मथुरा में संयुक्त वामपंथी दलों ने मनरेगा को बचाने और प्रस्तावित वीबी रामजी बिल के विरोध में देशव्यापी आंदोलन के तहत राष्ट्रपति को ज्ञापन भेजा। भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (सीपीआई), सीपीएम और सीपीआई (माले) के जिला नेतृत्व ने सोमवार को जिलाधिकारी मथुरा के माध्यम से यह ज्ञापन प्रस्तुत किया। ज्ञापन में वामपंथी दलों ने मनरेगा को भारतीय गणतंत्र की एक महत्वपूर्ण उपलब्धि बताया। उन्होंने कहा कि यूपीए सरकार के कार्यकाल में वामपंथ के समर्थन से लागू यह अधिनियम ग्रामीण जनता को 100 दिन का रोजगार देकर कार्य के अधिकार की संवैधानिक अवधारणा को मजबूत करता है। हालांकि, वर्तमान एनडीए सरकार पर इस कानून को लगातार कमजोर करने और इसके बजट में कटौती करने का आरोप लगाया गया है। वामपंथी दलों का आरोप है कि प्रस्तावित नए प्रावधानों के तहत मनरेगा के खर्च का 40 प्रतिशत बोझ राज्य सरकारों पर डाला जाएगा। उन्होंने यह भी कहा कि केंद्र सरकार जीएसटी में राज्यों का उचित कोटा समय पर जारी नहीं कर रही है। दलों ने सरकार पर गलत आंकड़े प्रस्तुत कर 125 दिन के रोजगार का दावा करने का आरोप लगाया, जबकि वास्तविकता यह है कि किसानों के फसल सीजन में 60 दिन तक काम न देने की बात कही जा रही है। दलों ने इस नीति को ग्रामीण रोजगार समाप्त करने और मनरेगा को धीरे-धीरे खत्म करने की साजिश बताया। उन्होंने राष्ट्रपति से हस्तक्षेप करने, वीबी रामजी बिल को खारिज करने और मनरेगा को पूरी मजबूती के साथ लागू करने की मांग की। ज्ञापन पर सीपीआई जिला मंत्री उत्कर्ष चतुर्वेदी, सीपीएम जिला मंत्री टीकेन्द्र सिंह शाद और सीपीआई (माले) जिला मंत्री याकूब शाह के हस्ताक्षर थे।
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