चंदौली जिले के विकास भवन के समीप सोमवार को विभिन्न वामपंथी संगठनों ने मनरेगा योजना का नाम बदलने के विरोध में धरना प्रदर्शन किया। इस दौरान केंद्र सरकार पर मनरेगा को खत्म करने की साजिश रचने का आरोप लगाया गया। प्रदर्शनकारियों ने बाद में डीएम कार्यालय तक पैदल मार्च कर प्रभारी अधिकारी को ज्ञापन सौंपा। वामपंथी दलों के नेताओं ने कहा कि केंद्र सरकार द्वारा लागू ‘विकसित भारत–रोजगार, जीरामजी कानून’ मनरेगा के मूल स्वरूप को बदल रहा है। उन्होंने बताया कि मनरेगा मांग पर आधारित एक सार्वभौमिक कानून है, जो ग्रामीण भारत में लोगों को काम पाने का सीमित अधिकार देता है। नए कानून से यह अधिकार छिन जाएगा और केंद्र सरकार अपनी फंडिंग की कानूनी जिम्मेदारी से मुक्त हो जाएगी। नेताओं ने सरकार के 100 दिन से 125 दिन रोजगार बढ़ाने के दावे को ‘जुमला’ बताया। उनके अनुसार, नया कानून जॉब कार्ड पर शर्तें थोपकर और ‘रैशनालाईजेशन’ के नाम पर ग्रामीण परिवारों के बड़े हिस्से को रोजगार के अधिकार से वंचित करेगा। खेती के पीक सीजन के दौरान 60 दिनों तक रोजगार रोकने से मजदूरों को सबसे अधिक जरूरत के समय काम नहीं मिलेगा, जिससे वे भूस्वामियों पर निर्भर हो जाएंगे। डिजिटल अटेंडेंस को भी मजदूरों के लिए मुश्किल बताया गया, जिससे काम का नुकसान और अधिकारों से वंचित होना शामिल है। वामपंथी नेताओं ने मनरेगा का नाम बदलकर ‘जी राम जी’ करने को महात्मा गांधी का अपमान बताया। उन्होंने इसे भाजपा और संघ की गांधी की विरासत के प्रति शत्रुता का प्रतीक करार दिया। इस दौरान कामरेड श्रवण मौर्य, उमा नाथ चौहान, हरिशंकर विश्वकर्मा, रमेश राय, श्याम देयी, रामकिशुन राम, गुलाबचंद और कामरेड लालचंद सहित कई नेता मौजूद रहे।
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