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मनरेगा के नाम पर 13 दिन में 1502 फर्जी मजदूर:सिद्धार्थनगर में 3.78 लाख रुपए की हाजिरी का खेल, फर्जी फोटो जियो-टैगिंग से मशीनों को मजदूर दिखाया

सिद्धार्थनगर के नौगढ़ ब्लॉक में मनरेगा योजनाओं में बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार की परतें खुल रही हैं। जगदीशपुर राजा गांव में 17 से 30 नवंबर तक जो काम कागजों पर दिखाया गया, वह जमीन पर कहीं नज़र नहीं आता। **अमृत सरोवर पोखर से रेलवे लाइन तक किए गए कार्य में मजदूरों की जगह सिर्फ ट्रैक्टर की रोटावेटर लाइनों के निशान मिले।** ग्रामीणों का दावा है कि पूरा काम मशीनों से हुआ, लेकिन कागजों में मजदूरों की भारी-भरकम फौज खड़ी कर दी गई। 521 मजदूरों की फर्जी हाजिरी, कुल 1502 मजदूर नामित—3.78 लाख रुपये निकाले गए जांच में खुलासा हुआ कि केवल 17 से 30 नवंबर के बीच मनरेगा मास्टर रोल में 521 मजदूरों की हाजिरी दर्ज की गई, जबकि अन्य योजनाओं में मिलाकर कुल 1502 मजदूरों के नाम चढ़ाए गए। भुगतान दिखाया गया: ₹3,78,504 गांव में मौजूद मजदूरों ने साफ कहा- हमने कोई काम नहीं किया। पूरे गांव में सिर्फ ट्रैक्टर चला है। न फावड़ा चला, न कुदाल। मौके पर जाकर देखने पर भी यही मिला—ताजा ट्रैक्टर के पहियों की गहरी लाइनें, लेकिन एक भी स्थान पर श्रम कार्य का निशान नहीं। फर्जीवाड़े का सबसे बड़ा खेल—फोटो जियो-टैगिंग में हेरफेर मनरेगा नियमों के अनुसार, हर मजदूर की हाजिरी फोटो और लोकेशन के साथ जियो-टैग ऐप पर अपलोड होती है। नौगढ़ में इस सिस्टम का खुला दुरुपयोग किया गया। एक ही मजदूर की कई एंगल से ली गई फोटो अलग-अलग मास्टर रोल में चढ़ाई गई। 10 मजदूरों की तस्वीरों को बार-बार अपलोड कर 100 से अधिक मजदूरों की हाजिरी दिखाई गई। कई फोटो में मजदूरों के पीछे जमीन पर ताज़ा ट्रैक्टर के निशान भी दिखे, जिससे हकीकत उजागर हो गई। ग्रामीणों की मानें तो यह हेराफेरी नई नहीं है, बल्कि ब्लॉक स्तर पर वर्षों से चल रहा ‘सिस्टम’ है। ग्रामीण बोले- नाम उजागर नहीं करेंगे… पूरा सिंडिकेट सक्रिय है
जिन ग्रामीणों ने यह जानकारी दी, उन्होंने पहचान न बताने की शर्त रखी। उनका कहना है- प्रधान, सचिव और ब्लॉक कार्यालय तक सबका नेटवर्क है। नाम बताने पर कार्रवाई हमारे ऊपर ही हो जाएगी। गांव में लोगों में भय का माहौल साफ दिखा। BDO, APO, लोकपाल और DC मनरेगा पर सवाल—क्या इतने बड़े फर्जीवाड़े से अनजान थे?
जगदीशपुर राजा गांव में हुआ यह घोटाला छोटे स्तर का नहीं है। मास्टर रोल, उपस्थिति, भुगतान, जियो-टैग… सब में हेरफेर हुआ है। ग्रामीणों और सूत्रों का कहना है- यह बिना ऊपर तक सेटिंग के संभव ही नहीं। ब्लॉक ऑफिस से लेकर जिला स्तर तक सबकी मिलीभगत है। मनरेगा में भ्रष्टाचार रोकने के लिए जिले में लोकपाल तैनात किए गए हैं। लेकिन नौगढ़ का मामला दिखाता है कि लोकपाल ने जांच नहीं की। BDO ने काम का भौतिक सत्यापन नहीं किया। APO ने मास्टर रोल पर आंख बंद कर साइन किए। DC मनरेगा ने निरीक्षण रिपोर्ट नहीं भेजी। पूरा सिस्टम सवालों के घेरे में है। DM का बयान—“आपके माध्यम से जानकारी मिल रही है, जांच टीम गठित होगी”
जब पूरे मामले पर जिलाधिकारी शिवशरणप्पा जी.एन. से सवाल किया गया तो उन्होंने कहा- हमें पहली बार जानकारी मिल रही है। तत्काल जांच टीम गठित की जाएगी। दोषियों पर कड़ी कार्रवाई होगी।


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