिससे अदालत में आरोप मजबूती से रखे जा सकें। इसी कारण जब आरोपियों को कोर्ट में पेश किया गया तो उन्हें जमानत मिल गई। सीओ बोले- पहले करते थे, अब बंद करने का दावा क्षेत्राधिकारी नगर अभय नारायण राय ने बताया कि पूछताछ के दौरान आरोपियों ने दावा किया कि वे पहले इस गतिविधि में शामिल थे, लेकिन काफी समय से इसे बंद कर चुके हैं। इसी वजह से ज्यादा बरामदगी नहीं हो सकी। हालांकि, आरोपियों के मोबाइल फोन में महादेव एप मिलने के बाद ही उनकी गिरफ्तारी की गई थी। जांच जारी, संपत्तियों और नेटवर्क पर नजर पुलिस का कहना है कि जमानत मिलने के बाद भी जांच पूरी नहीं हुई है। आरोपियों की अवैध कमाई से बनाई गई चल-अचल और बेनामी संपत्तियों की जांच की जाएगी। साथ ही इस नेटवर्क से जुड़े अन्य लोगों की भूमिका भी खंगाली जा रही है। इस मामले में मुख्य आरोपी बताए जा रहे अंकित तिवारी अभी फरार है। पुलिस का दावा है कि उसकी तलाश जारी है और इस फर्जीवाड़े में शामिल हर व्यक्ति के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।


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