रामपुर रज़ा पुस्तकालय एवं संग्रहालय और मेघवर्ण आर्ट गैलरी के संयुक्त तत्वावधान में मनुष्यता के पथ-प्रदर्शक श्री राम विषय पर आधारित कला प्रदर्शनी एवं व्याख्यान कार्यक्रम सफलतापूर्वक संपन्न हुआ। कार्यक्रम का शुभारंभ दीप प्रज्वलन एवं भगवान श्रीराम को पुष्पांजलि अर्पित कर किया गया। विशिष्ट अतिथि राधेश्याम वसन्तेय ने कला प्रदर्शनी का उद्घाटन किया। जिसके बाद उपस्थित अतिथियों ने प्रदर्शनी का अवलोकन किया। आयोजन में देश-विदेश से आए ख्यातिलब्ध विद्वानों, कलाकारों, साहित्यकारों और कला-प्रेमियों की उल्लेखनीय सहभागिता रही। सांस्कृतिक सत्र में रवि कथा की शास्त्रीय प्रस्तुति तथा गुरुकुल कथक केंद्र द्वारा कथक नृत्य “रघुनाथ गाथा” की मनोहारी प्रस्तुति दी गई। वहीं कार्यक्रम की अध्यक्षता रामपुर रज़ा पुस्तकालय के निदेशक डॉ. पुष्कर मिश्र ने की। अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में उन्होंने कहा कि मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम के आदर्श आज के समाज के लिए नैतिकता, मानवीय मूल्यों और सांस्कृतिक चेतना के प्रेरक स्तंभ हैं। उन्होंने स्पष्ट किया कि श्रीराम किसी एक आस्था, मज़हब, भाषा, भूभाग या जाति तक सीमित नहीं, बल्कि संपूर्ण मानवजाति के सार्वकालिक आदर्श हैं। डॉ. पुष्कर मिश्र ने कहा कि रामकथा का वैश्विक प्रसार इस बात का प्रमाण है कि श्रीराम का चरित्र मानवता के लिए पथ-प्रदर्शक है। उन्होंने तुलसीदास की पंक्ति— “हिय की प्यास बुझे न बुझाई, बार-बार रामकथा कही जाती है” का उल्लेख करते हुए कहा कि रामकथा जितनी सुनी जाती है, उतनी ही अधिक हृदय की तृष्णा बढ़ती है। उन्होंने यह भी कहा कि महर्षि वाल्मीकि के अनुसार श्रीराम धर्म के साक्षात् विग्रह हैं। श्रीराम को समझने के लिए धर्म और मर्यादा को समझना आवश्यक है, क्योंकि वे स्वयं धर्म के मूर्त रूप हैं।
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