विकासखंड नौगढ़ के महादेवा गांव में 11 विशाल महुआ पेड़ों की अवैध कटाई ने पर्यावरण संरक्षण और वन विभाग की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। लकड़ी माफियाओं ने सुनियोजित तरीके से इन पेड़ों को काटकर मौके से हटा दिया। घटनास्थल पर आज भी महुआ के विशाल पेड़ों की जड़ें मौजूद हैं, जो बड़े पैमाने पर हुए कटान की गवाही दे रही हैं। यह दर्शाता है कि निगरानी तंत्र पूरी तरह विफल रहा। महुआ का पेड़ ग्रामीण जीवन और पर्यावरण दोनों के लिए महत्वपूर्ण माना जाता है। यह आजीविका का साधन होने के साथ-साथ जैव विविधता, पक्षियों के आवास, मिट्टी की उर्वरता और स्थानीय जलवायु संतुलन में भी अहम भूमिका निभाता है। 11 बड़े पेड़ों की एक साथ कटाई से इलाके का प्राकृतिक संतुलन बिगड़ गया है। सबसे गंभीर सवाल यह है कि बिना किसी वैध परमिट के इतने बड़े पैमाने पर कटाई कैसे हुई। नियमानुसार, एक भी पेड़ काटने के लिए वन विभाग की अनुमति आवश्यक होती है। ऐसे में 11 विशाल पेड़ों का कटान और उनका सुरक्षित ढंग से मौके से निकल जाना विभागीय जानकारी या मिलीभगत के बिना संभव नहीं लगता। मामला सामने आने और शिकायतें दर्ज होने के बाद, शोहरतगढ़ थाना क्षेत्र के सीतारामपुर ओला भगवानपुर निवासी मोहम्मद शाकिर उर्फ लंबू के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर एक लाख रुपये का जुर्माना लगाया गया है। हालांकि, स्थानीय लोगों का आरोप है कि केवल एक व्यक्ति पर कार्रवाई करना असली जिम्मेदारों को बचाने जैसा है।
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